टीबी एक ऐसी बीमारी है जो पूरी दुनिया में हर साल लाखों लोगों की जान ले लेती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ हर साल दुनिया में रिपोर्ट होने वाले ट्यूबरकुलोसिस के कुल मामलों में से एक-तिहाई भारत में होते हैं. देश में इस बीमारी से सालाना 4 लाख से ज़्यादा मौत होती हैं.
वहीं पूरे भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा बिहार भी उन राज्यों में शामिल है. जहां ट्यूबरक्लोसिस से काफ़ी मामले रिपोर्ट होते हैं.
केंद्र सरकार साल 2025 तक भारत से टीबी को समाप्त करने लक्ष्य तय किया है. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पूरे विश्व से टीबी के खात्मे के लिए 2030 की समय सीमा तय की है. WHO के मुताबिक दुनिया भर में साल 2018 में इस बीमारी की वजह से 15 लाख लोगों की मौत हुई थी.
देश में टीबी के रोकथाम के लिए कई प्रोग्राम चलाये जा रहे हैं. जिसमें इलाज से लेकर स्वास्थ्य और न्यूट्रिशन के लिए सरकारी मदद देना शामिल है. इसमें रोगियों के लिए निक्षय पोषण योजना (NPY), उपचार को प्रोत्साहन देना, आदिवासी क्षेत्रों में टीबी रोगियों के इलाज के लिए आने जाने में सहयोग करना, एनपीवाई के तहत सीधे बैंक खाते में धनराशि देना (DBT) जैसी योजनाएं चलाई जा रही है. टीबी पीड़ित मरीज को मुफ्त दवाओं के साथ हर महीने 500 रूपए पोषक आहार लेने के लिए दिए जाते हैं.
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