बिहार में पहले दो हफ्तों में छह पुल गिरने की घटना हो गई थी, जिससे राज्य सरकार बुरी तरह घिरी हुई थी. ऐसे में बुधवार को बिहार के नाम एक दिन में सर्वाधिक पुल गिरने का रिकॉर्ड दर्ज हो गया. दरअसल बिहार में एक दिन में कुल 5 पुल पानी में समा गए. गनीमत रही कि इन सभी हादसे में पहले से ही लोगों ने सतर्कता बरती और किसी की जान नहीं गई.
बुधवार को राज्य के दो जिलों सिवान और छपरा में एक ही दिन में एक के बाद एक पुल भारी बारिश के कारण नदी में बह गए. इनमें गंडक नदी और धमही नदी पर बने पुल शामिल थे. कल राज्य में जितने भी पुल गिरे हैं उनमें से मात्र एक नया पुल टूटा, बाकी सभी 30-40 साल पुराने पुल बताए जा रहे हैं.
सिवान में गंडक नदी पर बना 30-40 साल पुराना पुल जो ईट की नींव पर बना था और बहुत मजबूत नहीं था, जिसके कारण 24 घंटे की बारिश में 5 फीट तक पानी बढ़ने और मिट्टी के कटाव से यह पुल गिर गया. महराजगंज प्रखंड के तेवता पंचायत में 5 साल पहले बना एक पुल कल टूट गया. पुल टूटने की तीसरी घटना भी इसी प्रखंड में घटित हुई.
छपरा में गंडक नदी पर जनता बाजार थाना में भी दो पुल बुधवार को गिर गए. यहां पहली बारिश के बाद बाबा ढोल नाथ मंदिर के पास 2004 में बना पुल गिरा गया और इसी के करीब बना दूसरा पुल भी नदी में समा गया. लोगों ने बताया कि दूसरा पुल अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था. इन पुलों के गिरने के बाद करीब 20-25 गांवों का सिवान जिले से संपर्क टूट गया है. महाराजगंज प्रखंड के देवता पंचायत में भी 5 साल पहले बना एक पुल टूट गया.
एक साथ इतने पुलों के गिरने के बाद पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोला है. उन्होंने एक्स के जरिए सवाल पूछा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे मामले पर चुप क्यों है और साथ ही दोनों डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा और र्सम्राट चौधरी भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. तेजस्वी यादव ने लिखा कि बिहार में 6 दलों वाली डबल इंजन सरकार के लिए यह विचित्र स्थिति है कि 15 दिन में हजारों-करोड़ रुपए के 10 पुल गिरने के बाद भी उन्हें विपक्ष को दोषी ठहराने के लिए कोई बहाना नहीं मिल रहा है. गुरुवार को सिवान और छपरा में पांच पुल-पुलिया टूटने से पहले पिछले सप्ताह में अररिया, सिवान, मोतिहारी, किशनगंज और मधुबनी में कुल छह पुल-पुलिया पहले ही ध्वस्त हो चुके हैं.
मालूम हो कि राज्य में पुल गिरने की घटना 18 जून से शुरू हुई थी. 18 जून को अररिया में 12 करोड़ की लागत से बकरा नदी के ऊपर बन रहा पुल ध्वस्त हो गया था. जिसके बाद 22 जून को सिवान में गंडक नदी पर बना पुल गिर गया. यह पुल 40-45 साल पुराना बताया जा रहा था. इसके बाद अगले दिन पूर्वी चंपारण में भी डेढ़ करोड़ की लागत से बन रहा पुल ध्वस्त हो गया था. 27 जून को बिहार के किशनगंज में महानंदा और कनकई नदी को जोड़ने वाला एक छोटा सहायक नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया. इसी दिन मधुबनी में भी एक पुल टूट गया. इसके बाद 30 जून को किशनगंज में एक और पुल टूटा. राज्य में इन दिनों मानसून में सभी तरह के नए-पुराने पुल जल समाधि ले रहे हैं, ऐसे में राज्य सरकार को जल्द ही इन पर जवाबदेही तय करनी चाहिए.