11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून(CAA) देश भर में लागू कर दिया गया. CAA के विरोध में धीरे-धीरे देशभर में प्रदर्शन बढ़ने लगे हैं, असम में इसके खिलाफ मंगलवार की रात प्रदर्शन किया गया. असम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुतले फूंके गए और CAA कानून की प्रतियां जलाई गई.
मंगलवार को असम स्टूडेंट यूनियन ने CAA कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका की दायर की. उसके बाद यूनियन ने गुवाहाटी में मशाल जुलूस निकाला. मालूम हो कि लंबे समय तक असम में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था. राज्य के विपक्षी दलों और क्षेत्रीय संगठनों ने अब इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण सामूहिक विरोध प्रदर्शन का आवाहन शुरू किया है. असम में विपक्षी दलों ने कानून लागू करने पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला है.
असम में 12 घंटे हड़ताल की घोषणा
असम में मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की गई, जिसमें कई दलों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. प्रदर्शन में स्टूडेंट यूनियन ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि हमने हमेशा CAA के खिलाफ प्रदर्शन किया है. हमने सुप्रीम कोर्ट से इस कानून पर रोक लगाने की मांग की है. असम में पहले भी प्रवासियों का अवैध बोझ उठाया जा चुका है.
मंगलवार को 16 दलों के यूनाइटेड अपोजिशन फोरम ने असम में 12 घंटे हड़ताल की घोषणा की थी. इस हड़ताल का असर शिवसागर, गोलाघाट, नागांव और कामरूप जैसे जिलों में देखने मिला. इन जिलों में दुकान और व्यापारिक प्रतिष्ठान पूरे दिन बंद रहे.
1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर 6 वर्षीय आंदोलन हुआ था. इस आंदोलन को असम स्टूडेंट यूनियन ने बड़े स्तर पर किया था. एक बार फिर से स्टूडेंट यूनियन ने कहा है कि केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू होगी.
सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने CAA को लेकर किया दावा
दरअसल असम में हिंदू CAA कानून का विरोध कर रहे हैं. आसामियों का कहना है कि असम एक ऐसा राज्य है जो बांग्लादेश के साथ है 263 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है. असम का इतिहास, राजनीति और जनसंख्या प्रवास की लहरों से बदलता रहता है. प्रवासियों की वजह से एक लंबी और भयावह पृष्ठभूमि असम में तैयार हुई है. असम के लोगों का कहना है कि CAA कानून 1985 के असम समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन है.
वही असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने CAA को लेकर बड़ा दावा किया है. असम सीएम ने कहा कि अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल गई, तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे.