जाति आधारित आर्थिक रिपोर्ट जारी करने वाला पहला राज्य बना बिहार

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी हुई है. राज्य में अनुसूचित जाति के 42.93% परिवार गरीब हैं. SC के बाद सबसे अधिक गरीबी अनुसूचित जनजाति (42.70%), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (33.58%), पिछड़ा वर्ग (33.16%) और सामान्य वर्ग (25.09%) के परिवार में हैं.

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पल्लवी कुमारी
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जाति आधारित आर्थिक रिपोर्ट जारी करने वाला पहला राज्य बना बिहार

जाति आधारित आर्थिक रिपोर्ट जारी करने वाला पहला राज्य बना बिहार

देश का पहला जाति आधारित आर्थिक रिपोर्ट आज बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन पेश किया गया है. बिहार ऐसा रिपोर्ट जारी करने वाला पहला राज्य बन गया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि किस धर्म और जाति में कितनी गरीबी और अशिक्षा है. रिपोर्ट बताती है कि राज्य में अनुसूचित जाति के 42.93% परिवार गरीब हैं. SC के बाद सबसे अधिक गरीबी अनुसूचित जनजाति (42.70%), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (33.58%), पिछड़ा वर्ग (33.16%) और सामान्य वर्ग (25.09%) के परिवार में हैं.

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अनुसूचित जनजाति के अंदर आने वाली विभिन्न जातियों में गरीबी का आंकड़ा लगभग 50% है. कवार (29.81%), लोहरा (31.12%) और गोंड (32.45%) समुदाय को छोड़कर बाकि अन्य अनुसूचित जनजातियों से आने वाले लगभग आधे परिवार गरीब हैं.

वहीं पिछड़ा वर्ग से आने वाली जातियों के ओबीसी समुदाय में सबसे ज्यादा गरीबी दर्ज की गयी है. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार यादव समुदाय की 35% आबादी गरीब है. जातिगत जनगणना रिपोर्ट में सबसे अधिक आबादी यादवों की 14% बताई गयी हैं.

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार हिन्दू धर्म के सामान्य वर्ग में आनेवाली चार जातियों- भूमिहार, कायस्थ, राजपूत और ब्राह्मण में सबसे ज्यादा गरीबी भूमिहार जाति में है. भूमिहार जाति की 27.58% आबादी गरीब है. ब्राह्मण जाति के 25.32% परिवार गरीब हैं. राजपूत जाति के 24.89% परिवार और कायस्थ जाति की 13.83% परिवार गरीब हैं.

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वहीं मुस्लिम समुदाय से सामान्य वर्ग में आने वाली शेख जाति में 25.84%, पठान (खान) जाति के 22.20% परिवार और सैयद जाति के 17.61% परिवार गरीब हैं.

सरकारी नौकरी में पीछे छूटे पिछड़े समुदाय के लोग 

रिपोर्ट में राज्य की प्रत्येक जातियों की सरकारी नौकरी में कितनी हिस्सेदारी है इसका डाटा भी जारी किया गया है. आंकड़े देखने पर पता चलता है कि सरकारी नौकरी में पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी मात्र 1.75% ही है. वहीं अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी मात्र 1.13% है.

सामान्य वर्ग के पास 6 लाख 41 हजार 281 लोगों को नौकरी मिली है. सामान्य वर्ग के समुदाय में कुल 3.19% लोग सरकारी नौकरी में हैं. सामान्य वर्ग से आने वाले कायस्थ समुदाय के 52 हजार 490 लोगों (6.68%) के पास सरकारी नौकरी है. इसके बाद भूमिहार जाति से आने वाले 1 लाख 87 हज़ार 256 लोग यानि 4.99% लोगों के पास सरकारी नौकरी है. वहीं राजपूत जाति के 1 लाख 71 हज़ार 933 (3.81%) लोगों के पास सरकारी नौकरी है. ब्राह्मण समुदाय के 1 लाख 72 हज़ार 259 (3.60%) लोगों के पास सरकारी नौकरी है.

