अपना घर होना किसी भी मध्यम या गरीब परिवार के लिए एक सपने जैसा होता है. कई लोग अपना पूरा जीवन लगा देते हैं फिर भी इस सपने को स्वीकार नहीं कर पाते.
खासकर गरीब तबके के लोग जो अपने इस सपने को साकार करने में लगभग असमर्थ थें, उन्हें सरकार की एक योजना से एक उम्मीद की किरण दिखाई दी. लेकिन यह उम्मीद भी हर उस गरीब के ख्वाब को पूरा करने में असमर्थ दिखी.
पिछले ही वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अपूर्ण आवासों को जल्द पूरा कराने के लिए ग्रामीण विकास विभाग में 7 अरब 76 करोड़ 33 लाख की धनराशि सभी जिलों को आवंटित कर गई थी. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से बिहार सरकार को योजना के सामान्य मद की धनराशि अब तक नहीं मिल पाई है.
इस वर्ष आए बजट में केंद्र सरकार के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण) के लिए 54 हजार 487 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है.
यह राशि पिछले साल आए बजट के मुकाबले अधिक है. पिछले वर्ष प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण) के लिए 4 हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया गया था.
राज्य में पिछले वर्ष का लक्ष्य भी अब तक नहीं किया गया पूरा
बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत निर्धारित किए गए आवासों के लक्ष्य को अब तक पूरा नहीं किया गया है. वित्तीय वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक 1 लाख 96 हजार 333 तथा वित्तीय वर्ष 2021-22 में आवास प्लस के तहत 3 लाख 45 हजार 510 आवास अब तक अपूर्ण हैं.
इसके साथ ही वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 तक के अधूरे पड़े 2 लाख 62 हजार 787 आवास का काम भी अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
नहीं मिला अब तक योजना का लाभ
बिहार में कई ऐसे क्षेत्र और गांव हैं जहां लोगों को अब तक प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत लाभ नहीं मिल सका है. इस विषय पर हमने कटिहार के महेश राम जी से बात की. उन्होंने में बताया कि
हम लोगों का अब तक आवास भी नहीं मिला है. जीवन पालने के लिए हम लोगों को सरकार की ओर से कोई सहारा नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से हम लोग काफी तकलीफ में हैं.
इस विषय पर हमने प्रधान ऋषि जी से भी बात की. उन्होंने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि
हम लोगों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. हमें ना तो अब तक आवास योजना के तहत राशि मिल पाई है और ना ही इसकी कोई उम्मीद नजर आती है.
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का लाभ नहीं ले पाने वालों में एक रेखा देवी जी भी हैं. उन्होंने अपनी समस्या जाहिर करते हुए हमें बताया कि
बिना घर के हम लोग जैसे-तैसे रह रहे हैं. जीविकोपार्जन हमारा भगवान भरोसे चल रहा है. हम लोगों ने सरकारी दफ्तरों में बहुत चक्कर लगा लिए फिर भी हमारा काम अब तक नहीं हुआ.
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के अलावा भी कई योजनाओं पर समीक्षा करने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बिहार में निर्धारित लक्ष्य को तो पूरा नहीं ही किया गया है. लेकिन इसके अलावा भी कई योजनाएं ऐसी है जिनकी समीक्षा बेहद आवश्यक है.
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अतिरिक्त जीविका, मनरेगा, सामाजिक अंकेक्षण, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुरबन योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना आदि योजनाओं की भी समीक्षा करने की आवश्यकता है. यह सभी योजनाएं ऐसी हैं जिनका लक्ष्य अब तक पूरा नहीं किया गया है.
बीते वर्ष राज्य सरकार को नहीं मिले थे केंद्र सरकार की ओर से 5000 करोड़ रुपए
भारत सरकार के द्वारा आवंटित पीएम आवास योजना (ग्रामीण) के तहत राज्य सरकार को 3 हजार करोड़ रुपए प्राप्त नहीं हुए थे. उस वक्त इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने केंद्र सरकार पर बिहार के गरीबों के लिए 3 हजार करोड़ रुपए न देने का आरोप भी लगाया.
इस वजह से इस योजना को कई स्थानों पर लागू कराने में कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा और कई मामलों को यूं ही लंबित छोड़ दिया गया है.
क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण)
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) गरीबों को किफायती आवास प्रदान करने के लिए भारत सरकार की एक पहल है. मूल रूप से 1985 में 'इंदिरा आवास योजना' के रूप में लॉन्च किया गया था, प्रधानमंत्री आवास योजना को 2016 में वर्तमान सरकार द्वारा 2022 तक सभी के लिए आवास पहल के हिस्से के रूप में फिर से शुरू किया गया.
प्रधानमंत्री आवास योजना मिशन को अब 2024 तक बढ़ा दिया गया है. इस कदम से लाखों ग्रामवासियों को लाभ होगा. प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण को मार्च 2021 के बाद भी जारी रखने संबंधी ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसके तहत कुल 2.95 करोड़ घरों के लक्ष्य के अंतर्गत शेष 155.75 लाख घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी.