दरअसल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पहले से ही शिक्षकों को लेकर अपने नये फरमानों और आदेशों को लेकर चर्चा में हैं. उनके आने से शिक्षा विभाग को अब एक सख्त हाथों में माना जा रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के फैसलों का भी काफी विरोध होता रहा है. शिक्षकों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियां भी शामिल होती हुई नजर आए हैं. लेकिन यह राजनीतिक पार्टियां तब चर्चा में आ जाती हैं जब राज्य सरकार के ही एमएलसियों पर प्रहार होता है.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के फरमानों ने अब राज्य के एमएलसियों के नाक में दम कर दिया है. सत्ताधारी दल के एमएलसी संजय कुमार सिंह का वेतन कुछ दिनों पहले ही केके पाठक एक आदेश के बाद रोक दिया गया था. इस चीज से नाराज होकर एमएलसी पहले राज्य के मुखिया नीतीश कुमार के शरण पहुंचे, लेकिन उनका निवारण न होने के बाद वह राज्यपाल की शरण में पहुंचे.
दरअसल बीते दिनों में शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति समेत कई नई गाइडलाइंस भी जारी किया गया था. इस आदेश का शिक्षक संघ ने विरोध किया था. एमएलसी संजय सिंह भी इसी शिक्षक संघ के महासचिव हैं. संघ का यह विरोध केके पाठक को बिल्कुल रास नहीं आया और उन्होंने संजय सिंह और शिक्षक संघ (फुटाब) के कार्यकारी अध्यक्ष बहादुर सिंह के वेतन पर रोक लगा दी. संजय सिंह के पेंशन पर भी रोक लगा दी गई.
इस आदेश के बाद विधायक दल राज्यपाल के पास फरियादों का ढेर लगाने के लिए राजभवन पहुंचे. केके पाठक के आक्रामक फरमानों के खिलाफ एमएलसी दलों ने केके पाठक के आदेशों को तानाशाही फरमान बताया है. अपर मुख्य सचिव के फरमानों के खिलाफ करीब 12 विधायकों ने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा. बताया जा रहा है कि इस दल में एनडीए के भी कुछ विधायक शामिल थे.
राज्यपाल से मुलाकात के बाद एमएलसी संजय सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि केके पाठक ने कई गैर संवैधानिक आदेश दिए हैं. राज्यपाल से उन आदेशों को वापस से लेने के लिए मांग की गई है. साथ ही इसके केके पाठक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है. राज्यपाल से मिलने वाले विधान पार्षदों ने भी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव को तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग रखी है.