मुस्लिम समुदाय से आने वाली सामन्य वर्ग की जातियों में शेख जाति के 39 हजार 595 यानी 0.79% परिवार के पास सरकारी नौकरी है. वहीं पठान जाति के 10 हजार 517 यानी 1.07% लोगों के पास सरकारी नौकरी है. सैयद जाति के 7 हज़ार 231 यानि 2.42% लोगों के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी है.

राज्य में केवल 7% लोग ही ग्रेजुएट

जातिगत जनगणना के दूसरे चरण में जाति के साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता से संबंधित सवाल भी लोगों से पूछे गये थे. इसी के आधार पर आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में राज्य के लोगों के शैक्षणिक योग्यता का डाटा तैयार किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के लगभग 33% लोग कभी स्कूल नहीं गए हैं. वहीं 22.67% लोगों ने कक्षा 1 से 5वीं तक की शिक्षा हासिल की है. वहीं कक्षा 6 से 8वीं तक की शिक्षा 14.33% आबादी के पास है. इसके अलावा 9वीं से 10वीं तक शिक्षा पाने वाले लोगों की संख्या 14.71% है. कक्षा 11 से 12वीं तक की शिक्षा पाने वाले लोगों की संख्या 9.19% है.

रिपोर्ट बताती है, राज्य के 67.90% लोगों ने ही स्कूली शिक्षा प्राप्त की है जबकि 32.10% लोग कभी स्कूल नहीं गये हैं. वहीं स्कूली शिक्षा से आगे ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई करने वाले लोगों की संख्या मात्र 7% है. 

36.76% लोगों के पास ही दो या उससे ज्यादा कमरों का मकान

जातिगत जनगणना के पहले चरण में घरों की गिनती और दूसरे चरण में लोगों की जातियां और आर्थिक स्थिति का डाटा जुटाया गया था. उसी के आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गयी है. रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 36.76% लोगों के पास दो या दो से अधिक कमरों का पक्का मकान है.

वहीं एक कमरे का पक्के मकान वाले परिवारों की संख्या 22.37% है. खपरैल या करकट की छत वाले घर में रहने वाले परिवार की संख्या 26.54% है. झोपड़ी में रहने वाले परिवार की संख्या 14.9% है. वहीं फुटपाथ पर रहने वाले परिवार की संख्या 0.24% है.

65.87% आबादी की मासिक आय मात्र छह हजार रूपए 

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट बताती है कि राज्य की लगभग 66% आबादी महीने में मात्र छह हजार रूपए ही कमा पाती है. छह से 10 हजार रूपए कमाने वाले 29.61% परिवार है. 10 से 20 हजार रूपए कमाने वाले परिवार की संख्या 18.02% है. 20 हज़ार से 50 हज़ार रूपए कमाने वाले परिवार की संख्या 9.83% जबकि 50 हजार रूपए से अधिक कमाने वाले परिवार की संख्या 3.90% है.

वहीं सामान्य वर्ग में छह हजार रूपए मासिक आय वाले परिवार की संख्या 25% है. 10 से 20 हजार मासिक आय वाले परिवार की संख्या 19% है. 20 हज़ार से 50 हज़ार रूपए मासिक आय वाले परिवार 16% और 50 हजार से ज्यादा मासिक आय वाले परिवार की संख्या 9% है.

पिछड़े वर्ग के 33% परिवार ऐसे हैं जिनकी मासिक आय 6 हजार तक है. 29% परिवार ऐसे हैं जिनकी आय छह  हजार से 10 हजार के बीच है. 18% परिवार की मासिक आय 10 हजार से 20 हजार के बीच है. वहीं 10% परिवार की मासिक आय 20 हजार से 50 हजार के बीच है. जबकि 4% परिवार ऐसे हैं जिनकी आय 50 हजार से अधिक है.

अत्यंत पिछड़े वर्ग में 33% आबादी की मासिक आय 6 हजार तक है. 32% परिवार की मासिक आय 6 हजार से 10 हजार के बीच है. 18% परिवारों की मासिक आय 10 से 20 हजार की बीच है जबकि 2% परिवार ऐसे हैं जिनकी मासिक आय 50 हजार से भी अधिक है.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के 42% परिवारों की मासिक आय 6 हजार तक है. 

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