पटना यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर शुरू हुआ हंगामा लाठीचार्ज के तीसरे दिन भी जारी रहा. विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस के कार्रवाई के विरोध में छात्रों ने शुक्रवार को भी पटना विवि के प्रशासनिक भवन और उसके अंगीभूत कॉलेजों को बंद करवा दिया.
बुधवार (20 नवंबर) को छात्र संघ चुनाव कराए जाने की मांग को लेकर छात्रों का समूह कुलपति (Vice chancellor) से मिलने पहुंचा. इसी दौरान छात्रों को विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकालने और प्रदर्शन रोकने के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन को बुलाया गया. पुलिस ने इसी दौरान छात्रों पर बल प्रयोग करते हुए लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए. इस घटना में प्रदर्शन कर रहे कुछ छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए. जिन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच और अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया.
लाठीचार्ज का विरोध
पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से छात्र आक्रोशित हो गए हैं. छात्रों का आरोप है कि यह कार्रवाई विश्वविद्यालय प्रशासन के इशारे पर की गयी है. प्रशासन के विरोध में छात्रों ने शुक्रवार को पटना विश्वविद्यालय के गेट पर कुलपति का पुतला दहन किया. इससे पहले गुरूवार को भी छात्रों ने कुलपति कार्यालय के बाहर जमकर नारेबाजी की थी.
पिछले तीन दिनों से चल रहे इस प्रदर्शन में छात्रों ने शैक्षणिक कार्यों को भी बंद करवा दिया है. विरोध प्रदर्शन के बीच विश्वविद्यालय कैम्पस में पुलिस बल की तैनाती कर दी गयी है. छात्र संघ चुनाव की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्र नेता शाश्वत शेखर सवाल करते हैं “जब हम अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे तो पुलिस को बुलाकर लाठीचार्ज क्यों करवाया गया?
शाश्वत कहते हैं “विवि प्रशासन हमारी मांगों को लेकर उदासीन बना हुआ है. हमारी दो प्रमुख मांग है- पहला छात्र संघ चुनाव कराया जाए और दूसरा बंद पड़े छात्रावास को खोला जाए. सर्वदलीय बैठक के बाद सभी दलों के छात्र नेता वीसी से मिलने गये. हम लोग उनके कार्यालय के बाहर बने हाल में नारे लगा रहे थे. तभी कलेक्ट्रेट थाने से टाउन डीएसपी और मजिस्ट्रेट सर आए. उन्होंने मध्यस्थता कराने के लिए हमारी बात सुनी जिस पर उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक थी. उसके बाद दोनों कुलपति से मिलने उनके चैंबर में गये. उनसे मिलने के बाद जब वे बाहर आए, उसके 15-20 मिनट बाद ही हमलोगों पर लाठीचार्ज किया गया.”
इस लाठी चार्ज में शास्वत को भी हल्की चोट आई हैं. लाठीचार्ज पर शास्वत आगे कहते हैं “कुलपति ऑफिस के बाहर 10 फीट चौड़े और 20 फीट लंबे हॉल में छात्रों के ऊपर लाठियां बरसाई गई. छात्रों को साइंस कॉलेज तक दौड़ा-दौड़ाकर मारा गया. जिसमें दो छात्रों का सर फट गया. एक का उंगली टूट गया. पुलिस ने रात 10 बजे तक कैंपस को घेरकर रखा.”
छात्रों का कहना है कि उनकी केवल यही मांग थी कि विवि प्रशासन लिखित में यह जानकारी दे कि छात्र संघ चुनाव कराए जाएंगे या नहीं. लेकिन कुलपति उसके लिए टाल-मटोल करते रहे हैं. साथ ही छात्र पिछले चार-पांच महीनों से बंद पड़े छात्रावास को भी खोले जाने की मांग कर रहे हैं.
इस घटना के बाद से ही छात्र उग्र हैं और घटना के जांच की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी छात्र विश्वविद्यालय बंद का आह्वान करेंगे.
छात्र नेता कैंपस में पुलिस बल के प्रवेश पर भी सवाल उठाते हैं. छात्र कहते हैं किसी भी विश्वविद्यालय कैंपस में पुलिस का निर्बाध प्रवेश प्रॉक्टर की विफलता को उजागर करता है. शाश्वत कहते हैं “किसी भी विश्वविद्यालय कैंपस में पुलिस का प्रवेश वर्जित है. लेकिन पटना विश्वविद्यालय में यह नियम नहीं है. यहां पुलिस जब चाहे प्रवेश कर जाती है. यहां के प्रॉक्टर नाकामयाब हो चुके हैं. सरकार को प्रॉक्टर का पद समाप्त कर देना चाहिए. जब पुलिस ही लगातार सभी चीजों को कंट्रोल कर रही है तो प्रॉक्टर को लाखों रुपए की सैलरी क्यों दी जाती है?”
हमने इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन के मत को जानने का प्रयास किया. हमने डीन स्टूडेंट वेलफेयर (डीएसडब्ल्यू) से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो सकी.
विश्वविद्यालय क्यों नहीं चाहता चुनाव हो?
