सीवान (Siwan) जिले में पिछले 24 घंटों में जहरीली शराब पीने से एकबार फिर 7 लोगों की मौत हो गई है. मौत के आंकड़े बढ़ने की आशंका है क्योंकि 14 से ज्यादा लोगों की हालत अभी गंभीर बनी हुई हैं. साथ ही इनमें से 6 लोगों की आंखों की रौशनी चली गई है.
जिन लोगों की हालत गंभीर हैं, उनमें से 2 का इलाज सीवान (Siwan) में चल रहा है. वहीं बाकि 3 लोगों का इलाज गोरखपुर और 9 लोगों को इलाज के लिए पटना लाया गया है.
जहरीली शराब के अधिकतर मामले जिले के लकड़ी नवीगंज ओपी थाना क्षेत्र के बाला और भोपतपुर गांव में हुए हैं. रविवार (22 जनवरी) शाम को अचानक एक-एक करके मरीज सदर अस्पताल आने लगे जिसमे से देर शाम अस्पताल पहुंचते वक्त एक व्यक्ति की मौत हो गई. उसके बाद रात में दो और लोगों ने दम तोड़ दिया.
आज सुबह (23 जनवरी) तक मिली जानकारी के अनुसार 5 और लोगों की जान चली गई है. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि मरने वाले की संख्या 8 से ज्यादा हो सकती है.
पीड़ितों की संख्या जानने के लिए डेमोक्रेटिक चरखा ने सीवान (Siwan) के सिविल सर्जन अनिल कुमार भट्ट से संपर्क किया. लेकिन सिविल सर्जन अनिल कुमार भट्ट का कहना है कि उन्हें अभी नहीं पता है की कितने लोगों की मौत हुई है.
अनिल कुमार कहते हैं
“मुझे अभी पूरी जानकारी नहीं है. इसके आंकड़े मेडिकल सुप्रिटेंडेंट देंगे.”
वहीं सीवान पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से बताया है कि लकड़ी नवीगंज ओपी के ग्राम बाला में संदिग्ध परिस्थिति में बीमार हुए 12 लोगों को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती किया गया था जिनमें से इलाज के दौरान 7 लोगों की मृत्यु हो गई है.
घटना वाली रात जिले के डीएम अमित कुमार पांडेय देर रात जिला अस्पताल पहुंचे थे और करीब एक घंटे तक पूछताछ की.
बताया शराब बनाने के लिए स्प्रिट कोलकाता से सैनिटाइजर बनाने के नाम पर मंगाई गई थी. स्प्रिट 18 जनवरी को मुजफ्फरपुर के ट्रांसपोर्टर के माध्यम से लाई गई थी.
वहीं इस मामले में अबतक 16 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है. लेकिन अधिकारी अभी इस घटना पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं और उनका कहना है की जबतक पोस्टमार्टम की रिपोर्ट नहीं आएगी तबतक कुछ कहा नहीं जा सकता है.
क्या शराब की तलब मौत के डर से ज्यादा हावी?
बीते साल दिसंबर महीने में सारण (Saran) जिले में जहरीली शराब पीने से 70 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी. लेकिन सरकार ने अधिकारिक तौर पर केवल 42 लोगों के मौत की पुष्टि की थी.
सरकारी आंकड़ों में भले ही मृतकों की संख्या 42 हों लेकिन डेमोक्रेटिक चरखा टीम के पास 74 मृतकों के नाम मौजूद हैं. जिसमें 34 मृतक तो अकेले मशरख इलाके के अलग-अलग गांवों के रहने वाले थे.
वहीं सारण शराब कांड के बाद राज्य में शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार की आलोचना से बौखलाए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि
“जो शराब पिएगा वो मरेगा ही. ज़हरीली शराब से तो लोग मरते ही हैं, और देश भर में मरते है. जब शराबबंदी नहीं थी तो भी लोग यहां मरते थे.”
इसके बाद बिहार विधानसभा में जब पीड़ितों को मुआवज़ा देने की मांग उठी तो सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि
“शराब पीने से हुई मौत पर किसी को भी मुआवजा नहीं दिया जाएगा.”
सारण (Saran) में हुई घटना को बीते अभी मात्र 40 दिन के आसपास ही हुआ होगा कि वापस से सीवान में यह घटना घट गई.
यहां एक सवाल हमारे आपके मन में जरुर उठता है कि आखिर शराब पीने की ‘तलब’ क्या ‘मौत’ के भय से ज्यादा अहमियत रखता है?
इसपर लकड़ी नवीगंज प्रखंड अस्पताल के डॉक्टर डॉ राजेश रंजन कहते हैं
“जिन्हें शराब पीने की लत होती है, वे तय नहीं कर पाते हैं कि यह जानलेवा भी हो सकता है. क्योंकि वे उस समय इस स्टेट (अवस्था) में नहीं होते है की ज्यादा सोचे समझे. शराब पीने की लत एक हैबिचुअल (आदतन) और क्रोनिक (दीर्घकालिक) बीमारी है. ऐसे में जब शराब उनके सामने या आसपास मिल रहा हो तो शराब की लत वाले लोग इसके बुरे परिणाम को जानते हुए भी अपने आप को रो०क नहीं पाते हैं.”
डॉ राजेश आगे कहते हैं
“चूंकि देशी शराब सस्ती होती है इसलिए ग्रामीण इसके शिकार हो जाते हैं. लोगों को जागरूक रहने की जरुरत है.”
कब तक गिनेंगे मृतकों की संख्या?
एनसीआरबी (NCRB) के रिपोर्ट के अनुसार 2015 से 2021 तक बिहार में जहरीली शराब पीने से मात्र 23 लोगों की मौत हुई है. एनसीआरबी ये आंकड़े स्थानीय पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़ों के आधार पर तैयार करती है.
2016 में सिर्फ 9 मौत बताई गई, जबकि अगस्त 2016 को अकेले गोपालगंज के खजूरबानी में 19 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई थी. इसकी पुष्टि कोर्ट में भी हो गई थी. जिसके बाद 5 मार्च 2021 को स्पेशल कोर्ट ने 13 लोगों को सजा भी सुनाई थी. पहली बार शराबकांड में 9 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी, जबकि 4 को उम्रकैद मिली.
लेकिन पटना हाईकोर्ट ने 13 जुलाई 2022 को खजूरबानी केस में फांसी की सजा पाए 9 अभियुक्तों को सजा से मुक्त कर दिया था.
वहीं इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में ज़हरीली शराब पीने की वजह से 13 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद से छपरा, सिवान, गोपालगंज, बेतिया, मुजफ्फरपुर, भागलपुर जैसे जिलों से भी ज़हरीली शराब से मौत की खबरें सामने आयीं थी.
पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के अनुसार 6 साल में बिहार में 1 हजार से ज्यादा मौतें जहरीली शराब के कारण हो चुकी हैं.
इतनी मौतों के बाद भी राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के पास दर्ज आंकड़े केवल 23 कैसे हैं? इसपर पूर्व पुलिस अधीक्षक सह-सहायक नागरिक सुरक्षा आयुक्त के पद से रिटायर हुए आईपीएस अमिताभ कुमार दास कहते हैं,
“पुलिस अधिकारीयों के ऊपर आंकड़ों को मैनेज करने या कम दिखाने का दबाव होता है. इसलिए शराब पीने से हुई मौत को आनन-फानन में दबाने का प्रयाश किया जाता है. इससे शराब से मौतों का सही आंकड़ा रिपोर्ट ही नहीं हो पाता. राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से हमको वहीं आंकड़े मिलते हैं जो स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो देती है. इसीलिए जो आंकड़े जारी हो रहे हैं और जो हम घटते हुए देख रहे हैं, उनमें इतना अंतर है.”
दूसरी बात यहां यह उठती है की जिनके परिजनों की मौत हुई है वे भी क्यों नहीं बताते हैं की शराब पीने से मौत हुई है?
अमिताभ दास कहते हैं
“ज्यादातर मौतें गरीब और अशिक्षित परिवार में होती हैं. पुलिस वाले आसानी से इन परिवारों को परेशान करती है और उन्हें डरा देती है की बताओगे तो उलटे तुम्हें ही नुकशान उठाना पड़ेगा. इस कारण परिजन भी चुप हो जाते हैं और दाह-संस्कार कर देते हैं.”
अमिताभ दास आगे कहते हैं
“नीतीश कुमार ने शराबबंदी को अपने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है. जबकि शराबबंदी के बाद से राज्य में शराब माफ़िया पैदा हो गए हैं. पिज्ज़ा की तरह शराब की होम डिलीवरी हो रही है. राज्य को राजस्व घाटा हो रहा है. जिन गरीबों और पिछड़ों की बात वो करते हैं ज्यादातर वहीं लोग इसके शिकार हो रहे हैं. जब सारण या सिवान जैसी घटना घटती है तो केवल चौकीदारों का तबादला कर दिया जाता और बड़े-बड़े माफिया बच निकलते हैं.”
सीवान घटना के बाद सोमवार की शाम मामले में कार्रवाई करते हुए सीवान एसपी ने लकड़ी नवीगंज ओपी थानाध्यक्ष सूरज प्रसाद और चौकीदार मोहम्मद को निलंबित कर दिया है.