पीएम स्वनिधि योजना: कितना सफ़ल कितना प्रोपेगैंडा?

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पल्लवी कुमारी
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पीएम स्वनिधि योजना: कितना सफ़ल कितना प्रोपेगैंडा?
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डाकबंगला के पश्चिम पेट्रोल पंप के ठीक सामने अपनी जूस की दुकान पर बैठे मनोहर कुमार बोलचाल की भाषा में पुलिस की हल्ला गाड़ी  जाने के बाद वापस अपनी दुकान लगाने में व्यस्त थे. हमने जब उनसे पूछा क्या आपका वेंडर कार्ड नहीं बना हुआ है? मनोहर हंसते हुए कहते हैं,

उससे क्या होता है मैडम? हमारा वेंडर कार्ड बना हुआ है लेकिन उसके बाद भी पुलिस की गाड़ी आती है और हम लोगों के ठेले हटाने लगती है. और जिसका ठेला पकड़ा गया उसको तीन सौ चार सौ जुर्माना लगा देती है. तो आप ही बताईये इस कार्ड का क्या फायदा? जब हमारे रोजगार को कोई सुरक्षा ही नहीं है.

वेंडर कार्ड का क्या फायदा है? सिटी मिशन मैनेजर आरिफ हुसैन इसका जवाब देते हुए कहते है

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हमलोग शहर में वेंडिंग पॉइंट चिन्हित करने में लगे हैं. इसमें थोरा समय लगेगा. लेकिन अभी भी जिन वेंडरो के पास वेंडर कार्ड हैं उनसे पुलिस फाइन नहीं करती है, जब तक की वेंडर ब्लैक पॉइंट( बिल्कुल रोड) पर नहीं हों. वेंडरों को स्वनिधि योजना का लाभ भी वेंडर कार्ड के कारण ही मिल रहा है.

आगे जब हमने उनसे पूछा क्या आप पीएम स्वनिधि योजना के बारे में जानते है? मनोहर का जवाब था जानते है. दो साल पहले आवेदन भी किया था. नगर निगम से एक महिला आकर हमलोगों का फॉर्म भरकर ले गयीं थी. मेरे नाम पर लोन भी पास हो गया लेकिन आज तक मेरे खाते में पैसा नही आया है. मैं सरकार का कर्जदार भी बन गया हूं जबकि मेरे खाते में पैसे भी नहीं आए है.

हमने जब पूछा जब पैसे आपके नाम पर पास हो गए तो आपके खाते में क्यों नही आए? मनोहर कहते हैं

नगर निगम से जो महिला फॉर्म भरवाने आयी थी वो कम पढ़ी-लिखी थी. फ़ोन के माइक पर बोलकर नाम, पता और बाकि डिटेल भर रही थी और उसने IFSC कोड गलत भर दिया. मेरा एस.बी.आई.(SBI) डाकबंगला, ब्रांच में खाता है. वहां जाकर पता किया तो बहुत दौर भाग के बाद पता चला कि मेरे नाम पर आया पैसा, एस.बी.आई.(SBI) उत्तर प्रदेश के ब्रांच में चला गया है. एस.बी.आई.(SBI) डाकबंगला के मैनेजर सर ने वहां के मैनेजर से बात भी किया था लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. मेरा पैसा वहां जाकर अटका हुआ है. जब तक वहां से कैंसिल नही होगा मैं दोबारा आवेदन भी नही कर सकता हूं. कई बार नगर निगम के कार्यालय भी गया हूं, लेकिन कुछ नही हुआ. अब थक गया हूं रोज कमाने वाला आदमी कितना कार्यालय का चक्कर लगाएगा. लेकिन डर लगता है भविष्य में कही मेरे बच्चे को इस कर्ज के लिए परेशान न किया जाए क्योंकि कार्ड से मेरे परिवार का भी नाम जुड़ा हुआ है.

ऐसी ही कहानी महेश सहनी का भी है. महेश सहनी मौर्यालोक काम्प्लेक्स से कुछ दुरी पर फूटपाथ पर टोकरी में अमरुद बेचते हैं. महेश ने बताया उनका भी वेंडर कार्ड बना हुआ है. लेकिन उसका कोई फायदा नहीं है. बगल में बैठी महेश की पत्नी कहती हैं

खाली टांगे ले कार्ड बना के दे देलके हें. कुछो नय होबय हय ओकरा से.

