बिहार के दरभंगा जिले में शुक्रवार (6 दिसंबर) की शाम दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प हो गयी. राम विवाह के अवसर पर दरभंगा जिले के तरौनी गांव से राम झांकी निकाली गयी थी. झांकी जिले के बाजितपुर क्षेत्र से वापस लौटना था. लेकिन इससे पहले ही बाजितपुर इलाके में मौजूद मस्जिद के पास दोनों पक्षों में किसी बात पर विवाद हो गया. जिसके बाद दोनों पक्ष एक दूसरे पर ईट-पत्थर फेंकने लगे.
इस घटना में दोनों पक्षों की और से कई लोग घायल हो गए हैं, वहीं तीन लोग को गंभीर रूप से जख्मी बताए जा रहे हैं.
पत्थरबाज़ी की घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है. स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गयी है. पुलिस प्रशासन का कहना है कि उन्हें इस झांकी की पूर्व सूचना नहीं दी गयी थी. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि क्षेत्र में झांकी लगभग 30 वर्षों से निकाली जा रही है लेकिन कभी इसके लिए पुलिस प्रशासन की मंज़ूरी नहीं ली गयी थी. और ना ही आज तक कभी इस झांकी के दौरान तनाव की स्थिति बनी थी.
घटना का कारण क्या?
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि विवाद की शुरुआत गाना बजाने को लेकर हुआ. इसके बाद विवाद बढ़ता गया और नौबत लाठी-डंडे और ईट-पत्थर तक पहुंच गई. फिलहाल, जिला प्रशासन के अधिकारी इलाके में कैंप कर रही है.
हालांकि दोनों पक्षों के बीच विवाद किस बात पर शुरू हुआ इसकी अधिकारिक जानकारी अब तक नहीं मिल सकी है. पुलिस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई की बात कह रही है.
सदर एसडीओ विकास कुमार ने मीडिया में कहा, “क्षेत्र में अब स्थिति नियंत्रण में कर लिया गया है. लेकिन इलाके में हिंसा क्यों भड़की, इसकी शुरुआत करने वाले लोग कौन है. जो राम विवाह की झांकी के दौरान पथराव कर माहौल खराब करने की कोशिश में लगे थे इसकी जांच हो रही है. पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज रख लिया गया है. फुटेज के आधार पर जो भी लोग दोषी होंगे उन पर कड़ी कार्रवाई होगी.”
घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी अबतक दोषियों की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है. डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए एसडीओ विकास कुमार ने कहा “इलाके में मस्जिद है. वहां टर्न को लेकर दोनों पक्षों में कुछ विवाद हो गया. मामले में कुछ लोगों पर नामजद एफआईआर की गई है. जांच चल रही है. लेकिन अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. लेकिन इलाके में अब शांतिपूर्ण माहौल है.”
बिहार में बीते कुछ वर्षों में रामनवमी, मुहर्रम और इन जैसी कई धार्मिक आयोजनों के दौरान हिंसा, उपद्रव और तनाव का माहौल बनाया जा रहा है. धीरे- धीरे यह उन्माद और तनाव छोटो-छोटे अन्य त्योहारों जैसे राम झांकी, दुर्गा पूजा या सरस्वती पूजा मूर्ति विसर्जन, हनुमान जयंती आदि के दौरान निकलने वाली झाकियों को भव्य बनाने के दौरान भी देखने को मिल रहा है.
बिहार के त्योहारों में बढ़ी सांप्रदायिक तनाव की स्थिति
जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार जब-जब भाजपा के साथ गठबंधन करके सरकार में आए हैं. राज्य में धार्मिक आयोजनों के दौरान तनाव देखने को मिला है.
बीते कुछ वर्षों में रामनवमीं और अन्य धार्मिक जुलूसों के दौरान होने वाली घटनाओं में हिंसा का एक समान पैटर्न देखने को मिलता है. जिसमें धर्म विशेष और समुदाय विशेष के लोगों को टार्गेट कर डीजे पर भड़काऊ गाने बजाए जाते हैं. धार्मिक जुलूस जानबुझकर ऐसे इलाकों से ले जाया जाता है जहां समुदाय विशेष के लोग रहते हों. उन्हें संबोधित करते हुए आपत्तिजनक नारे लगाए जाते हैं. ऐसे नारे लगाने वाले लोगों में समाज का युवा वर्ग सबसे पहली पंक्ति में नजर आता है.
वर्तमान परिदृश्य में समुदायों, खासकर युवाओ में दूसरे समुदाय के प्रति नफरत की भावना बढ़ती जा रही है जो भारत के भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं है.
बिहार में 2017 में मूर्ति विसर्जन के दौरान नवादा, औरंगाबाद, दरभंगा, भागलपुर, मुंगेर, रोसड़ा, सिवान और गया जैसे शहरों में हिंसा भड़की थी. उस समय राज्य में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार में थे.
हिंसा का कारण भड़काऊ नारेबाजी थी, जिसमें टोपी उतारने, पाकिस्तान जाने, वंदे मातरम और जय श्री राम बोलने जैसे नारे लगाए गये. वहीं हिंदू पक्ष का आरोप था कि मुस्लिम इलाकों में जुलूस पर पथराव किए गए.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में बिहार में सांप्रदायिक हिंसा की 270 से ज़्यादा घटनाएं हुई थी. जबकि इससे पहले 2012 में राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की 50 घटनाएं हुई थी. रिपोर्ट में दावा किया गया था कि नीतीश कुमार ने, जब से बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई है राज्य में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है.
वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी 2017 में सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगे दर्ज किये गये थे. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों (NCRB) के अनुसार देश में पिछले दस सालों में सांप्रदायिक दंगों के 6800 मामले दर्ज हुए हैं. इसमें सबसे अधिक 822 मामले साल 2017 में दर्ज हुए थे.