बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग सालों से उठ रही है, यह मांग इन दिनों और तेज होती जा रही है. दरअसल आने वाले केंद्रीय बजट के पहले बिहार में विशेष राज्य के दर्जे की मांग को हर एक पार्टी की तरफ से उठाया जा रहा है. जिसमें हम(सेकुलर), जदयू और लोजपा की ओर से भी सहमति जताई जा रही है.
विशेष राज्य के दर्जे को लेकर जदयू मंत्री अशोक चौधरी ने बुधवार को एक बड़ा बयान दिया, उन्होंने कहा कि हम लोग बजट को लेकर आशान्वित है. विशेष राज्य का दर्जा पैकेज की तरह होता है, राज्यों को इसमें 10% का कॉन्ट्रिब्यूशन करना होता है जबकि 90% भारत सरकार देती है. लेकिन इसके बिना 50-50 कंट्रीब्यूशन देना पड़ता है. अगर हमें विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया, परिस्थितियों ऐसी नहीं बनी तो हम कम से कम विशेष पैकेज की मांग रखना चाहते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार सीमित संसाधनों के बावजूद सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है. बावजूद इसके हमारे राज्य किसी विकसित प्रदेश से काम नहीं है.
जदयू नेता विजय चौधरी ने भी कहा कि राज्य के पास ऐतिहासिक या भौगोलिक संसाधनों की कमी है. हमारे यहां ना तो खदानें हैं ना हीं समुद्र तट ना ही राज्य में सोने या हीरे की खदान है. कुछ के पास समुद्री तट है, यह उनके सरकार और जनता की उपलब्धि नहीं है बल्कि भौगोलिक वरदान है. हमें आर्थिक सहायता की आवश्यकता है, ताकि हम अपने पिछड़ेपन को दूर कर सके.
एक तरफ जहां जदयू नेता ने कहा कि बिहार को विशेष पैकेज की आवश्यकता है, तो वहीं दूसरी ओर हम ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि इसके बिना हम विकास नहीं कर पा रहे हैं. हम नेता और बिहार के मंत्री संतोष मांझी ने कहा है कि आज विशेष राज्य का दर्जा बिहार की मांग है. एक बिहारी होने के नाते मैं भी इस मांग को रखता हूं या फिर आर्थिक पैकेज बिहार को दिया जाए, ताकि इससे राज्य का विकास हो सके.