पटना यूनिवर्सिटी में पिछले दो सालों से छात्र संघ चुनाव नहीं हुए हैं. अंतिम चुनाव नवंबर 2022 में हुए थे. छात्रों का कहना है कि चुनाव के अभाव में छात्र हित से जुड़े मुद्दे, कैंपस की समस्याएं, एकेडमिक गतिविधियों से जुड़े मुद्दों पर विवि प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. हालांकि 2022 के छात्र संघ चुनाव में जीतकर आने वाले छात्र नेता अभी भी सीनेट की बैठकों में छात्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
पटना विश्वविद्यालय के छात्र एहतेशाम इब्राहिम इस पर कहते हैं “चुनाव नहीं होने के कारण नए छात्र नेताओं को मौका नहीं मिल रहा है. जबकि नियम है कि चुनाव चाहे जब भी हुए, चाहे वह इसी वर्ष फरवरी में हुए हो या पिछले वर्ष नवंबर में, उसमें जीते हुए छात्र नेताओं का टेन्योर 15 अगस्त तक का ही होगा. उस कमिटी को 15 अगस्त को भंग कर दिया जाता है.”
लिंक्डो कमिटी के नियम के अनुसार हर साल छात्र संघ का चुनाव हर साल होने चाहिए. इसका नियम कहता है कि बिना छात्र संघ चुनाव हुए विश्वविद्यालय को नैक ग्रेडिंग भी नहीं दी जा सकती है. लेकिन लिंक्डो कमिटी के नियमों से आहत वर्ष 2022 के छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर जीतने वाले आनंद मोहन कहते है “चुनाव हो या नहीं हो यहां कोई फर्क ही नहीं पड़ता है. लिंक्डो कमिटी ऐसा बना दिया गया है कि जो जीतता है वह भी कुछ नहीं कर पाता है. सारा अधिकार केवल कुलपति के पास है. यहां छात्र नेता का मूल्य नहीं है.”
पटना विश्वविद्यालय को इसी वर्ष स्थायी कुलपति की नियुक्ति की गई है. इससे पहले गणितज्ञ प्रोफ़ेसर केसी सिन्हा को विश्वविद्यालय का प्रभार दिया गया था, उनके पास दो अन्य विश्वविद्यालयों का भी प्रभार था. जिसके कारण उन्होंने चुनाव कराने को लेकर कभी पहल नहीं किया. लेकिन स्थाई कुलपति की नियुक्ति होने के बाद अगस्त महीने में हुई सीनेट बैठक जिसमें राज्यपाल भी मौजूद थे, चुनाव कराने की बात कही गयी थी. लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की गई है.
विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव रुके हुए हैं लेकिन नए सत्र में नामांकन लेने वाले छात्रों से स्टूडेंट वेलफेयर फंड के लिए शुल्क लिया जा रहा है. फंड के लिए छात्रों से 100 रुपए लिए जाते हैं. स्टूडेंट वेलफेयर फण्ड की राशि छात्र संघ चुनाव में जितने वाले छात्र नेताओं की टीम को, छात्रों के विकास कार्यों में खर्च करने के लिए दिए जाते हैं.
वर्तमान उपाध्यक्ष विक्रमादित्य छात्र संघ की उपलब्धियों और राशि खर्च किये जाने कहते हैं “विश्वविद्यालय के कॉलेजों में पीने के पानी की बहुत समस्या थी. हमने सभी कैंपस में वाटर कूलर लगवाया. वेबसाइट मेंटेंनेस के लिए राशि दिया. कल्चरल प्रोग्राम कराए. यहां पटना कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, पटना साइंस कॉलेज और बीएन कॉलेज को मिलाकर मात्र एक गर्ल्स हॉस्टल है. हमने इस मुद्दे को सीएम के सामने उठाया. उन्होंने एक नए हॉस्टल को स्वीकृति दे दी. लेकिन विवि की उदासीनता के कारण अबतक जगह चिन्हित करने का काम नहीं हुआ है.”
उनका कहना है, छात्रों के सवालों से बचने के लिए ही विवि चुनाव नहीं चाहता हैं. क्योंकि छात्र नेता स्टूडेंट वेलफेयर फण्ड का हिसाब मांगते हैं. सवाल करते हैं. इसलिए विवि इनसब से बचना चाहता हैं.
लोकतंत्र के लिए आवश्यक छात्रसंघ
भारत लोकतांत्रिक देश है. इसके लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए यह आवशयक है कि छात्र विवि स्तर से ही इसकी मजबूती को महसूस करें. उनमें अच्छे और बुरे में चुनाव करने की समझ विकसित हो. गलत के विरोध में एकजुट होकर सवाल करने की हिम्मत विकसित हो. छात्रसंघ चुनाव विश्वविद्यालयी छात्रों को यह मौका देता है.
छात्रसंघ चुनाव पूरे भारतीय राजनीति को प्रभावित करता है. बिहार और देश की राजनीति में छात्र नेताओं की अहम भूमिका रही है. बिहार के राजनीतिक पटल के केंद्र बिंदु आज भी वर्तमान सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू यादव है. इन दोनों अपना राजनीतिक सफर की शुरुआत पटना विश्वविद्यालय के छात्र राजनीति से ही की थी. जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन से निकले ये दोनों नेता छात्र राजनीति के सशक्त उदहारण है.
आजादी के पूर्व जितने भी आंदोलन हुए उन सबमें छात्रों के सहयोग और उनके मुखर आवाज को उस समय के नेताओं ने काफी महत्वपूर्ण बताया था. महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, लाला लाजपत राय, चंद्रशेखर आजाद, जवाहरलाल नेहरु जैसे नेताओं ने हमेशा छात्रों को सक्रीय राजनीति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है.
जैसे लोकतंत्र की सफलता के लिए शिक्षा आवश्यक है. वैसे ही लोकतांत्रिक राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए छात्र राजनीति आवश्यक है.