बिहार सरकार की कार्यप्रणाली इतनी लचर अवस्था में पहुंच गई है, इसका अनुमान केवल इस बात से ही लगाया जा सकता है कि सरकार के द्वारा चलाए गए जन वितरण प्रणाली यानी पीडीएस दुकानदारों को अब-तक उनका कमीशन नहीं मिला है.
उन्हें कमीशन लगभग 9 महीने से ज्यादा समय से नहीं मिला. हालत तो ऐसी है कि जब यह पीडीएस दुकानदार अपनी इस शिकायत को लेकर संबंधित विभाग के समक्ष जाते हैं तो विभाग की तरफ से भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिल पाता. ऐसी स्थिति में सभी दुकानदार अपनी कमीशन के लिए लगातार विभाग का चक्कर काट रहे हैं.
आखिर कैसे बनता है दुकानदारों का कमीशन?
आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा कि आखिर इन पीडीएस दुकानदारों को कमीशन कैसे आता होगा? आपको बता दें कि जब कोई पीडीएस दुकानदार किसी ग्राहक को राशन देता है तो उस दुकानदार को प्रतिकिलो राशन वितरण करने पर ₹1 के हिसाब से कमीशन मिलता है. आमतौर पर पीडीएस दुकानदारों के औसतन हजारों की संख्या में कार्डधारी और उपभोक्ता होते हैं.
बड़े-बड़े शहरों में तो कई दुकानदार ऐसे हैं जिनके लाखों की संख्या में उपभोक्ता हैं जो उसकी दुकान से राशन लेते हैं. ऐसे में उनका कमीशन भी हजारों और लाखों रुपए का होता है. राज्य सरकार द्वारा 9 महीने से ज्यादा समय से कमीशन बंद होने की वजह से इन सभी पीडीएस दुकानदारों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.
कमीशन वृद्धि करने से क्या फायदा जब दिया ही नहीं
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सरकार ने कुछ महीने पहले ही पीडीएस दुकानदारों के कमीशन में 20 और ट्रांसपोर्टेशन मद में 2.50 ₹ प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी. सरकार के द्वारा केवल कमीशन और परिवहन की राशि में ही वृद्धि नहीं की गई बल्कि पीडीएस दुकानों के लाइसेंस की प्रक्रिया में भी संशोधन किया गया था.
जिसका कुल मिलाकर उद्देश्य पीडीएस दुकानदारों के कमीशन में बढ़ोतरी करना था और उन्हें लाभ पहुँचाकर इस व्यवसाय के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना था. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इस प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था. पहले पीडीएस डीलरों को 32.50 रुपए की केंद्रीय सहायता पहले मिलती थी जिसे बढ़ा दिया गया और इससे ₹45 कर दिया गया.
सरकार के इस फैसले से डीलरों का कमीशन ₹90 प्रति क्विंटल हो गया. लेकिन इतनी कवायद का क्या ही फायदा जब सरकार 9 महीनों से पीडीएस दुकानदारों को कमीशन ही नहीं दे पा रही!!
पी.एम.जी.के.ए.वाई जैसी मशीनें लगवाईं फिर भी नहीं मिला कमीशन
सरकार ने सभी प्रखंड क्षेत्र के जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं को पी.एम.जी.के.ए.वाई एवं पॉइंट ऑफ सेल यंत्र लगाने को कहा. इसका उद्देश्य था कि जनता को दुकानदारों द्वारा नहीं ठगा जाएगा. लेकिन दूसरी तरफ सरकार खुद पीडीएस दुकानदारों को ही ठगने काम कर रही है,उन्हें कमीशन ना देकर.
आपको बता दें प्रखंड क्षेत्र के जितने भी जन वितरण प्रणाली विक्रेता हैं उनके द्वारा यह पीएमजीकेवाई एवं पॉइंट ऑफ सेल यंत्र लगवाने के बाद उनका कमीशन ₹17 और बढ़ जाता है. पिछले 10 महीनों से नहीं मिल रहे कमीशन की वजह से इन पीडीएस दुकानदारों में काफी गुस्सा व्याप्त है. वे लगातार कमीशन देने की मांग उठा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने आंदोलन भी किया था. लेकिन अब तक सरकार की तरफ से उनकी इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया है.
अधिकारी भी जवाब देने से कर रहे हैं किनारा
जब हमने पीडीएस दुकानदारों को 9 महीने से ना मिलने वाले कमीशन के ऊपर खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने हमारा फोन नहीं उठाया. इसके बाद हमने इसी विभाग के विशेष सचिव को फोन लगाया जो अब तो वहां के विशेष सचिव नहीं रहे लेकिन उनका इसी वर्ष जुलाई में ही स्थानांतरण हुआ है.
हमने उनसे पूछा
आप जुलाई तक की स्थिति तो बता ही सकते हैं. क्या आपकी उपस्थिति में इस विषय पर संज्ञान लिया गया था. लेकिन उन्होंने यह कहकर इंकार कर दिया कि
मैं अब संबंधित विभाग से हट चुका हूं. इसलिए इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.
