स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 की रैंकिंग में बिहार को मिला 15वां स्थान, पटना ने फिर से किया निराश

स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की रिपोर्ट गुरुवार को दिल्ली में जारी की गई. इस रिपोर्ट में बिहार ने बीते साल से ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर अपनी रैंकिंग को सुधारा है. पटना को भी एक श्रेणी में रैंक 1 हासिल हुआ है.

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पटना को नंबर 1 रैंकिंग

पटना को नंबर 1 रैंकिंग

स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 का रिजल्ट बुधवार को जारी किया गया है. इस रिजल्ट में 1 से 10 लाख के बीच की आबादी वाले शहरों को स्वच्छता के आधार पर नंबर दिया गया है. स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा नंबर लाने वाला शहर बिहार में गया जिला है बीते तीन बार से गया पहले स्थान पर जमे हुए हैं. गया में 80% तक सार्वजनिक शौचालय को साफ पाया गया है.

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दिल्ली के भारत मंडपम में गुरुवार को स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 की अखिल भारतीय रैंकिंग को पेश किया गया. जिसमें बिहार को देश के 27 राज्यों में से 15वां स्थान मिला है. बिहार से 142 शहर सर्वेक्षण में शामिल हुए थे, जिसमें पटना शहर टॉप 100 में शामिल रहा. 1 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पटना की ऑल इंडिया रैंकिंग 77 रही है. पटना के बाद गया नगर निगम ने 272 अंक, बक्सर ने 299, दरभंगा ने 313 और डालमिया नगर ने 316 रैंक पर अपनी जगह बनाई है.

सुपौल को मिला सबसे स्वच्छ होने का पुरस्कार

एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में पटना और एक लाख से कम आबादी वाले शहरों में सुपौल को सबसे स्वच्छ होने का पुरस्कार मिला है.

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भारत के 61 कैंटोनमेंट शहर में से बिहार के दानापुर कैंट को सफ़ाई के मामले में 39वां रैंक मिला है.

गंगा किनारे बसे हुए शहरों को भी रैंकिंग दी गई है. इस श्रेणी में पटना को छठा रैंक मिला है. इसी श्रेणी के अंदर बिहार के बड़हिया को 14वां, सुल्तानगंज नगर परिषद को 15वां, फतुहा को 18वां, हाजीपुर को 20वां, कहलगांव को 21वां, बेगूसराय को 22वां, सोनपुर को 23वां, मोकामा को 28वां, जमालपुर को 30वां, बाढ़ को 32वां,  बक्सर को 33वां, मुंगेर को 38वां, दानापुर को 44वां और भागलपुर को 50वां रैंक मिला है. इसी श्रेणी में देशभर के 88 शहरों के बीच में प्रतियोगिता हुई थी.

पटना को स्टेट रैंकिंग में पहला स्थान

बिहार के 142 शहरों के 78% घरों से डोर टू डोर कचरा का उठाव बीते साल हुआ है. इसके अलावा 15% कचरे को अलग-अलग श्रेणी में बांटकर 11% कचरे की प्रोसेसिंग की जा रही है. सुपौल में 100% घरों से कचरा का कलेक्शन होता है.

बात करें ओडीएफ की तो बिहार के 86 शहरों को ओडीएफ, 56 शहरों को ओडीएफ प्लस और एकमात्र पटना शहर को वाटर प्लस का दर्जा दिया गया है. पटना को स्वच्छता में स्टेट रैंकिंग में पहला स्थान मिला है. वाटर प्लस के लिए पटना को पहली बार यह रैंक दिया गया है.

इस रैंकिंग के बावजूद अगर आप राजधानी पटना की उपरी स्वच्छता को छोड़ बस्तियों और अंदरूनी गलियों में जाएंगे तो आपको असलियत का अंदाज़ा होगा. डेमोक्रेटिक चरखा की ही कई रिपोर्ट्स में आप साफ़ तौर पर देख पाएंगे की किस तरीके से जदयू कार्यालय के पीछे बसी बस्ती कमला नेहरु नगर में गन्दगी का अम्बार है. गांधी मैदान थाना के पीछे बनी बस्ती में भी हर तरफ कचड़ा फैला हुआ है. 

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