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स्कूलों को POCSO के तहत निर्देश
स्कूलों को POCSO के तहत निर्देश
बिहार के स्कूलों में अब बच्चों की बुलिंग रोकने के लिए कमेटी बनाई जाएगी. राज्य के कॉलेज में एंटी रैगिंग कमेटी की तरह ही स्कूलों में भी यह व्यवस्था शुरू होगी. इसके लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पोक्सो एक्ट के तहत सभी स्कूलों को दिशा निर्देश भेज दिए हैं. सभी स्कूलों को इसी साल इस कमेटी का गठन करना होगा. कमेटी तीन स्तर पर काम करेगी जिसमें, कमेटी की जिम्मेदारी होगी कि वह बच्चों को नैतिक मूल्य बताएं, दूसरे बच्चों के साथ व्यवहार का तरीका करना सिखाएं और बुलिंग करने पर सजा की जानकारी दे.
बुलिंग करने वाले बच्चों को सजा के तौर पर सेक्शन बदलने, डांटने, अभिभावक से शिकायत करने आदि अधिकार कमेटी के पास होंगे.
एंटी बुलिंग कमेटी के गठन की रिपोर्ट राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भेजी जाएगी. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की माने तो स्कूलों में 70 फीसदी बच्चे बुलिंग के शिकार होते हैं. जिसका असर उनके जीवन शैली के साथ शैक्षणिक माहौल पर भी पड़ता है. इस तरह के बच्चे अधिकतर सहम जाते हैं. किसी कमजोर बच्चे पर धौंस जमाना, डराना, मारना, धमकाना या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाना चाइल्ड बुलिंग के तहत आएगा. कई बार देखा गया है कि बच्चे आपस में ग्रुप बनाकर किसी एक बच्चे को टारगेट कर उसे परेशान करते हैं. उसके साथ मारपीट और गाली देते या गंदी बातें बोलकर चिढ़ाते हैं. इस तरह की घटनाओं पर अब विराम लग जाएगा, ताकि बच्चे स्कूल में बेहतर माहौल में पढ़ाई कर सके.
इस कमेटी में प्राचार्य व दो वरीय शिक्षक और अभिभावक होंगे. बच्चों की ओर से शिकायत नहीं आने पर स्कूल खुद संज्ञान ले सकता है. बुलिंग करने वाले और बुली होने वाले दोनों पक्षों की बात कमेटी सुनेगा और बुलिंग का स्तर देखेगा. सजा देने से पहले बच्चे के अभिभावक को भी सूचित किया जाएगा.