बिजली गिरने से होने वाली मौतों में बिहार दूसरे नंबर पर, केंद्र ने इसे आपदा नहीं माना

देश में आकाशीय बिजली हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान ले लेती है. लेकिन केंद्र सरकार इसे प्राकृतिक आपदा में नहीं गिनती है. जिसके कारण राज्य सरकार को इनसे होने वाली क्षति पूर्ति स्वयं ही उठानी पड़ती है.

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सौम्या सिन्हा
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बिजली गिरने से होने वाली मौत

बिजली गिरने से होने वाली मौत

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार पश्चिमी और मध्य भारत में आकाशीय बिजली गिरने का प्रकोप अधिक है. विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा उन राज्यों में शामिल है जहां बिजली गिरने की घटनाएं होती हैं.

देश में आकाशीय बिजली हर वर्ष सैकड़ों लोगों की जान ले लेती है. लेकिन केंद्र सरकार इसे प्राकृतिक आपदा में नहीं गिनती है. जिसके कारण राज्य सरकार को इनसे होने वाली क्षति पूर्ति स्वयं ही उठानी पड़ती है.

आकाशीय बिजली कि भयावहता NCRB के आंकड़ों से भी समझी जा सकती है. जहां साल 2022 के रिपोर्ट के अनुसार देश में 8,060 मौतें प्राकृतिक कारणों से हुई थी. इनमें 35.8 फीसदी (2,880) मौतें आकाशीय बिजली के चपेट में आने से हुई थी. जबकि हीट स्ट्रोक से 9.1 फीसदी मौतें और शीतलहर से 8.9 फीसदी मौते हुई थी.

केंद्र सरकार बाढ़, सूखा, भूकंप, चक्रवात, सुनामी, बादल फटना, हिमस्खलन, ओलावृष्टि, कीटों का हमला, ठंढ और शीतलहर को आपदा मानती है जो राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) के अंतर्गत आता है. हालांकि प्राकृतिक आपदाओं में शामिल इन सभी कारकों से ज्यादा मौतें आकाशीय बिजली से होती आ रही है, जिसे अबतक इस सूचि में शामिल नहीं किया गया है.

आकाशीय बिजली के कारण जिन राज्यों में सबसे ज्यादा मौते होती हैं उनमें बिहार शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है. NCRB की 2022 की रिपोर्ट में सबसे ज्यादा मौतें मध्यप्रदेश (496), बिहार (329), ओडिशा (316), उत्तरप्रदेश (301) और झारखंड (267) में हुई थी.

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