बिहार में प्रचंड गर्मी का प्रकोप देखने मिल रहा है. राज्य के कई जिलों में तापमान 45 डिग्री पार कर चुका है. गर्मी से लोग बेहाल हो चुके हैं, तो वहीं राज्य के कई जिलों में स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की भी तबीयत खराब हो गई है. बिहार के शेखपुरा और बेगूसराय में गर्मी की वजह से स्कूल में दर्जनों बच्चे बेहोश हो गए हैं. प्रचंड गर्मी से बच्चों की तबीयत खराब होने पर अब शिक्षा विभाग पर चौतरफा हमला होना शुरू हो चुका है. इस कड़ी में सबसे पहले वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने बिहार के मुखिया नीतीश कुमार समेत शिक्षा विभाग को अपने घेरे में लिया है. वीआईपी सुप्रीमो ने सीएम नीतीश कुमार से केके पाठक को बाहर का रास्ता दिखाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारी को बाहर निकाल कर सीएम को सही फैसला लेना चाहिए.
दरअसल राज्य के सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां खत्म हो गई है और स्कूलों को खोल दिया गया. लेकिन तापमान में बढ़ोतरी के बावजूद स्कूल में छुट्टी नहीं दी गई, जिसके बाद अब सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ जहां शिक्षक स्कूल खुलने से नाराज है, तो वही अब बच्चों की भी तबीयत बिगड़ने लगी है.
केके पाठक के काम की तारीफ
मुकेश सहनी ने पहले केके पाठक के काम की तारीफ की. उन्होंने कहा कि केके पाठक ने कई अच्छे निर्णय लिए हैं, लेकिन हाल के दिनों में जो भी फैसला हो रहा है वह शिक्षकों को परेशान करने वाला है. यह सारी चीज कहीं ना कहीं गलत है. इस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संज्ञान लेना चाहिए, लेकिन वह मौन बैठे हैं.
इधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि राज्य में लोकतंत्र की सरकार नहीं रह गई है. यहां स्कूल के समय को लेकर सीएम की बात नहीं मानी जाती. इतनी गर्मी में डॉक्टर भी मना कर रहे हैं कि घर से बाहर नहीं निकलना है, लेकिन इस हालत में भी सीएम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. उनके हाथों में कुछ नहीं है.
विपक्ष के नेताओं के बयान के बाद अब पक्ष से भी विभाग के खिलाफ सवाल उठने लगे हैं. लोजपा(रा) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बच्चों के बेहोश होने वाली खबर को लेकर चिंता जताया और कहा कि यह गंभीर विषय है. इसको गंभीरता से लेना चाहिए, अगर कहीं कोई लापरवाही हो रही है तो उसकी जांच होनी चाहिए. राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि तापमान लगातार बढ़ रहा है ऐसे में अगर स्कूल बंद होना तो बंद हो और अगर मामले में कोई अधिकारी बाधा बन रहा है तो उस पर भी कार्रवाई हो.