महेश आगे कहते हैं कार्ड तो नगर निगम से बना कर दे दिया गया है. लेकिन हमे उसका कोई लाभ नही मिलता है. क्या आप पीएम स्वनिधि योजना के बारे में जानते हैं इस सवाल पर महेश कहते है जी जानते हैं. 5 से 6 महीने पहले कोइलवर ब्लाक से आवेदन भी किया था. कागज भी बनकर आ गया लेकिन आज तक पैसा नही मिला. कितनी बार ब्लाक जाकर पता किया तो कहा जाता है अभी पैसा आया नही है. नगर निगम के कार्यालय भी गया हूं लेकिन कहाँ कुछ हुआ?”

लोन मिलने में देर और कई वेंडरो को लोन पास होने के बाद भी लोन का पैसा न मिलने के संबंध में हुए नगर निगम में स्वनिधि योजना के कार्यान्वयन के सिटी मिशन मैनेजर आरिफ हुसैन बताते है

हमे ऐसी कोई लिखित शिकायत नही मिली है. ऐसा तो संभव नही है कि लोन पास होने के बाद लोन का पैसा नही मिले. क्योंकि सारी प्रक्रिया ऑनलाइन है, और वेंडर के मोबाइल पर मैसेज और ओटीपी के बाद ही लोन कि प्रक्रिया पूरी होती है. अगर किसी वेंडर को इसमें परेशानी हो रही है तो वो कार्यालय में आकर आवेदन दे सकते हैं.

अभी तक कितने लोगों का वेंडर कार्ड बनाया गया है इसका जवाब देते हुए आरिफ हुसैन बताते है” हमने अभी तक लगभग 23 हजार लोगो को वेंडर कार्ड बना कर दिया है. और इनमे से जिन्हें लोन की आवश्यकता होती है उन्हें हम लोन भी दिलाते है.”

नगर निगम पटना द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार नगर निगम पटना में कुल 23,803 फूटपाथ विक्रेताओं को चिन्हित किया गया है जिनमे 22,636 फूटपाथ विक्रेताओं को पहचान-पत्र दिया जा चूका है. वही स्वनिधि योजना के तहत 9,936 फूटपाथ विक्रेताओं ने लोन के लिए बैंक में आवेदन दिया है, जिनमे 5,774 आवेदकों को ऋण की राशि भी मिली है.   

आजादी के अमृत महोत्सव के तर्ज पर पुरे देश में स्वनिधि महोत्सव मनाया जा रहा है. पटना नगर निगम भी इसकी तैयारियों में जूटा है. हमारी टीम जब नगर निगम के ऑफिस पहूंची तो वहां सभी स्वनिधि महोत्सव में व्यस्त थे. पटना नगर निगम कि पीआरओ(PRO) स्वेता भास्कर  ने बताया कि स्वनिधि महोत्सव में स्वनिधि योजना के कारण सफलता प्राप्त करने वाले लोगों कि कहानिया बताई जाएगी. वेंडरों को सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा.”

वेंडर कार्ड बनाने कि प्रक्रिया क्या है इसका जवाब देते हुए स्वेता कहती हैं

वैसे कोई भी लोग जो फूटपाथ या गली मोहल्ले में घूम कर अपना दुकान चलाते है, वेंडर कार्ड के लिए ऑफिस में आकर आवेदन कर सकते है. फिर हम जहाँ वो दुकान लगाते हैं उस जगह का देखते है कही वो किसी दुकान के अंदर या किसी कामर्शियल परिसर के अंदर तो नही है. यदि नही है तो हम उसका वेंडर कार्ड बना देते है, और स्वनिधि योजना के लिए उसका फॉर्म भी भरवा देते है.

मौर्यालोक परिसर के बाहर लगभग सभी दुकानदारों का वेंडर कार्ड बना हुआ है. और कुछ को स्वनिधि योजना के तहत लोन भी मिल चूका है. मौर्यालोक परिसर के बाहर जूस की दुकान चलाने वाले छोटू को लोन का पैसा मिला है और कहते है” हमे तो दुसरे क़िस्त का पैसा भी मिल गया है. साथ ही हम ऑनलाइन पैसे का लेनदेन करते है, तो हमको कैशबैक भी मिलता है.”

वही बगल में  चिल्ला का ठेला लगाने वाले महेंद्र प्रसाद को भी 5-6 महीने पहले लोन मिला है. महेंद्र गया के रहने वाले हैं और पटना में रहकर अपना परिवार चलाते हैं. मौर्यालोक परिसर में ही घूम-घूम कर झाल-मूढ़ी बेचने वाले बुजुर्ग गनौर साह को इस योजना के बारे में कोई जानकारी नही है. साथ ही उनका वेंडर कार्ड भी नही बना हुआ है. गनौर वैशाली जिला के राघोपुर दियर के रहने वाले हैं. पटना करबिगहीया से मौर्या लोक परिसर में आकर झाल-मूढ़ी बेचने का कारण बताते हुए गनौर कहते हैं “बरसात का मौसम है रोड पर कहाँ बेचे? कब पानी आ जाय क्या पता? सब तो बेच ही रहे है तो हम भी आ जाते है.”      

