डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रंजित सिंह हत्याकांड में बरी कर दिया है. राम रहीम समेत पांच लोगों को हाईकोर्ट ने इस मामले में बरी किया है. हालांकि इसके बाद भी राम रहीम को जेल में ही रहना होगा. क्योंकि राम रहीम तीन अन्य मामलों में भी आरोपी हैं. इसमें पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और साध्वियों के साथ यौन शोषण के दो मामले हैं.
पत्रकार रामचंद्र हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद और साध्वियों के साथ यौन शोषण मामले में 10-10 साल की सजा हुई है.
किस मामले में हुए बरी
राम रहीम की संस्था डेरा सच्चा सौदा में कुरुक्षेत्र के रहने वाले रणजीत सिंह मैनेजर का काम करते थे. रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गयी. मामले में शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने डेरा को क्लीन चित दे दिया था. लेकिन रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने 2003 में हाईकोर्ट को दरवाजा खटखटाया. याचिका में जगसीर ने CBI जांच की मांग की.
कोर्ट ने केस की जांच CBI को सौप दी. मामले में पहली बार राम रहीम का नाम उसके ड्राइवर खट्टा सिंह के बयान के बाद आया. साल 2007 में CBI ने राम रहीम समेत पांच लोगों को इसमें आरोपी बनाया. मामले में राम रहीम और पांचो आरोपियों को 19 सालों बाद साल 2021 में उम्रकैद की सजा सुनाई गयी.
लेकिन इसके खिलाफ राम रहीं ने हाईकोर्ट का रुख किया जहां से उसे आज तीन सालों बाद राम रहीम को बरी कर दिया गया.
गुमनाम चिठ्ठी से जुड़े ‘हत्या’ के तार
रणजीत सिंह और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के हत्या के तार एक गुमनाम चिठ्ठी से जुड़े हैं. साल 2002 में एक गुमनाम चिठ्ठी तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को लिखी गयी थी. चिठ्ठी में डेरा सच्चा सौदा में साध्वियों के साथ यौन शोषण का खुलासा किया गया था. चिठ्ठी सामने आने के बाद रणजीत सिंह ने मैनेजर के पद से इस्तीफा दे दिया. और रणजीत सिंह के परिवार ने भी डेरा से नाता तोड़ लिया.
CBI ने अपनी जांच में दावा किया था कि डेरा को शक था कि यह गुमनाम चिठ्ठी रणजीत सिंह ने अपनी बहन की मदद से लिखवाई थी. क्योंकि चिठ्ठी में रणजीत की बहन का भी नाम था. चिठ्ठी सामने आने के बाद डेरा प्रमुख ने रणजीत सिंह को बुलाया और धमकी दी. इसके बाद ही रणजीत सिंह की हत्या हो जाती है.
बाद में वहीं गुमनाम खत सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति भी अपने अखबार में छापते हैं. जिसके बाद उनकी भी हत्या हो जाती है.