बिहार: देश में कल से दो दिनों तक ऑटो-बस की हड़ताल, मैट्रिक परीक्षार्थियों पर पड़ेगा असर

देश में कल से दो दिनों के लिए ऑटो-बस पूरी तरह से बंद रहने वाले हैं. ट्रेड यूनियनों ने 16 और 17 फरवरी को हिट एंड रन कानून के विरोध में एकबार फिर राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है.

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ऑटो-बस की स्ट्राइक

ऑटो-बस की हड़ताल

देश में कल से दो दिनों के लिए ऑटो-बस पूरी तरह से बंद रहने वाले हैं. देश के सभी ट्रेड यूनियनों ने 16 और 17 फरवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है. राष्ट्रव्यापी हड़ताल में देश के सभी राज्य सहयोग कर रहे हैं. ज्यादातर इस हड़ताल में हरियाणा, पंजाब, बिहार राज्यों के ऑटो चालक संघ अपनी आवाज को बुलंद कर रहे हैं.

सरकार हिट एंड रन कानून को वापस ले

16 फरवरी से शुरू होने वाले हड़ताल में सबसे ज्यादा समस्या मैट्रिक के परीक्षार्थियों को होने वाली है. राज्य में फिलहाल बिहार विद्यालय परीक्षा समिति(BSEB) के द्वारा मैट्रिक की परीक्षाएं ली जा रही हैं, जिसमें 8 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी के शामिल हो रहे हैं. 

ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन, बिहार के राजकुमार झा के नेतृत्व में राज्य में हिट एंड रन कानून के विरोध में दो दिनों के लिए चक्का जाम आंदोलन बुलाया है. पटना जंक्शन के टाटा पार्क ऑटो स्टैंड से इस आंदोलन की शुरुआत की जाएगी. ऑटो बस चालकों की यह मांग है कि सरकार हिट एंड रन कानून को वापस ले ले.

हिट एंड रन कानून के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हड़ताल

मालूम हो की हिट एंड रन कानून के खिलाफ देशभर में बस, ट्रक, ऑटो इत्यादि वाहन के चालक विरोध में खड़े हैं. देश में हिट एंड रन कानून के अंतर्गत दुर्घटना के बाद ड्राइवर को दुर्घटनास्थल से भागने से रोकना है. कानून के अनुसार अगर किसी ड्राइवर की लापरवाही से गाड़ी चलाते समय कोई गंभीर सड़क दुर्घटना होती है तो वह  पुलिस अधिकारी को घटना की जानकारी के बिना चले जाए तो ड्राईवर को दंडित किया जाएगा. जिसके तहत ड्राइवर को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है. 

पहले ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 304A का प्रयोग किया जाता था, जिसके तहत लापरवाही से किए गए किसी काम की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो अधिकतम 2 साल की जेल या जुर्माना हो सकता है. 

नए कानून पर ड्राइवर का कहना है कि अगर एक्सीडेंट उनकी गलती के बिना हुआ हो तो भी उन्हें भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है. इसके अलावा घायलों को अस्पताल ले जाने के समय ड्राईवर भीड़ की हिंसा का शिकार भी हो सकता है. 

पहले भी इस कानून के खिलाफ ट्रक ड्राइवर से लेकर टैंकर ड्राइवर समेत ट्रांसपोर्ट यूनियन के सदस्यों ने देशव्यापी हड़ताल किया था. उस हड़ताल से देश के कई हिस्सों में डीजल और पेट्रोल के आपूर्ति पर समस्या देखने को मिली थी.

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