क्या है पीएम स्वनिधि योजना?

पीएम स्वनिधि योजना केंद्र सरकार द्वरा साल 2020 में स्ट्रीट वेंडर को कोरोना में हुए नुकसान से उबारने के लिए शुरू किया गया था. इस योजना के तहत सरक किनारे फूटपाथ पर फल, सब्जी, जूस, चाट- चाउमिन बेचने वाले, रोड पर किताब या पत्रिका बेचने वाले, सड़क किनारे बाल काटने वाले या इसी तरह का कोई भी छोटा व्यवसाय करने वाले लोग इस योजना के तहत लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं.

पहले इस लोन की समय सीमा मार्च 2022 तक तय की गई थी जिसे बढ़ाकर अब दिसंबर 2024 तक कर दिया गया है. कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद देश में मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा दिया गया था. इसका सबसे ज्यादा असर मजदूरी करने वालों, सड़कों और फूटपाथ पर दुकान चलाने वाले लोगों पर परा था.

पीएम स्वनिधि योजना के तहत सरकार फूटपाथ पर अपनी दुकान चलाने वाले लोगों को 10,000 रुपये का गारंटी फ्री लोन देने का योजना शुरू किया था. इस योजना के तहत लोन लेने वाले व्यक्ति को 1 साल में लोन लौटाना होता है. अगर आप इस लोन एक साल के अंदर लौटा देते हैं तो दूसरी बार आपको 20,000 रुपये का लोन और तीसरी बार 50,000 रुपये का लोन मिल सकता है. इस लोन को सरकार बिना किसी गारंटी के देती है. अगर आप एक साल में लोन चुका देते हैं तो आपको 7 प्रतिशत का सालाना ब्याज में सब्सिडी भी मिलता  है. साथ ही लोन लेने वाला व्यक्ति अगर लोन भुगतान के लिए डिजिटल लेंन देंन का उपयोग करता है तो उसे 1200 रुपये तक का कैशबैक भी मिल सकता है.

तीन सालों में एक भी अल्पसंख्यक समुदाय का आवेदन नही आया बिहार में

पीएम स्वनिधि योजना के अंतर्गत बिहार में योजना के आरंभ से लेकर मई 2022 तक एक भी आवेदन प्राप्त नही हुआ है, ऐसा आवासन और शहरी आवास मंत्रालय(MoHUA) द्वारा एक आरटीआई के जवाब में बताया गया है.

लेकिन पटना नगर निगम के सिटी मिशन मैनेजर इस बात से किनारा करते है. हमने जब उनसे पूछा क्या कारण है कि योजना के तीन सालों में अभी तक एक भी अल्संख्यक समुदाय ने आवेदन नही दिया है, आरिफ़ इस आन्करे को झुठलाते हुए कहते है” ऐसा नही है हमारे पास मुस्लिम और सिख समुदाय से भी आवेदन आए है. अभी वेबसाइट डेवलप्मेंट का काम चल रहा है, हम इसके आन्करे आपको बाद में दे देंगे.” 

वही पुरे तीन सालों में बिहार में 95,851 लोगों ने पहले टर्म के लोन के लिए आवेदन किया है. वहीं दुसरे टर्म के लिए दो वित्तीय वर्ष(21-22, 22-23)  में अभी तक 6,823 लोगो ने आवेदन किया था.

पहले टर्म में 47,198 लोगों को लोन का पैसा भी मिल चूका है. वहीं दुसरे टर्म में अभी तक 1,609 लोगों को लोन का पैसा मिला है.

वहीं दिव्यांग जनों की बात कि जाए तो योजना के पहले वित्तीय वर्ष(20-21) में 294 लोगों ने पहले टर्म के लोन के लिए आवेदन दिया था जिसमे से 131 लोगों को लोन का पैसा भी मिल गया. वही दुसरे वित्तीय वर्ष में मात्र 37 लोगों ने आवेदन किया था लेकिन हैरानी की बात है कि यहाँ 39 लोगों को लोन का पैसा दे दिया गया. ये आँकड़े खुद आवासन और शहरी आवास मंत्रालय(MoHUA) ने दिया है. वही चालू वित्तीय वर्ष में मई के अंत तक 5 लोगों ने आवेदन दिया है लेकिन अभी तक किसी को लोन का पैसा नही मिला है.

