शिक्षक नियुक्ति: क्या बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा से शिक्षा का स्तर बढ़ेगा?

नई नियमावली लागू होने के बाद अब शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से होगी. बीपीएससी के माध्यम से नियुक्त शिक्षक

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पल्लवी कुमारी
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नई नियमावली लागू होने के बाद अब शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से होगी. बीपीएससी के माध्यम से नियुक्त शिक्षक अब राजस्वकर्मी कहलाएंगे. नई नियुक्ति नियमावली मंगलवार 11 अप्रैल से प्रभावी हो गयी है.

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शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 पर लगायी गयी मुहर

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बिहार सरकार ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 पर मुहर लगा दिया है. सोमवार, 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्यवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2023 की मंजूरी दे दी गई है.

नई नियुक्ति नियमावली आने के बाद सीटीईटी (CTET), एसटीईटी (STET) और टीईटी (TET) उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में इसकों लेकर अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है. कुछ अभ्यर्थियों का मानना है कि नई नियमावली आने से मेरिट वाले स्टूडेंट को कोई परेशानी नहीं है. वहीं कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि पहले निकाली गयी नियुक्ति नोटिफ़िकेशन में एक अन्य परीक्षा के बारे में सूचना नहीं दी गयी थी.

सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी पास अभ्यर्थियों के साथ धोखा 

बक्सर के रहने वाले श्रीकांत दुबे दो सालों से सीटीईटी (CTET) परीक्षा पास कर नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं. श्रीकांत नियुक्ति प्रक्रिया में हुए बदलाव से काफ़ी परेशान हैं और कहते हैं

2019 में एसटीईटी परीक्षा का फॉर्म आया और परीक्षा 2020 में आयोजित किया गया. जिसे बाद में रद्द कर दिया गया. वापस 2021  में परीक्षा का आयोजन किया गया. रिजल्ट आने और मेरिट लिस्ट बनने के बाद से दो सालों से नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन नियुक्ति के बजाय सरकार एक और परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी कर रही है.

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श्रीकांत आगे कहते हैं

नियुक्ति का इंतज़ार करते-करते अभ्यर्थी हतोत्साहित हो चुके हैं. हमसे जूनियर बच्चे अब पैसा कमा रहे हैं जबकि हमलोग आज भी नियुक्ति के इंतजार में बेरोज़गार बैठे हैं. फैमिली सपोर्ट के लिए कोई कहीं पांच से दस हज़ार की नौकरी कर रहा है. नये नोटिफिकेशन के बाद उन्हें नौकरी छोड़कर वापस से तैयारी करना पड़ेगा. अगर दुर्भाग्यवश पहले प्रयास में सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी पास अभ्यर्थी परीक्षा पास नहीं कर पाए तो वापस उनका एक से दो साल तैयारी में चला जाएगा.

पश्चिम चंपारण के रहने वाले परवेज़ 2019 से सीटीईटी परीक्षा पास करके बैठे हैं. सातवें चरण की बहाली प्रक्रिया बदलने पर नाराज़ परवेज़ कहते हैं

मेरा कहना है सरकार शिक्षकों की पात्रता बीपीएससी के बजाय आईआईटी के माध्यम से नियुक्ति करे. सातवें चरण की बहाली का सपना दिखाकर तेजस्वी सरकार में आए. लेकिन नौकरी देने के बजाय सरकार दाव खेल रही है. इस देश में नेता बनना आसान है लेकिन अधिकारी बनना बहुत मुश्किल.  

परवेज़ बताते हैं

शिक्षक बनने के लिए बीएड करने में दो लाख से ज्यादा पैसा ख़र्च हो चुका है. परिजन किसी तरह पैसा का इंतज़ाम करके बीएड करवाए थे. 2019 से सीटीईटी परीक्षा पास किये हुए हैं. 2019 से 89 हज़ार सीटीईटी पास अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं.

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नए नियमावली से शिक्षक नियुक्ति, बनेंगे राज्यकर्मी  

नए नियमावली बनने से पहले शिक्षकों का चयन नगर निकाय, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद करती थी. साल 2006 से शहरी इलाकों में शिक्षकों की बहाली नगर निकाय, जबकि ग्रामीण इलाकों में बहाली की ज़िम्मेदारी ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के पास थी.

नई नियुक्ति प्रक्रिया में वर्ष 2006 से अब तक पंचायतीराज संस्था और नगर निकायों के अंतर्गत नियुक्त शिक्षक भी इस नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेकर राज्यकर्मी का दर्जा प्राप्त कर सकते हैं. इससे पहले शिक्षकों को स्थानीय निकाय कर्मी का दर्जा हासिल था.

