सफ़ाईकर्मियों की हड़ताल, स्वच्छता रैंकिंग में कैसे नंबर वन बनेगा पटना?

पटना नगर निगम के सफ़ाईकर्मी एक बार फिर हड़ताल पर चले गये हैं. रोज़गार, दैनिक मजदूरी और स्थायीकरण की पुरानी मांग के साथ लगभग 8500 सफ़ाईकर्मी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हैं.

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सफ़ाईकर्मियों की हड़ताल, पटना स्वच्छता रैंकिंग में कैसे बनेगा नंबर वन

सफ़ाईकर्मियों की हड़ताल, पटना स्वच्छता रैंकिंग में कैसे बनेगा नंबर वन

सफ़ाईकर्मियों की हड़ताल पटना में फिर से शुरू हो गयी है. दैनिक मजदूरी और स्थायीकरण की पुरानी मांग के साथ लगभग 8500 सफ़ाईकर्मी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठे हैं. इनमें लगभग 2500 महिला सफ़ाईकर्मी भी शामिल हैं. हड़ताल का आज दूसरा दिन है. लेकिन निगम की गाड़ियां कई मोहल्लों में पिछले तीन दिनों से नहीं पहुंची है. जिसके कारण लोग घर का कचरा सड़क पर फेंक रहे हैं.

दुकानदारों द्वारा भी कचरा सड़क पर फेंका जा रहा है. सड़कों की सफ़ाई नहीं हुई है. वहीं कल रात शहर में बारिश होने के कारण सब्जी मंडी और चौक-चौराहों की स्थिति और ज़्यादा नारकीय हो गयी है.

हड़ताल की वजह से फैला कचरा
हड़ताल की वजह से फैला कचरा

क्या है सफ़ाई कर्मचारियों की मांग

पटना नगर निगम में काम करते हुए कई सफ़ाईकर्मियों को 15 से 17 साल हो गया हैं. लेकिन अभी तक उन्हें स्थायी कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला है. स्थायीकरण नहीं होने के कारण कर्मियों को न्यूनतम वेतन मिलता है.

पटना नगर निगम संयुक्त कर्मचारी समन्वय समिति के बैनर तले कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं. समिति ने कर्मचारियों की मांगों को लेकर सफ़ाई कर्मियों की हड़ताल बुलाई है. जिसमें प्रमुख रूप से दैनिक मज़दूरों के स्थायीकरण और 18 हजार से 21 हजार तक न्यूनतम वेतन, आउटसोर्सिंग समाप्त करने, समान काम का समान वेतन सहित कई मांगे मांगी गयीं हैं.

सफ़ाईकर्मियों के कॉर्डिनेशन कमिटी के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश सिंह का कहना है कि पिछले सात वर्षों सफ़ाईकर्मियों का मात्र दो बार वेतन बढ़ा है. दलित और पिछड़े समुदाय से आने के कारण सरकार इनका शोषण करती हैं.

डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए चंद्रप्रकाश कहते हैं, “हड़ताल पर जाना सफ़ाईकर्मियों की मजबूरी है. हमारी कोई भी मांग नई नहीं है. हम लोगों ने इससे पहले भी आउटसोर्सिंग समाप्त करने और समान काम का समान वेतन मांगा था. पिछले वर्ष हड़ताल हमने कोर्ट का सम्मान करते हुए ख़त्म कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने आश्वासन देते हुए नगर विकास विभाग को आदेश दिया था कि हमारी बात सुनी जाए. लेकिन निगम ने कोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं किया. हमारी मांगों को पूरा नहीं किया.”

हड़ताल पर बैठी महिला सफ़ाईकर्मी
हड़ताल पर बैठी महिला सफ़ाईकर्मी

नगर निगम आउटसोर्स कंपनी की मदद से सफ़ाईकर्मियों की नियुक्ति करता है. निगम द्वारा कम्पनी को तीन वेतन स्लैब 28 हज़ार, 24 हज़ार और 18 हज़ार के हिसाब से भुगतान किया जाता है. लेकिन कंपनी इन कर्मचारियों को 10 से 12 हज़ार रुपया ही देती है.

आउटसोर्स के माध्यम से ड्राईवर के पद पर काम करने वाले ड्राइवर जितेंद्र कुमार बताते हैं “आज के समय में 10 हज़ार में घर चलाना मुश्किल है. हमें आउटसोर्स कंपनी द्वारा 10 हज़ार दिया जाता है. जबकि नियुक्ति के समय 18 हज़ार की बात कही गयी थी. हमें महीने पर रखा गया है लेकिन अगर किसी दिन वार्ड में गाड़ी की डिमांड नहीं हुई और हम गाड़ी लेकर नहीं निकले  हैं हाज़री काट दिया जाता है. पैसा काट लिया जाता है.”