वही दुसरे वित्तीय वर्ष(21-22 ) में दुसरे टर्म के लोन के लिए 13 लोगों ने आवेदन दिया था जिसमे से पांच लोगों को लोन का पैसा मिला. और तीसरे वित्तीय वर्ष(22-23) में 28 लोगो ने आवेदन दिया है जिसमे से अभी तक 2 लोगों को लोन का पैसा मिला है.

बिहार में सबसे ज्यादा 71.53 प्रतिशत ओबीसी(OBC) श्रेणी के लोगों को लोन के लिए आवेदन दिया है. वही अन्य राज्यों की बात करें तो केवल पूडूचेरी में सबसे ज्यदा 75.76 प्रतिशत ओबीसी(OBC) श्रेणी के लोगों ने लोन के लिए आवेदन दिया है. 

वही जनरल केटेगरी की बात की जाए तो बिहार में मात्र 10.92 प्रतिशत लोगो ने इस श्रेणी में आवेदन दिया है. वहीं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में सबसे ज्यादा 98.43 प्रतिशत आवेदन इस श्रेणी में आए हैं.

क्या हैं अन्य राज्यों कि स्थिति

पीएम स्वनिधि के पोर्टल पर जारी आंकड़ों के अनुसार योजना के आरंभ से अभी तक 54 लाख से ज्यादा उपयुक्त आवेदन प्राप्त हुआ है. वही पहले टर्म के लोन के लिए 42 लाख से ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए, जिसमे से 32 लाख से ज्यादा लोगों के लोन पास हो चुके हैं. वहीं 30 लाख 41 हजार 114 आवेदनकर्ता  को लोन का पैसा भी मिल चूका है. वहीं दुसरे टर्म के लोन के लिए 11.82 लाख आवेदन प्राप्त हुआ है जिसमे से 4.83 लाख लोन पास हो चुके हैं और 3.39 लाख आवेदनकर्ता को लोन का पैसा भी मिल चूका है. वही तीसरे टर्म के लोन के लिए 762 लोग के आवेदन को उपयुक्त माना गया है. जिसमे से 416 आवेदन का लोन पास हुआ है और 281 को लोन का पैसा दिया जा चूका है.

आवासन और शहरी आवास मंत्रालय(MoHUA) द्वारा एक आरटीआई के जवाब में यह बताया गया है कि जून 2020 से लेकर मई 2022 तक 32.26 लाख आवेदनकर्ता को लोन का पैसा दिया जा चूका जिसमे 0.012 प्रतिशत लाभुक ही अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं.

आरटीआई(RTI) आवेदन के जवाब में यह भी बताया गया है कि अनुसूचित जनजाति से केवल  3.35 प्रतिशत और केवल 0.92 प्रतिशत दिव्यांग जन को इस योजना के तहत लोन दिया गया है.

उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 8.7 लाख लोन आवेदन प्राप्त हुआ है जिसमे से केवल 12 आवेदन अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा किया गया है. वही अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 239 आवेदन प्राप्त हुआ है जिसमे से 138 को लोन का पैसा भी मिल चूका है. उसके बाद राजधानी दिल्ली जहाँ 114 आवेदन प्राप्त हुआ है. वही 74 आवेदन पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा प्राप्त हुआ है, जिसमे से अभी तक किसी को लोन की राशि नही दी गयी है.

वहीं जब दिव्यांग जनों कि बात की जाए तो इस मामले में तेलंगाना में 8,631(पहले और दुसरे टर्म) दिव्यांग लोगों ने लोन के लिए आवेदन दिया हैं, वहीं उत्तर प्रदेश 8,082 लोन आवेदन के साथ दुसरे स्थान पर और कर्नाटक 6,105 लोन आवेदन के साथ तीसरे स्थान पर है.

सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 7,278 दिव्यांग आवेदकों को लोन का पैसा दिया है. वहीं दुसरे स्थान पर तमिलनाडू में 3,796 दिव्यांग जन को लोन का पैसा दिया गया और कर्नाटक में 3,745 दिव्यांग जन को लोन का पैसा दिया गया.

वहीं लोन देने में उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा 100 प्रतिशत सफलता मिली है. यहाँ 100 में से 12 आवेदक को लोन प्राप्त हुआ है. वही दिल्ली में 77.46 प्रतिशत लोगो को लोन दिया गया है  है तथा तेलंगाना में 66.67 प्रतिशत आवेदक को लोन प्राप्त हुआ है.

अगर इस लोन स्कीम को सही तरीके से इसके जरुरतमंदो के पास पहुंचाया जाता तो ये उनके लिए लाभकारी साबित हो सकता था.