बांग्लादेश में पिछले महीने से ही सियासी उठा पटक चल रही है. देश में प्रदर्शनकारियों ने आतंक जैसे हालात बना दिए है. इस बीच बांग्लादेश की पीएम ने अपना इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया, जिसके बाद सेना ने अंतरिम सरकार गठन करने का ऐलान किया था. बीते कई दिनों की अस्थिरता के बाद देश में अंतरिम सरकार का गठन होने जा रहा है. बांग्लादेश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में सरकार बनने जा रही है. देश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में राष्ट्रपति भवन में एक मीटिंग के दौरान यह फैसला लिया गया कि मोहम्मद यूनुस नई सरकार के सलाहकार बनेंगे. प्रदर्शनकारी छात्रों की ओर से भी उन्हें स्वीकार किया गया है. राष्ट्रपति भवन में आयोजित मीटिंग में आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्र नेता के साथ तीनों सेनाओं के प्रमुख भी शामिल रहे.
नोबेल विजेता यूनुस का जन्म और अविभाजित भारत के चटगांव में हुआ था. 1940 में जन्मे यूनुस ने एक सोशल वर्कर, बैंकर और अर्थशास्त्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई. चटगांव यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने पीएचडी के दौरान छोटा लोन देकर लोगों की मदद करनी शुरू की. उनका यह काम धीरे-धीरे बढ़ता गया और उन्होंने बांग्लादेश ग्रामीण बैंक की स्थापना की. इस बैंक से वह छोटे व्यापारियों और छोटे किसानों की मदद करने लगे. इसके बाद बांग्लादेश ग्रामीण बैंक को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मोहम्मद यूनुस के इस पहल से लोगों को लंबे बैंकिंग चक्कर से छुटकारा मिला, इसके साथ ही लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में भी मदद मिली.
उनके इस बैंक मॉडल से दुनियाभर के लोगों ने प्रेरणा ली. अमेरिका में भी यूनुस ने एक अलग गैर लाभकारी संस्था ग्रामीण अमेरिका की शुरुआत की.
यूनुस नोबेल पुरस्कार के अलावा यूनाइटेड स्टेट से प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ़ फ्रीडम से भी सम्मानित किया जा चुके हैं. बांग्लादेश में उन्होंने नागरिक शक्ति के नाम से अपनी पार्टी बनाई, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.
मोहम्मद यूनुस पर पैसों के गबन का भी आरोप है. यूनुस के साथ तेरह अन्य लोगों पर 2 मिलियन डॉलर के गबन का आरोप है, जिसका यूनुस ने साफ तौर पर खंडन किया था. उन्होंने कहा था कि उन्हें और उनके साथियों को फसाने की कोशिश की जा रही है. बाद में मोहम्मद यूनुस पर मनी लांड्रिंग के आरोप सही साबित हुए और उन्हें श्रम कानून उल्लंघन मामले में सजा सुनाई गई. हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया. मौजूदा समय में यूनुस पर 100 से अधिक भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं.
माना जाता है कि शेख हसीना युनुस को खास पसंद नहीं किया करती थी. 2011 में हसीना सरकार ने यूनुस को ग्रामीण बैंक के प्रमुख पद से हटा दिया था. सरकार ने कहा था कि 73 वर्ष की उम्र में युनुस 60 वर्ष की कानूनी सेवानिवृत्ति आयु के बाद भी पद पर बने हुए हैं. हालांकि बांग्लादेश में इस चीज का भरपूर विरोध भी हुआ था. यूनुस भी हसीन सरकार की काफी आलोचना करते हैं. इसी साल जून में उन्होंने हसीना सरकार के खिलाफ कहा था कि बांग्लादेश में कोई राजनीति नहीं बची है. केवल एक पार्टी है, जो सक्रिय है और हर चीज पर कब्जा करती है. वह अपने तरीके से चुनाव जीतती है.