केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने आखिरकार लंबी लड़ाई के बाद अपने पिता के दफ्तर को हासिल कर लिया है. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के सुप्रीमो पशुपति पारस का रामविलास पासवान के बंगले और दफ्तर पर काफी सालों तक कब्जा रहा था. इस मामले पर चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस के बीच लड़ाई भी चल रही थी, लेकिन इस लड़ाई का आज अंत हो गया है. नीतीश सरकार ने लोजपा(रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बांग्ला और ऑफिस आलोट कर दिया है.
भवन निर्माण विभाग की तरफ से सोमवार को नोटिफिकेशन जारी करते हुए इसका जिक्र किया गया है कि लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी कार्यालय के लिए आवास उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था. जिसके आधार पर उन्हें यह आवंटित किया जा रहा है. विभाग ने बंगाला और ऑफिस चिराग पासवान के नाम से अलॉट किया है. पत्र में बताया गया है कि 4 जुलाई को लोजपा(रामविलास) की ओर से पार्टी कार्यालय के आवासीय परिसर के इस्तेमाल के लिए अनुरोध किया गया था. भवन निर्माण ने बिल्डिंग को सशर्त अस्थायी रूप से आवंटित किया है, जिसमें बिना अनुमति के भवन में किसी भी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा.
पशुपति पारस भी इसी बंगले में पार्टी का ऑफिस चलाते थे. उसके पहले स्वर्गीय रामविलास पासवान का पार्टी दफ्तर यही था. रामविलास पासवान के मृत्यु के बाद उनकी पार्टी में टूट हो गई, जिसके बाद पशुपति पारस को यह बिल्डिंग ऑफिस के लिए मिल गई थी. पार्टी में टूट के बाद चाचा पारस और भतीजे ने अलग-अलग पार्टी बना ली, जिसमें रालोजपा और लोजपा(रामविलास) दल का गठन हुआ. पार्टी के टूट के बाद चिराग पासवान ने दूसरी जगह अपना ऑफिस से बनाया.
चिराग पासवान का नया दफ्तर अब पटना एयरपोर्ट के पास शहीद पीर अली खान मार्ग पर आवास संख्या-1 व्हीलर रोड पर होगा. नियमानुसार राजनीतिक दलों को 2 साल के लिए कार्यालय चलाने के लिए भवन आवंटित किया जाता है, अगर इसे बढ़ाना होता है तो पार्टियों को हर बार रिन्यू करवाना होता है. लेकिन पशुपति पारस ने व्हीलर रोड वाले दफ्तर को एक बार भी रिन्यू नहीं कराया, जिस कारण उनके हाथों से यह बिल्डिंग चली गई है.