दरअसल विशेष सचिव महोदय उत्तर देने से नहीं बच रहे थे बल्कि अपनी जवाबदेही से किनारा कर रहे थे. यदि किसी तरह का सुधार उनकी उपस्थिति में किया गया होता तो वह जरूर इस विषय पर अपने द्वारा उठाए गए कदमों के विषय में बताते.
चूंकि उन्होंने भी स्थिति को यथावत ही छोड़ रखा था तो उनके पास से संबंधित समस्या को लेकर कोई जवाब नहीं था.
आखिर क्या है पीडीएस?
पीडीएस यानी सार्वजनिक वितरण प्रणाली दरअसल एक प्रणाली है, जो सरकार के द्वारा लागू की गई है ताकि कम कीमत पर लोगों को अनाज और राशन मिल सके. इसके अलावा आपातकालीन स्थितियों में भी इसका इस्तेमाल जा सके.
आपको बता दें कि इस प्रणाली की शुरुआत वर्ष 1947 में हुई थी और देश में गरीबों को कम दाम पर अनाज या राशन मुहैया कराने के लिए इस प्रणाली को लाया गया था. यह भारत सरकार के खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंदर आने वाला विभाग है जिसे केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जाता है.
इस प्रणाली में भी हैं कई समस्याएं
इस बात में कोई संशय नहीं है कि इससे गरीबों को लाभ नहीं मिला. लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को इसका लाभ लेने में काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. आपको बता दें की वर्ष 2016 में बिहार के अलावा कई राज्यों में यह प्रणाली बेहद सफल तरीके से काम कर रही थी.
लेकिन जब से सरकार ने पीडीएस में आधार आधारित बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन को अनिवार्य किया है, तब से कई लोग इस लाभ को ले पाने में काफी समस्या महसूस कर रहे हैं. कई गरीब लोग खासकर विधवा और बुजुर्ग जैसे वर्ग इस श्रेणी से ही बाहर हो गए हैं.
कई वजहों से पैदा हो रही है समस्याएं
पीडीएस का लाभ नहीं ले पानी की सबसे बड़ी समस्या लोगों द्वारा आधार विवरण जमा नहीं करना माना जा रहा है. सरकार का कहना है कि आधार और बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन के जरिए सरकार फर्जी लाभार्थियों के बदले जरूरतमंदों को राशन देने का काम कर रही है. लेकिन सरकार के इस फैसले से कई जरूरतमंद लोगों का नाम सूची से पूरी तरह से बाहर हो चुका है जिसके पास यह तो आधार कार्ड नहीं है या फिर वह उनके राशन कार्ड से लिंक नहीं है.
इसके अलावा कई तकनीकी समस्याएं भी परस्पर देखने को मिलती रही हैं. कई बार पी.ओ.एल मशीन का काम नहीं करना भी लाभार्थियों के लिए समस्या बन जाता है.
इसके अलावा फिंगरप्रिंट मशीन द्वारा सही मूल्यांकन ना कर पाना भी इसकी बड़ी समस्याओं में से एक है. कई जरूरतमंद और गरीब लोग इन वजहों से इस प्रणाली का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं जिससे वह भूखमरी का शिकार होते देखे गए हैं.
सही मायने में सरकार के द्वारा लाई गई तकनीकों का उद्देश्य लोगों के जीवन को सुविधाजनक बनाना है ना कि सरकारी तंत्र को सुविधाजनक बनाना. सरकार को इस बात पर ध्यान लक्षित करना चाहिए कि आम जनता को आने वाली परेशानियों से जल्द से जल्द निजात दिलाया जा सके.
क्या पीडीएस दुकानदारों को मिलगा उनका अधिकार?
एक तरफ सरकार पीडीएस दुकानदारों को प्रोत्साहित करती है,कमीशन बढ़ाने की बात करती है, पी.एम.जी.के.ए.वाई एवं पॉइंट ऑफ सेल यंत्र लगवाने को कहती है. तो वहीं दूसरी ओर सरकार उन्हें कमीशन ना देकर उनका हौसला भी तोड़ रही है. सरकार को यह समझना होगा कि जो पीडीएस दुकानदार इस व्यवसाय पर ही आश्रित हैं उनके लिए यह आर्थिक संकट में जाने जैसी स्थिति है.
दुकानदारों द्वारा आंदोलन किए जाने के बावजूद भी इस समस्या का कोई हल नहीं निकला. ऐसी स्थिति में सरकार के द्वारा किए गए किसी भी प्रोत्साहित कार्य में कोई व्यवसायी निवेश करने संकोच करेगा. इसलिए सरकार को चाहिए कि वह बिना देर किए पीडीएस दुकानदारों के कमीशन को हरी झंडी दिखाएं ताकि उनका आंदोलन भी शांत हो जाए और आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो.