Employment

STET 2019: 3 सालों से बिहार के शिक्षक कर रहे हैं अपनी नियुक्ति का इंतज़ार

पटना के गर्दनीबाग को प्रदर्शन स्थल बनाया गया है. इस स्थल पर सबसे अधिक प्रदर्शन शिक्षक नियुक्ति को लेकर हुए हैं. 8 मई से फिर से गर्दनीबाग में शिक्षक नियुक्ति को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है. साल 2011 में शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा ली गयी थी. जिसका परीणाम साल 2014 में आया था. अभी तक उसकी बहाली की प्रक्रिया चल रही है.

साल 2019 में बिहार सरकार ने STET की परीक्षा ली थी. सबसे पहले ये परीक्षा ऑफलाइन मोड में ली गयी जिसमें प्रशन पत्र ही लीक हो गया. बाद में इस परीक्षा को रद्द किया गया था. साल 2020 के सितंबर में ये परीक्षा ऑनलाइन मोड में ली गयी.

परिणाम घोषित होने के बाद से इसमें सफ़ल छात्र अपने नियुक्ति की राह देख रहे हैं. मोहम्मद ज़या गया के रहने वाले हैं. इन्होने साल 2010 में 2.75 लाख में अपनी ज़मीन बेच कर B.Ed की पढ़ाई की. उन्हें उम्मीद थी कि इसके बाद वो शिक्षक बन जायेंगे. लेकिन परीक्षा में सफ़ल होने के बाद भी आज तक उनकी नियुक्ति नहीं हुई है.

यू-डायस से लेकर UNICEF की रिपोर्ट में भी ये बताया गया है कि बिहार में शिक्षकों की बहुत कमी है. बल्कि सरकार ख़ुद मानती है कि बिहार में शिक्षकों की काफ़ी कमी है. इसी कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने ये कहा था कि अगस्त 2021 तक सारे रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति हो जायेगी लेकिन मई 2022 के महीने तक रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है. नियुक्ति का पेंच कहां फंसा है इसे जानने के लिए डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव संजय कुमार के दफ़्तर से संपर्क किया जहां हमें ये जानकारी मिली कि काफ़ी दिनों तक पटना हाईकोर्ट ने इस नियुक्ति में स्टे लगाया हुआ था अभी वो स्टे हटा है तो अब नियुक्ति का काम शुरू होगा.

दरअसल यह पूरा मामला पटना हाईकोर्ट में दायर नेशनल फेडरेशन ऑफ द ब्लाइंड की याचिका पर पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेश से जुड़ा है. इसमें 24 जुलाई 2020 को चीफ जस्टिस संजय करोल ने आदेश दिया था कि बिहार में बहाली की प्रक्रिया पर इस मामले के निष्पादन होने तक रोका लगाई जाती है.

नेशनल ब्लाइंड फेडरेशन ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि बिहार में शिक्षक नियोजन समेत तमाम बहालियों में नेत्रहीन दिव्यांगों के लिए आरक्षित रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है.

शिक्षकों के नियोजन के लिए बिहार में शिक्षक अभियार्थियों के आंदोलन का एक लंबा दौर रहा है. साल 2014 में चुने गए शिक्षकों की बहाली अभी तक नहीं हुई है जिसके वजह से शिक्षक अभियार्थियों ने लगातार आंदोलन किया लेकिन सरकार को कोई फ़र्क नहीं पड़ा. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये वादा किया था कि वो जल्द से जल्द शिक्षकों के ख़ाली पदों को भरेंगे. एक साल बाद भी जब शिक्षकों के रिक्त पदों को नहीं भरा गया तब 5 सितंबर, शिक्षक दिवस के दिन 94 हज़ार शिक्षक अभियार्थी ने पटना में आंदोलन भी किया था.

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शिक्षकों की नियुक्ति पर कई मौकों पर अलग-अलग बयान दिए हैं. सबसे पहले उन्होंने ये भरोसा दिलाया था कि कोर्ट से मामला ख़त्म होने के 15 दिनों के अन्दर नियुक्ति पत्र शिक्षकों को मिल जाएगा. उसके बाद उन्होंने 15 अगस्त तक नियुक्ति की बात कही थी. कुछ दिनों पहले एक प्रेस कांफ्रेस के दौरान शिक्षा मंत्री ने दिवाली से पहले शिक्षकों की नियुक्ति का वादा किया था लेकिन अब शिक्षा मंत्री ने जनवरी 2022 से लेकर मार्च 2022 तक नियुक्ति की बात कही है.

नीतीश आज़ाद खगड़िया जिले के रहने वाले हैं. वो भी पटना इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए आये हैं. डेमोक्रेटिक चरखा से बातचीत करते हुए नीतीश आज़ाद ये बताते हैं

“सरकार युवाओं को सड़क पर लाने के बारे में सोच चुकी है. उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि सरकारी स्कूल में शिक्षक पद खाली हैं तो उसे भरने का काम करे. शिक्षक नियुक्ति नहीं होने की वजह से सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर सीधा असर पड़ रहा है. सरकार गरीब बच्चों को शिक्षा से दूर रखना चाहती है.”

सरकार ने शिक्षक नियुक्ति को लेकर जिस तरह से छात्रों का समय बर्बाद किया है उसपर STET संघ के मीडिया प्रभारी बंटी कुमार कहते हैं

हम किसान हैं. अगर सरकार हमें नियुक्ति पत्र नहीं देगी तो कुछ दिन में हम खेती भी बेचनी पड़ जायेगी. हम पर घर चलाने की जवाबदेही है. लेकिन सरकार को ये नहीं समझ में आ रहा है कि हमारा भविष्य पूरा ख़त्म होने की कगार पर पहुंच चुका है. सरकार इस मामले को अगले विधानसभा चुनाव (साल 2025) तक ले जायेगी. ताकि उस समय नियुक्ति करके वो अपना वोट बटोर सके. लेकिन इसकी वजह से हमारा जीवन बर्बाद हो गया है.

शिक्षक नियुक्ति नहीं होने की वजह से बिहार की शिक्षा व्यवस्था चरमरा चुकी है लेकिन सरकार इस मामले पर सिर्फ़ टालमटोल करने का काम ही कर रही है.

Amir Abbas
My name is Amir

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