आखिर बाएं हाथ की उंगली पर ही क्यों लगाई जाती है नीली स्याही? वोट देने के कितने घंटे तक रहती है?

नीले रंग की स्याही भारतीय चुनाव में एक अमिट पहचान रखती है. आज हम जानेंगे कि आखिर बाए हाथ पर ही यह नीली स्याही क्यों लगाई जाती है? और आखिर ये स्याही मिटती क्यूं नहीं है.

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बाएं हाथ की उंगली पर ही क्यों लगाई जाती है नीली स्याही

बाएं हाथ की उंगली पर ही क्यों लगाई जाती है नीली स्याही

आज लोकसभा चुनाव 2024 का सातवां और आखिरी चरण चल रहा है. वोट देकर लौटने वाले मतदाता की पहचान उसके बाएं हाथ की तर्जनी उंगली से लगाई जाती है. वोट देने के बाद तर्जनी उंगली में लगी स्याही इस बात की गवाह रहती है कि इस इंसान ने अपने मत का इस्तेमाल कर लिया है और अब दोबारा फर्जी वोट नहीं डाल सकता. नीले रंग की यह स्याही भारतीय चुनाव में एक अमिट पहचान रखती है. आज हम जानेंगे कि आखिर बाए हाथ पर ही यह नीली स्याही क्यों लगाई जाती है?

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दरअसल वोट देने के बाद बाएं हाथ में ही निशान लगाए जाते हैं, तो ख्याल आता है दाई हाथ की उंगली क्यूं नहीं. तो जवाब है कि दाहिने हाथ का इस्तेमाल हम खाना बनाने या खाना खाने के लिए करते हैं, ऐसे में स्याही में मौजूद केमिकल हमारे स्वास्थ्य को नुकसान न पहुंचाए इसलिए बाएं हाथ में स्याही लगाई जाती है. वही जिनके बाएं हाथ नहीं होते उन्हें दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली पर निशान लगाए जाते हैं और जिनकी तर्जनी उंगली ना हो उन्हें उसके बगल की उंगलियों में निशान लगा दिए जाते हैं. और जिनके हाथ ना हो ऐसी स्थिति में उन्हें पैर की उंगलियों में निशान लगाए जाते हैं.

कहते हैं कि लगभग 72 घंटे तक यह नीली स्याही उंगली से नहीं मिटती है. इसे बनाने में नाइट्रेट केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. यह केमिकल पानी के संपर्क में आने के बाद और गाढे रंग का हो जाता है और मिटता नहीं है, जिससे यह स्याही आसानी से दो-तीन दिन तक उंगली पर लगी रहती है. यह नीली स्याही सिर्फ भारत में ही इस्तेमाल नहीं की जाती बल्कि 25 से ज्यादा देशों में इसका निर्यात किया जाता है, जिसमें कनाडा, नेपाल और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश भी शामिल है.

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