शीतकालीन सत्र के दौरान बिहार विधानमंडल में पेश किए गए आरक्षण बिल पर आज राज्यपाल ने मोहर लगा दी है. राज्यपाल ने बीते 18 नवंबर को ही आरक्षण बिल को मंजूर कर दिया था.
मंगलवार को राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर के हस्ताक्षर के बाद राज्य में एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी के लिए आरक्षण का दायरा 75 फ़ीसदी बढ़ गया है. आज बिहार सरकार ने आरक्षण का गजट प्रकाशित किया गया है इसके साथ ही अब राज्य में आरक्षण की नई व्यवस्था लागू हो गई है.
आरक्षण का नया दायरा
ओबीसी, बीसी, एससी और एसटी वर्ग को पहले राज्य में 50 फ़ीसदी आरक्षण मिलता था. नीतीश-तेजस्वी की सरकार में अब ओबीसी को 18% आरक्षण मिलेगा. वही बीसी को 25%, एससी को 20% और एसटी को 2% आरक्षण मिलने वाला है. आरक्षण बढ़ने के बाद पिछड़ा, अति पिछड़ा, एससी, एसटी के आरक्षण के साथ ईडब्ल्यूएस कोटा को जोड़कर अब आरक्षण का दायरा 75 फ़ीसदी राज्य में बढ़ गया है.
नीतीश सरकार का साम, दाम, दंड, भेद
इस बार हुए जातीय गणना के बाद से आरक्षण को बढ़ाया गया है. जिसके बाद अब निचली जातियों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई के लिए बड़ी हिस्सेदारी मिलने वाली है. भाजपा ने भी बीते दिनों इस आरक्षण पर अपनी मोहर लगाई थी.
लोकसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश और तेजस्वी के सरकार लगातार युवाओं को लुभाने के लिए कई दांव पेंच अपना रही है. जातीय गणना हो या टीचर भर्ती परीक्षा या फिर बड़े स्तर पर राज्य में रिजर्वेशन को लागू करना. कुल मिलाकर जदयू इस बारिश साम, दाम, दंड, भेद सभी अपना कर बिहार की राजनीति में अपनी पकड़ जमाए रखना चाहती है.