नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में सामने आया 'रेल जिहाद' का मामला

नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस बक्सर के रघुनाथपुर के पास पटरी से उतर गयी. इसके पीछे क्या वजह थी इसकी जांच अभी हो रही है. लेकिन इन हादसे के बीच कई ट्वीट सामने आ रहे हैं जो 'रेल जिहाद' की बात कर रहे हैं.

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आमिर अब्बास
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नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में सामने आया 'रेल जिहाद' का मामला

नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस हादसे में सामने आया 'रेल जिहाद' का मामला

आज हम बात करने वाले हैं रेल जिहाद के बारे में. वीडियो गेम जिहाद के बाद मार्केट में नया जिहाद आया है. इसका नाम है रेल जिहाद. वीडियो के अंत तक आपको इस जिहाद के बारे में पूरी जानकारी मिल जायेगी. इसके बाद आप भी एक राष्ट्रवादी बन जायेंगे.

23 बोगियों वाली नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनस से सुबह 7:40 में निकलती है. इस ट्रेन को असम के कामख्या स्टेशन तक पहुंचना था. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से दो घंटे की देरी से पटना जंक्शन के लिए पौने नौ बजे निकली. ट्रेन 9:35 बजे बिहार के बक्सर में रघुनाथपुर स्टेशन पर पार कर रही थी कि तभी ट्रेन के 6 डिब्बे पटरी से उतर गए. पटरी से उतरने में AC-3 के दो कोच और स्लीपर के चार कोच शामिल हैं. इस हादसे में अभी तक 100 से अधिक यात्री घायल हुए हैं और सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4 लोगों की मौत हुई है. ट्रेन नॉर्मल स्पीड से चल रही थी. 

मैं बैठ कर अपना कुछ कागजी काम कर रहा था. तभी अचानक से एक ब्रेक लगी और गाड़ी में धीरे-धीरे झटके आने लगे. फिर एक बड़ा झटका लगा. मैं उसी समय बेहोश हो गया. पांच मिनट बाद मुझे होश आया तो मैंने पानी से आंखों पर छींटे मारे. मुझे नहीं पता कि ड्राइवर ने अचानक से ब्रेक क्यों  मारी. इस बारे में वो ही अच्छे से बता सकता है कि ऐसा क्यों हुआ और क्यों उसे इस तरह ट्रेन को ब्रेक मारनी पड़ी.

ये कहना है नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस के गार्ड का.

इस साल ये पहला रेल हादसा नहीं है. 2 जून 2023 को ओड़िसा के बालासोर में रेल हादसा हुआ था. उस समय भी मुआवज़े बांटने की होड़ लगी. राज्य सरकार ने मुआवज़ा दिया, केंद्र सरकार ने मुआवज़ा दिया. लेकिन क्या मुआवज़ा मिलने से जो लोग इस दुनिया में नहीं रहें उनके परिवार वालों का दुःख थोड़ा भी कम होगा? बिहार रेल हादसे में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिवार वालों को 4 लाख रूपए का मुआवज़ा देने की घोषणा की है. लेकिन उन्होंने घोषणा करते समय इसमें एक एहसान भी जोड़ दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा करने के साथ ही ये भी कहा कि ये काम केंद्र सरकार का है.

कुछ समय के बाद केंद्र सरकार ने भी मुआवज़े की घोषणा की. केंद्र सरकार ने मृतकों के परिवार वालों को 10 लाख रूपए देने की घोषणा की है. गंभीर रूप से घायल 5 लोगों को ढाई लाख रूपए देने की भी घोषणा की गयी है. लेकिन क्या मुआवज़े की इस लीपापोती में मृतकों को इंसाफ मिल पायेगा? बालासोर रेल हादसे में इसे सबसे पहले ह्यूमन एरर कहा गया. 5 सदस्य की कमेटी ने रिपोर्ट दी. लेकिन चीफ इंजीनियर ने इसके इतर बयान दिया. पहले रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत सिग्नल की वजह से ये हादसा हुआ. चीफ इंजिनियर ने इस रिपोर्ट को गलत बताते हुए एक नोट भी लिखा था. बाद में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गयी. अभी तक सीबीआई की जांच से कोई ठोस जानकारी निकल कर नहीं आई है.

एक ऐसा ही रेल हादसा साल 1956 में आंध्रप्रदेश में हुआ था. इस रेल हादसे में 112 लोगों की मौत हुई थी. इस समय रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे. उन्होंने तत्काल रूप से अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री नेहरु को भेज दिया था. लेकिन उस समय प्रधानमंत्री ने शास्त्री जी का इस्तीफा नामंज़ूर कर दिया था. कुछ महीने बाद नवंबर 1956 में तमिलनाडू में एक और रेल हादसा हुआ. इस हादसे में 144 लोगों की मौत हुई. इस बार शास्त्री जी ने अपना इस्तीफा तत्काल रूप से दे दिया और पंडित नेहरु ने भी इस मंज़ूरी दे दी. एक समय था जब रेल हादसों की मोरल रेस्पोसिबिलिटी रेल मंत्री लिया करते थे.

अभी देश के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हैं. साल 2021 में अश्विनी वैष्णव ने रेल मंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल संभाला था. NCRB की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में 16,431 लोगों की मौत रेल हादसे में हो चुकी है. साल 2022 के कोई आंकड़े सरकारी वेबसाइट पर मौजूद नहीं है.

इन रेल हादसों के बीच नफरत फैलने वाले लोगों के ट्वीट का सैलाब आ गया. कई लोगों ने ट्वीट करना शुरू कर दिया कि ये रेल जिहाद है. एक व्यक्ति हैं कर्नल आर.एस.एन सिंह. ख़ुद को ये रक्षा विशेषज्ञ कहते हैं. हिन्दू जागृति के नाम से एक वेबसाइट है. इस पर एक डिटेल में भाषण देते हैं. इनका मानना है कि मुसलमानों की वजह से देश में रेल हादसे हो रहे हैं. पिछले 9 सालों में लोगों के मन में इतनी नफ़रत भर चुकी है कि सरकार से जवाब मांगने के बजाय वो हर बात में एक ख़ास वर्ग को कोसना शुरू कर देते हैं. लेकिन ये नयी बात नहीं है. इतिहास ख़ुद को दोहराता है. ये सारी चीज़ें जर्मनी में हिटलर के दौर में पहले भी हो चुकी हैं. सरकार भी यही चाहती है कि हर दुर्घटना और हर प्रशासनिक चूक के लिए उनसे कोई सवाल ना करें.

वीडियो देखें:-

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