पटना विश्विद्यालय में स्नातक वोकेशनल कोर्स के छात्रों को अपना एक साल बर्बाद होने का डर सता रहा है. दरअसल पीयू में स्नातक वोकेशनल कोर्स के छात्रों का सत्र अभी तक पूरा नही हुआ है. स्नातक वोकेशनल वोकेशनल कोर्स के अंतिम सेमेस्टर का एग्जाम डेट भी अभी तक जारी नही किया गया है. जबकि पटना विश्विद्यालय में पीजी रेगुलर कोर्स में नामांकन प्रक्रिया भी पूरा हो गया है. और उसकी कक्षाएं भी शुरू कर दी गयीं है.
वहीं केवल पीयू ही नही बल्कि अन्य विश्विदयालयों में भी पीजी में नामांकन प्रक्रिया बंद हो चुकी है. छात्र न केवल पटना विश्विद्यालय की पीजी रेगुलर कोर्स बल्कि अन्य विश्विदयालयों के पीजी कोर्स में नामांकन लेने से वंचित रह गये.
हालाँकि स्नातक वोकेशनल कोर्स में सेमेस्टर लेट होने के कारण पीयू ने पीजी वोकेशनल कोर्स में नामांकन प्रक्रिया को रोके रखा है. ताकि विश्विद्यालय के छात्रों को कम से कम वोकेशनल कोर्स में पीजी करने का मौका मिल सके. लेकिन इस सुविधा के बाद भी यह तय है कि छात्रों का काफी समय सत्र देर होने के कारण बर्बाद होने वाला है. क्योकि अभी स्नातक वोकेशनल के छात्रों के अंतिम सेमेस्टर कि पढाई ही चल रही है. छठे सेमेस्टर के परीक्षा होने के बाद छात्रों को रिजल्ट आने तक का इंतजार करना होगा.
पटना यूनिवर्सिटी से लॉ में पीजी कि पढ़ाई कर रहे छात्र अक्षय कुमार का कहना है कि “बिहार में अधिकतर यूनिवर्सिटी में सेशन लेट होने कि समस्या है. लेकिन पटना यूनिवर्सिटी और मिथिला यूनिवर्सिटी इस मामले में उनसबों से बेहतर था. लेकिन पिछले कुछ वर्षो से यहाँ भी सेशन लेट होने की समस्या शुरू हो गई है. वोकेशनल कोर्स में पढ़ रहे मेरे कितने दोस्तों का अभी तक सेशन पूरा नही हुआ है. उनमे से कितने का मन अन्य दुसरे यूनिवर्सिटी से पीजी करने का था लेकिन सेशन लेट होने के कारण इस साल उन्हें एडमिशन नही मिल पाया. मनचाहे यूनिवर्सिटी में पढने के लिए उन्हें एक साल इंतजार करना पड़ेगा. वहीं सेशन लेट होने से छात्रों का प्लेसमेंट भी रुक गया है. कंपनी यह नही देखती कि आपके यूनिवर्सिटी में अभी एग्जाम नही हुआ है तो हम इंतजार करते है. इसका खामियाजा तो हम छात्रों को ही भुगतना पड़ता है. सेशन लेट होने से छात्रों के उपर मानसिक दबाव बढ़ता है सो अलग. यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव भी होने हैं अब ऐसे में दिसंबर से पहले एग्जाम और चुनाव विवि कैसे करवाएगा पता नही?
दूसरा सेमेस्टर लेने में सालभर का इंतजार
स्नातक वोकेशनल कोर्स सत्र 2019-22 के पहले सेमेस्टर कि परीक्षा जनवरी 2020 में हुआ. जिसके बाद दुसरे सेमेस्टर कि परीक्षा सीधे अगले वर्ष जनवरी 2021 में करायी गयी. उसके बाद तीसरे सेमेस्टर कि परीक्षा आठ महीने बाद सितंबर 2021 में लिया गया. इसके बाद चौथा सेमेस्टर सात महीने के बाद अप्रैल 2022 में लिया गया. वहीं पांचवां सेमेस्टर मात्र तीन महीने बाद ही अगस्त 2022 में ले लिया गया. वहीं छठा सेमेस्टर अब मात्र दो महीने बाद नवम्बर में लिए जाने कि बात कही जा रही है.
सेमेस्टर लेट होने का सिलसिला केवल 2019-22 सत्र का नही है बल्कि 20-23 सत्र और 21-24 सत्र भी अपने निर्धारित समय से पीछे चल रहा है.
वही पटना विश्विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रो. आरके मंडल का कहना है कि “विश्विद्यालय का प्रयास है की दिसंबर तक या उससे ठीक पहले ही परीक्षा करा लिया जाए. साथ ही स्नातक वोकेशनल कोर्स के तीसरे और पांचवे सेमेस्टर का रिजल्ट जल्द जारी करने का प्रयास किया जा रहा है. इनदोनो सेमेस्टर का रिजल्ट जारी करने के बाद चौथे और छठे सेमेस्टर कि परीक्षा का शेड्यूल एक सप्ताह के अंदर ज़ारी किया जायेगा.”.
हालाँकि अभी विश्विद्यालय द्वारा परीक्षा कि तिथि घोषित नही कि गयी है. अगर नवम्बर में परीक्षा करा भी लिया गया तब भी इन सब प्रक्रिया में दिसंबर तक का समय लगना निश्चित है.
वोकेशनल कोर्स में 2019 से ही लागू है सीबीसीएस
स्नातक जेनरल कोर्स में सीबीसीएस इस वर्ष 22-25 से लागू किया गया है. जबकि वोकेशनल कोर्स में यह 2019 में ही लागू कर दिया गया था. सीबीसीएस लागू होने के कुछ ही दिनों बाद कोरोना महामारी आने के कारण सेमेस्टर लेट हुआ और उसके बाद से यह अभी तक लेट ही चल रहा है.
पीजी रेगुलर की कक्षाएं दो सितम्बर से शुरू
पटना विश्वविद्यालय में नए सत्र 2022-23 में नामांकन की प्रक्रिया जुलाई में आरंभ हुई थी. नामांकन के लिए बीएन कॉलेज को नोडल कॉलेज बनाया गया था.
विवि में पीजी रेगुलर कोर्स के लिए एक जुलाई 2022 से आवेदन फॉर्म भराना आरंभ हुआ था जो 20 जुलाई तक चला था. वहीं पीजी रेगुलर के लिए जिस विषय में लिखित परीक्षा के आधार पर नामांकन होना था उन विषयों की लिखित परीक्षा 25 और 26 जुलाई को लिया गया था. ये विषय पीएमआईआर, एलएलएम तथा एमएड थे. अन्य पीजी कोर्स में नामांकन स्नातक मे आये मार्क्स के आधार पर हुआ था.
वहीं एलएलबी में नामांकन लिखित परीक्षा के आधार लिया गया. नामांकन के लिए अंतिम तिथि 20 अगस्त निर्धारित किया गया था. एक सितंबर को स्नातक एवं स्नातकोत्तर के लिए इंडक्शन मीट रखा गया जिसके बाद दो सितंबर से कक्षाएं शुरू कर दी गयीं.
लेकिन विश्विद्यालय के लिए पहले से चले आ रहे सत्र को नियमित करना ही बड़ी चुनौती रहा है.