हिट एंड रन कानून के खिलाफ शुक्रवार और शनिवार को पूरे राज्य भर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट ड्राइवर ने स्ट्राइक का आवाहन किया है. ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन की ओर से 16 और 17 जनवरी को चक्का जाम का ऐलान किया गया था. जिसमे ट्रक, ऑटो, बस ड्राइवर समेत कई ट्रांसपोर्ट चालक शामिल हो गए हैं.
फेडरेशन के बिहार महासचिव राजकुमार झा के मुताबिक दो दिन तक बिहार में पूरी तरह से गाड़ियों की हड़ताल रहेगी. शुक्रवार और शनिवार को दो दिनों तक ई-रिक्शा, बस, ट्रक, लॉरी, ऑटो चालक संघ की ओर से वाहनों को नहीं चलाया जाएगा.
मालूम होगी अभी बिहार में मैट्रिक की परीक्षाएं चल रही हैं, ऐसे में ऑटो, बस ड्राइवर का हड़ताल पर चले जाना परेशानी का सबब बन रहा है. राज्य में 1000 से भी ज्यादा सेंटर्स पर 8 लाख से ज्यादा मैट्रिक परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, ज्यादातर परीक्षार्थी सेंटर पर पहुंचने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं जो दो दिनों के लिए बिहार में बंद रहने वाला है.
इधर राज्य पथ परिवहन ने बसों का परिचालन नियमित तौर पर करने का फैसला लिया है. दो दिनों तक राज्य में सरकारी बसें बिना किसी रूकावट के चलेंगी, जिसमें बख्तियारपुर, बिहारशरीफ, नवादा की तरफ जाने वाली बसें भी नियमित तौर पर चलेगी. वही सीएनजी बसों के चालकों ने शुक्रवार को सभी बसों को बंद रखने का ऐलान किया है. इन दो दिनों के बंद में स्कूली बस और एंबुलेंस की गाड़ी को हड़ताल से मुक्त रखने का फैसला लिया गया है.
मालूम हो की हिट एंड रन कानून के खिलाफ देशभर में बस, ट्रक, ऑटो इत्यादि वाहन के चालक विरोध में खड़े हैं. देश में हिट एंड रन कानून के अंतर्गत दुर्घटना के बाद ड्राइवर को दुर्घटनास्थल से भागने से रोकना है. कानून के अनुसार अगर किसी ड्राइवर की लापरवाही से गाड़ी चलाते समय कोई गंभीर सड़क दुर्घटना होती है तो वह पुलिस अधिकारी को घटना की जानकारी के बिना चले जाए तो ड्राईवर को दंडित किया जाएगा. जिसके तहत ड्राइवर को 10 साल तक की जेल और 7 लाख रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है.
पहले ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 304A का प्रयोग किया जाता था, जिसके तहत लापरवाही से किए गए किसी काम की वजह से अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो अधिकतम 2 साल की जेल या जुर्माना हो सकता है.
नए कानून पर ड्राइवर का कहना है कि अगर एक्सीडेंट उनकी गलती के बिना हुआ हो तो भी उन्हें भारी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है. इसके अलावा घायलों को अस्पताल ले जाने के समय ड्राईवर भीड़ की हिंसा का शिकार भी हो सकता है.