पूर्व में कार्यरत शिक्षकों का तबादला जिले के बाहर नहीं किया जा सकता था. ग्रामीण स्तर पर भी शिक्षकों का तबादला इलाके से बाहर नहीं होता था. जबकि नई नियमावली में अब शिक्षकों को आवेदन के समय जिला चुनने का मौका मिलेगा. मेरिट के आधार पर शिक्षकों को उनके मनपसंद जिले में नियुक्ति दी जाएगा.

शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने मीडिया में दिए बयान में बताया

शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिलेगा. शिक्षकों का वेतन आकर्षक होगा. हर तरह की सुविधाएं मिलेगी. नियोजित शिक्षक भी बीपीएससी के माध्यम से होने वाली परीक्षा को पास कर नियमित शिक्षक बन सकेंगे. उनका वेतन भी आकर्षक होगा.

नियुक्ति की संख्या पर चंद्रशेखर कहते

फिलहाल सवा दो लाख के करीब शिक्षकों की बहाली की जाएगी, जबकि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अन्य पदों पर 40 से 45 हज़ार नियुक्तियां होंगी.

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सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी पास अभ्यर्थियों को मिलेंगे तीन मौंके

नई नियमावली के तहत मेधा परीक्षा पास अभ्यर्थियों को परीक्षा में बीपीएससी द्वारा आयोजित मेधा परीक्षा में अधिकतम तीन बार बैठने का मौका दिया जाएगा. वहीं नियोजित शिक्षकों को उम्र सीमा में 10 साल की छुट दी जाएगी. साथ ही नए नियम के तहत अब बिहार के स्थायी निवासी ही शिक्षक बन सकेंगें.

बिहार प्रारंभिक युवा शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मिका पाल सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं और कहते हैं

अगर बिहार के बच्चों का भविष्य सुनहरा बनाना है तो शिक्षक अभ्यर्थियों को परीक्षा से डरना नहीं है. लेकिन इस नियमावली के दो बिंदुओं पर सुधार करना आवश्यक है.

  • पहला- केवल तीन अटैमप्ट रखना उचित नहीं है. क्योंकि पहले से परीक्षा पास अभ्यर्थी यह मान बैठे थे कि उनकी नियुक्ति निश्चित है. ऐसे में हो सकता है उनका तैयारी थोड़ा कम पड़ जाए. ऐसे में उन्हें और मौकों की ज़रूरत होगी.
  • दूसरा- अगर सरकार की नियत सही है तो नियुक्ति परीक्षा से संबंधित नोटिफिकेशन और परीक्षा का सिलेबस जल्द जारी करे. सड़क पर उतरने वाले छात्र भी तैयारी में जुट जाएंगे.   
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नियोजित शिक्षकों को बिना किसी शर्त नियमित शिक्षक घोषित किया जाए 

नई शिक्षक नियमावली लागू होने के बाद राज्य के लगभग 4 लाख नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को नियमित कर्मी बनने के लिए नई नियुक्ति प्रक्रिया से गुज़रना होगा. माध्यमिक शिक्षक संघ सहित राज्य के अन्य शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है सरकार नियोजित शिक्षकों को बिना किसी शर्त के नियमित घोषित करे.    

टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम कहते हैं

पूर्व से नियोजित शिक्षक 10-15 सालों से अपनी सेवा सरकार को दे रहे हैं. इसलिए वो नई भर्ती प्रक्रिया में क्यों सम्मिलित होंगें? सरकार को उन्हें बिना किसी शर्त नियमित करना होगा. वहीं पहले से सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी पास अभ्यर्थियों को कहा जा रहा है की आप परीक्षा दीजिए. जबकि उस समय जब नोटिफिकेशन निकाला गया था तब यह सूचना नहीं दी गयी थी कि इस परीक्षा के बाद एक और परीक्षा ली जाएगी. बल्कि उस सूचना में यह कहा गया था कि जितनी सीट है उतना रिजल्ट होगा और उसके बाद बहाली ली जाएगी. अभ्यर्थी चार साल से बहाली के इंतजार में हैं. आधी बहाली प्रक्रिया होने के बाद नियम में बदलाव करना असंवैधानिक और गैरकानूनी है.

शिक्षक अभ्यर्थी तीन अटैमप्ट की बाध्यता को हटाये जाने की मांग करने के साथ-साथ निष्पक्ष परीक्षा कराए जाने कि मांग कर रहे हैं. एक अन्य मेधा परीक्षा लिए जाने से अभ्यर्थियों को परेशानी नहीं है. बल्कि अभ्यर्थियों कि मांग है कि परीक्षा निर्धारित समय और कदाचारमुक्त हो. वहीं पूर्व से नियोजित शिक्षक और चार सालों शिक्षक भर्ती परीक्षा पास अभ्यर्थियों को भी नईं भर्ती प्रक्रिया से छूट दिया जाना चाहिए.

राज्य में फ़िलहाल प्राइमरी से बारहवीं तक के करीब ढाई लाख शिक्षकों के पद खाली हैं.

BPSC