कांग्रेस (Congress) ने पूर्व सांसद संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) को पार्टी से अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानों की शिकायत के आधार पर निष्कासित कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार देर शाम निरुपम को तत्काल प्रभाव से छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित करने का फैसला किया था. हालांकि संजय निरुपम ने सोशल मीडिया एक्स पर अपना इस्तीफे की तस्वीर डालते हुए लिखा उन्होंने बुधवार रात (3 अप्रैल) को ही अपना इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया था.
संजय निरूपम ने पार्टी से निकाले जाने के बाद आज (4 अप्रैल) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी पर गंभीर आरोप लगाये हैं. इससे पहले सोशल मीडिया एक्स पर पार्टी पर कटाक्ष करते हुए पोस्ट किया. संजय ने लिखा “कांग्रेस पार्टी मेरे लिए ज़्यादा ऊर्जा और स्टेशनरी नष्ट ना करे. बल्कि अपनी बची-ख़ुची ऊर्जा और स्टेशनरी का इस्तेमाल पार्टी को बचाने के लिए करे. वैसे भी पार्टी भीषण आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही है. मैंने जो एक हफ़्ते की अवधि दी थी,वह आज पूरी हो गई है. कल मैं खुद फ़ैसला ले लूंगा.
वहीं गुरुवार (4 अप्रैल) सुबह निरुपम ने एक्स पर कहा, “ऐसा लगता है कि कल रात मेरा इस्तीफा पत्र मिलने के तुरंत बाद उन्होंने मेरा निष्कासन जारी करने का फैसला किया. ऐसी तत्परता देखकर अच्छा लगा. इससे पहले खड़गे को लिखे पत्र में निरुपम ने कहा था कि मैंने आखिरकार आपकी बहुप्रतीक्षित इच्छा को पूरा करने का फैसला किया है. मैं एलान करता हूं कि मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं.”
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कांग्रेस में पांच पावर सेंटर
संजय निरुपम ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर कांग्रेस आलाकमान पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मैंने कल एक घोषणा की और लगभग 10:40 बजे मल्लिकार्जुन खड़गे को अपना इस्तीफा भेज दिया. कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से बिखरी हुई पार्टी है और पार्टी के नेताओं ने भी कहा है कि इसकी विचारधारा दिशाहीन है. उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस पार्टी में एक पावर सेंटर हुआ करता था, लेकिन इस समय कांग्रेस पार्टी में पांच पावर सेंटर हैं और पांचों की अपनी लॉबी है जो आपस में टकराती रहती है. इन पांचों सेंटर में सबसे पहले सोनिया गांधी हैं, दूसरे सेंटर में राहुल गांधी, तीसरे में प्रियंका गांधी, चौथे में अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और आखिरी में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल हैं.
निरुपम ने राममंदिर निर्माण को लेकर कांग्रेस के स्टैंड पर भी पार्टी को घेरा है. संजय ने कहा कांग्रेस पार्टी कहती हैं, हम सेक्युलर है. इसमें कोई बुराई नहीं है. क्योंकि सेक्युलर किसी धर्म का विरोध नहीं करता है. लेकिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा निमंत्रण को कांग्रेस ने यह कहकर ठुकरा दिया कि यह भाजपा का प्रचार है.
बताया जा रहा है कि संजय निरुपम मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे. हालांकि, आगामी संसदीय चुनावों के लिए शिवसेना (यूबीटी) ने इस सीट से अपने उम्मीदवार का एलान कर दिया था. इसके बाद निरुपम ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की सीट-बंटवारे की बातचीत के दौरान मुंबई की सीटें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी को देने के लिए महाराष्ट्र कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना शुरू कर दी. इस पर बुधवार को कांग्रेस ने स्टार प्रचारकों की सूची से निरुपम का नाम हटा दिया.
इसके बाद निरुपम ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है, इसलिए उसे खुद को बचाने के लिए स्टेशनरी और ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए. मुंबई उत्तर से पूर्व सांसद ने यह भी कहा था कि कांग्रेस नेतृत्व को शिवसेना (यूबीटी) द्वारा खुद को कमजोर नहीं होने देना चाहिए.
मुंबई (Maharashtra) की छह लोकसभा सीटों पर शिवसेना ने चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. संजय निरुपम सीट बंटवारे पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी थी. संजय ने कहा था “वे (शिवसेना) मुंबई में पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और एक दान के रूप में कांग्रेस के लिए छोड़ देंगे. यह निर्णय मुंबई में कांग्रेस को खत्म करने के लिए है. मैं इस निर्णय की निंदा करता हूं.”
निरुपम ने कहा कि ठाकरे ने एकतरफा उम्मीदवारों की घोषणा करके गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया. कांग्रेस नेता ने मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से अमोल कीर्तिकर को प्रत्याशी बनाए जाने का भी विरोध किया. अमोल खिचड़ी ठेका घोटाले में आरोपी हैं और इसके लिए ईडी द्वारा उनकी जांच की जा रही है.