झारखंड में आज चंपई सोरेन की सरकार का फ्लोर टेस्ट चल रहा है. पड़ोसी राज्य बिहार में भी आने वाले दिनों में फ्लोर टेस्ट होने वाला है. फ्लोर टेस्ट को देखते हुए बिहार में भी सियासी हलचल बिल्कुल तेज हो गई है. 12 फरवरी को होने वाले फ्लोर टेस्ट के पहले राज्य में विधायकों की खरीद की आशंका बनी हुई है. इस आशंका के पहले महागठबंधन के दूसरे सबसे बड़े घटक दल कांग्रेस ने अपने विधायकों के बचाव के लिए झारखंड की तरह ही हैदराबाद को चुना है.
फ्लोर टेस्ट के पहले कांग्रेस ने अपने 16 विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है. खबरों के मुताबिक कांग्रेस ने तीन विधायकों को छोड़कर बाकी सभी विधायकों को रविवार के दिन हैदराबाद शिफ्ट कर दिया. 10 फरवरी तक कांग्रेस के सभी विधायक हैदराबाद में ही रहेंगे और फ्लोर टेस्ट के एक दिन पहले 11 फरवरी को बिहार लौटेंगे.
कांग्रेस की ओर से विधायकों को हैदराबाद भेजे जाने पर कहा गया है कि सभी विधायक तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को बधाई देने के लिए गए है. मालूम हो कि दिसंबर 2023 में तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत हुई थी. जिसके बाद रेवंत रेड्डी को मुख्यमंत्री का पदभार दिया गया था. बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश सिंह का कहना है की नई सरकार बनी है, हम सभी यहां हैदराबाद पहुंचे हैं. मुख्यमंत्री से मिलेंगे उन्हें बधाई देंगे.
12 फरवरी के पहले एनडीए में भी फूट की खबरें भी चल रही है. एनडीए के अंदर कुछ दलों के नाराज होने की खबर आ रही है, जिसमें से एक हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा है. हम के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने खुले तौर पर सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दिया है. रविवार को जीतन राम मांझी ने खुले मंच से कहा कि उन्होंने दो मंत्री पद की मांग रखी थी. और इस मांग को लेकर उन्होंने गेम गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. मांझी ने कहा कि वे केवल अनुसूचित जाति कल्याण मंत्रालय से संतुष्ट नहीं है. उन्हें पुल, सड़क, नदी, तालाब सहित ग्रामीण क्षेत्र के विकास की जिम्मेदारी चाहिए. 1984 से 2013 तक जब भी मंत्री बने हैं तो सिर्फ अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री बने. अब बेटे संतोष कुमार सुमन को भी मंत्री बनाया गया तो उन्हें भी एससी-एसटी कल्याण मंत्री नीतीश कुमार ने बना दिया.
जीतन राम मांझी की मांग को लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान की तरफ से भी समर्थन मिला है. चिराग पासवान ने कहा कि क्या बात हुई है यह पता नहीं है, लेकिन अगर उन्हें बोला गया था तो उस बात का सम्मान करना चाहिए. भले ही मांझी के पास विधायक कम हो लेकिन इस परिस्थिति में यह जरूरी है.