Bihar Diwas Special: जानिए बिहार आधारित 5 बेहतरीन फिल्मों के बारे में, जिन्होंने दिखाई समाज की सच्चाई

Bihar Diwas Special: बिहार पर बनी 5 फिल्में जो राज्य की कई दबी और अनकही कहानियों को लोगों के सामने रखती है. इन फिल्मों को आज भी बिहार के अपराध, अपराधी, राजनीति और पुलिसिया कार्रवाई को जानने के लिए देखा जाता है.

New Update
बिहार पर आधारित 5 बेहतरीन फिल्मों के नाम

बिहार पर आधारित 5 बेहतरीन फिल्मों के नाम

आज हमारा बिहार 112 साल का हो गया, इस दिन को ख़ास और यादगार बनाने का एक तरीका बिहार बेस्ड फिल्मों को देखकर भी किया जा सकता है. 

फिल्में हमारी जिन्दगी का एक ऐसा आईना होती है जो भूत, भविष्य और वर्तमान को दर्शाती हैं. फिल्मों को समाज में बदलाव लाने और समाज की कड़वी, भद्दी और डरा देने वाली कहानियों को लोगों के सामने रखने के लिए बनाया जाता रहा है. अक्सर फिल्मों में हमारे ही समाज की कहानियों को तोड़-मरोड़ कर दिखाया जाता है. आज हम जानेंगे बिहार पर बनी ऐसी 5 फिल्मों के बारे में जिनसे राज्य की कई दबी और अनकही कहानियां लोगों के सामने आई है.

शूल

1. 1999 में बनी "शूल" है. बिहार के जमीनी हकीकत को दर्शाती यह फिल्म उस समय बनी जब राज्य में लालू यादव का राज था. उस समय जंगलराज के नाम से बिहार काफी मशहूर था. शूल फिल्म बिहार के राजनीतिक अपराध पर बनी है.

फिल्म में मनोज बाजपेई, सयाजी शिंदे, शिल्पा शेट्टी, गणेश यादव, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, राजपाल यादव और रवीना टंडन ने काम किया है. फिल्म को ईश्वर निवास ने डायरेक्ट किया है. वहीं इस फिल्म का पूरा बजट 5 करोड़ रुपए का था. मनोज बाजपेई को इस फिल्म में शानदार अभिनय करने के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड से नवाजा गया था.

गंगाजल

2. बिहार पर बनाई गई फिल्म "गंगाजल" में मुख्य किरदार के तौर पर अजय देवगन, ग्रेसी सिंह, मुकेश तिवारी और मोहन यादव है. अजय देवगन ने फिल्म में अमित कुमार (पुलिस इंस्पेक्टर) का किरदार निभाया है. वही बच्चा यादव के किरदार में मुकेश तिवारी और साधु यादव का किरदार मोहन जोशी ने निभाया है. 

2003 में रिलीज हुई यह फिल्म 1980 में हुए रियल इनसीडियस पर बनी है. दरअसल बिहार के भागलपुर में पुलिस ने करीब 31 अपराधियों की आंखों में तेजाब डाल दिया था, जिसकी हर तरफ काफी आलोचना हुई थी. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. इसके बाद पुलिस वालों को मुआवजा देना पड़ा था. फिल्म में अजय देवगन ने अपने किरदार से ईमानदारी और साहस का परिचय देने का प्रयास किया था. इस फिल्म को बिहार के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के समर्थकों की तरफ़ से भारी विरोध का सामना करना पड़ा था, क्योंकि फिल्म में साधु यादव का नाम इस्तेमाल किया जो राबड़ी देवी के भाई के नाम के  समान है. पटना उच्च न्यायालय में भी फिल्म को प्रतिबंधित करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी. 

फिल्म को प्रकाश झा ने डायरेक्ट किया था. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 16.67 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस फिल्म को साल 2003 में नेशनल इश्यू पर बनी बेस्ट फिल्म का नेशनल अवार्ड और फिल्मफेयर अवार्ड मिला था.

अपहरण

3. गंगाजल फिल्म के बाद प्रकाश झा ने एक और पॉलिटिकल फिल्म अपहरण बनाई. इस बार फिर प्रकाश झा ने बिहार बेस्ड कहानी को सबके सामने रखा. प्रकाश झा ने साल 2005 में "अपहरण" मूवी बनाई. इस फिल्म में मुख्य किरदार के रूप में अजय देवगन, नाना पाटेकर और बिपाशा बासु है. फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह से नेताओं के इशारे पर जेल के अंदर भी क्राइम का कारोबार चलता है. इसके अलावा फिल्म में दिखाया गया है कि अजय देवगन का किरदार एक पुलिस ऑफिसर बनने की चाह में रहता है. जिसके लिए वह 5 लाख रुपए उधार लेता है, लेकिन पुलिस भर्ती परीक्षा का भंडाफोड़ होने के बाद अजय देवगन को अपहरण प्लान करना पड़ता है.

इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 8 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाए थे. प्रकाश झा, मनोज त्यागी और श्रीधर राघवन को सर्वश्रेष्ठ पत्रकथा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था. वहीं सर्वश्रेष्ठ खलनायक और संवाद के लिए फिल्म फेयर का पुरस्कार नाना पाटेकर और प्रकाश झा को दिया गया था.

खाकी-द बिहार चैप्टर

4. अगली बिहार बेस्ड फिल्म नहीं बल्कि एक 7 एपिसोड की वेब सीरीज है. खाकी-द बिहार चैप्टर नेटफ्लिक्स पर रिलीज एक रियल इंसिडेंट आधारित वेब सीरीज है. वेब सीरीज को नीरज पांडे द्वारा निर्मित किया गया है. 

इस वेब सीरीज में मुख्य कलाकार के रूप में करण टैकर, अविनाश तिवारी, अभिमन्यु सिंह, आशुतोष राणा, अनूप सोनी समेत कई कलाकारों ने काम किया है. साल 2022 में इस सीरीज को नेटफ्लिक्स पर रिलीज किया गया था. इस सीरीज में शेखपुरा, नालंदा और पटना जिले में चंदन महतो नाम के अपराधी का वर्चस्व दिखाया गया है.

वेब सीरीज में दर्शाया गया है कि कैसे शेखपुरा के एक आईपीएस अमित लोढ़ा महतो गिरोह को काबू में बनाने के लिए जाल बिछाता है. 

इस वेब सीरीज रिलीज होने के बाद आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने केस दर्ज कार्रवाई शुरू की थी. यह कार्रवाई अमित लोढ़ा की किताब "बिहार डायरी" पर आधारित वेब सीरीज "खाकी-द बिहार चैप्टर" के कारण शुरू हुई थी. विशेष निगरानी इकाई के मुताबिक अमित लोढ़ा ने सरकारी सेवक के पद पर होने के बावजूद ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स के साथ वेब सीरीज के लिए फ्राइडे स्टोरी टेलर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ व्यावसायिक समझौते किए, जिससे उन्होंने लाखों रुपए की अवैध कमाई की. अमित लोढ़ा 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.

भक्षक

5. अगली और आज के लिए आखिरी बिहार बेस्ड फिल्म है इसी साल फरवरी में रिलीज हुई "भक्षक". यह फिल्म बिहार के वास्तविक बालिका गृह कांड, मुजफ्फरपुर पर बनाई गई है. फिल्म में पात्रों का नाम और शहर के नाम को भी बदलकर रियल कहानी को दर्शाया गया है. नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई इस फिल्म को शाहरुख खान के प्रोडक्शन कंपनी के तहत बनाया गया है. भक्षक में  मुजफ्फरपुर के बालिका गृह कांड के यौन उत्पीड़न, मारपीट की शिकार हुई 35 लड़कियों को किस तरह से बचाया गया और कैसे यह केस सामने आया, इसके बारे में दिखाया गया है.

फिल्म को डायरेक्ट पुलकित ने डायरेक्ट किया है. वही भूमि पेडनेकर, संजय मिश्रा, आदित्य श्रीवास्तव इत्यादि ने फिल्में दमदार एक्टिंग की है.

truth of bihar bihar based film 5 best films based on Bihar Bihar Diwas Speacial