जितेंद्र कुमार का कहना है “जब हम निगम के लिए काम करते हैं तो बीच में आउटसोर्सिंग कंपनी का क्या काम है. निगम खुद हमारी बहाली करे.”

वेतन कटौती के कारण पर बात करते हुए चंद्रप्रकाश सिंह कहते हैं “आउटसोर्स कंपनी तीन स्लैब- गाड़ी के मेंटेनेंस, कर्मचारियों के सुपरविजन और मैनेजमेंट के लिए 8 हज़ार, 6 हज़ार और 4 हज़ार प्रति व्यक्ति कमीशन लेती है. हमने इस बात को भी उठाया है कि कमीशन क्यों लिया जाता है.” 

भूखे पेट कैसे करेंगे सफ़ाई

सफ़ाईकर्मी श्रीकांति देवी के छह बच्चे हैं. आउटसोर्स के तहत रूबी और उनके पति लोहानीपुर क्षेत्र में सड़क पर झाड़ू लगाने का काम करते हैं.

श्रीकांति देवी बताती हैं “काट छाटकर महीने में 4 से 5 हजार रूपया हाथ में मिलता है. इतना ही पैसा मेरे पति को भी मिलता है. अब 8-10 हज़ार में आठ परिवार कैसे भर पेट खाएंगे.” 

सफ़ाईकर्मियों का कहना है कि साढ़े दस हज़ार में इस मंहगाई में घर चलाना मुश्किल है. साल 2020 से हर साल हड़ताल कर रहे हैं. बावजूद इसके 15 से 17 वर्षों से काम करने वाले कर्मचारी नियमितीकरण का इंतज़ार कर रहे हैं. सफ़ाईकर्मी लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं लेकिन निगम उनके स्वास्थ्य को ही खतरे में डाल रही हैं.

पाटलिपुत्रा अंचल में काम करने वाले सफ़ाईकर्मी विनोद कुमार कहते हैं “छह लोगों का परिवार है. बच्चा सब छोटा है. हम अकेले काम करने वाले हैं. अभी मां की तबियत ख़राब थी. कर्ज़ लेकर इलाज कराए थे और महीने के अंत में 10 हज़ार 200 रूपया हाथ में मिला. अब इतना में खाएं, किराया भरें या कर्ज़ लौटाएं.” 

श्रीकांति देवी भी महिला सफ़ाईकमी हैं जो हड़ताल पर हैं
श्रीकांति देवी भी महिला सफ़ाईकमी हैं जो हड़ताल पर हैं

सफ़ाई होने का दावा कर रही है निगम

हड़ताल के बावजूद निगम सफ़ाई होने का दावा कर रही है. मीडिया को दी गयी जानकारी में नगर आयुक्त अनीमेष कुमार पराशर ने सफ़ाई के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की बात कही थी. लेकिन हड़ताल के दूसरे दिन ही शहर में फैली गंदगी नगर आयुक्त के दावे की पोल खोल रहे हैं.

ना तो सड़कों की सफ़ाई हुई है और ना ही घरों से कचरों का उठाव हुआ है. आखिर बार-बार सफ़ाईकर्मियों के हड़ताल पर जाने का कारण क्या है? क्यों नगर निगम इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकल पा रहा है. इसकी जानकारी के लिए डेमोक्रेटिक चरखा नगर आयुक्त से मिलने उनके कार्यालय गयी. लेकिन दो घंटे बैठाने के बाद नगर आयुक्त बिना कोई जवाब दिए निकल गये.

वहीं हड़ताल के दौरान आउटसोर्सिंग एजेंसी मौर्य ऑटो सर्विस के 25 ड्राइवर पर कार्रवाई की गई है. इसके अलावा पटना नगर निगम के 15 दैनिक सफाई कर्मियों के मूल पद पर ट्रांसफर भी किया गया है. नगर आयुक्त के निर्देश पर इन कर्मियों को नए अंचल में कार्य करने का दायित्व दिया गया. इसके साथ ही पटना नगर निगम में अनुकंपा के आधार पर 10 अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया गया.

हड़ताल के दौरान मौर्यालोक परिसर में धारा 144 लगाया गया था. इस दौरान प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रदर्शन करने और लोगों को उकसाने के आरोप में चंद्रप्रकाश सिंह, राम यतन प्रसाद, मंगल पासवान, नंदकिशोर दास सहित कई लोगों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है.

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