विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) ने बिहार के 15 विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित कर दिया गया है. यूजीसी की तरफ से इस बात की सूचना दी गई है. यूजीसी रेगुलेशन 2023 के मुताबिक डिफाल्टर घोषित होने वाले विश्वविद्यालयों को अब केन्द्रीय अनुदान नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान समेत भारत सरकार से मिलने वाले तमाम तरह के अनुदानों पर भी अब रोक लगा सकती है.
बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति किसी से नहीं छुपी नहीं है. शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बिहार में बुनियादी शिक्षा को ठीक करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. बावजूद इसके अभी कई स्तर पर शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है, ऐसे में अनुदान पर रोक लगा चिंता का विषय बन सकता है.
बार-बार चेताया
बीते साल दिसंबर में ही यूजीसी ने डिफाल्टर घोषित होने वाले विश्वविद्यालयों को हिदायत देकर छोड़ा था. दरअसल 9 महीने में इन विश्वविद्यालयों ने लोकपाल की नियुक्ति नहीं की थी, जिसके कारण अब यूजीसी ने कड़ा कदम लेते हुए इन विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया है.
लोकपाल को छात्रों के साथ होने वाले भेदभाव तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए किया जाना था. राज्य के केवल दो यूनिवर्सिटी यूजीसी के डिफाल्टर लिस्ट से बाहर हैं जिनमे आर्यभट्ट नॉलेज विश्वविद्यालय और मगध विश्वविद्यालय का है.
11 अप्रैल 2023 को विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए शिकायत निवारण रेगुलेशन जारी किया गया था, जिसके एक महीने के भीतर लोकपाल की नियुक्ति की चेतावनी यूजीसी ने जारी की थी. इसके बाद 5 दिसंबर को विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेज कर लोकपाल की नियुक्ति के लिए हिदायद दी गई थी. 31 दिसंबर 2023 तक इसके लिए अंतिम समय सीमा निर्धारित की गई थी, यूजीसी ने इसके बाद चेतावनी भी जारी की थी.
डिफाल्टर घोषित विश्वविद्यालय
यूजीसी ने जिन विश्वविद्यालयों को डिफाल्टर घोषित किया है उनके नाम है पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, बिहार इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय, बिहार विश्वविद्यालय ऑफ हेल्थ साइंसेज, मौलाना मजरुल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, बीआरबीयू विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा, संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा, एलएनएम विश्वविद्यालय दरभंगा, टीएमबीयू विश्वविद्यालय भागलपुर, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरासबा, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, मुंगेर विश्वविद्यालय मुंगेर, पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया.
क्यूं जरुरी है लोकपाल
यूजीसी के रेगुलेशन के अनुसार छात्रों से भेदभाव, एडमिशन या परीक्षा तथा रिजल्ट की प्रक्रिया से संबंधित भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए विश्वविद्यालयों को छात्र शिकायत निवारण समिति का गठन करना है. इस समिति से असहमत होने पर लोकपाल के पास अपील की जा सकती है. लोकपाल से अयोग्य छात्रों को प्रवेश देना, योग्यता पर भी किसी छात्र को प्रवेश देने से इनकार करना, सीटों के आरक्षण के कानून का पालन नहीं करना, एससी-एसटी, ओबीसी, महिला, अल्पसंख्यक अथवा दिव्यांग छात्रों से भेदभाव होने पर, परीक्षा परिणाम में अनुचित तरीका अपनाने पर लोकपाल से शिकायत की जा सकती है.
विश्वविद्यालय में सेवा निवृत्ति कुलपति या डीन को लोकपाल का पद दिया जा सकता है. या फिर 10 साल या इससे अधिक तक जिलों में न्यायाधीश का पद संभाल चुके भी लोकपाल नियुक्त किया जा सकते हैं.