देवघर एयरपोर्ट मामला: निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ जांच में मंजूरी की जरूरत नहीं

जस्टिस अभय ओक और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने झारखंड राज्य से कहा कि वह अपने स्तर का समर्थन करने के लिए निर्णय प्रस्तुत करें कि बिना पूर्व अनुमति के जांच जारी रह सकती है.

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देवघर एयरपोर्ट मामला

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सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को देवघर एयरपोर्ट मामले पर सुनवाई हुई. जिसमें झारखंड हाईकोर्ट की तरफ से मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. जस्टिस अभय ओक और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने झारखंड राज्य से कहा कि वह अपने स्तर का समर्थन करने के लिए निर्णय प्रस्तुत करें कि बिना पूर्व अनुमति के जांच जारी रह सकती है.

झारखंड हाईकोर्ट ने इस आधार पर एफआईआर को रद्द कर दिया था कि विमान संशोधन अधिनियम 2020 के अनुसार कोई पूर्व अनुमति जांच के लिए नहीं ली गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य के वकील से कहा कि जांच के चरण में अनुमति का सवाल नहीं उठेगा, बल्कि शिकायत दर्ज करने के चरण में ही उठेगा. जब अदालत को शिकायत का संज्ञान लेना होगा. इसलिए जांच के चरण में रोक लागू नहीं होगी, बल्कि चार्जशीट दाखिल करने पर जांच पूरी होने के बाद लागू होगी.

जस्टिस ओक ने कहा कि इसी तरह के मामले में ऐसे फैसले हैं जो यह मानते हैं कि संज्ञान लेने से पहले जांच की जा सकती है और शिकायत दर्ज करने के लिए उस सामग्री का इस्तेमाल किया जा सकता है. आप बस उन फैसलों को प्राप्त करें इसके लिए सुनवाई की आवश्यकता होगी.

मालूम हो कि जुलाई 2023 में न्यायालय ने झारखंड राज्य की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था. इसमें देवघर हवाई अड्डे के मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी को रद्द करने के लिए झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती मिली थी. दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने दिसंबर 2022 में देवघर हवाई अड्डे पर सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते हुए एक निजी विमान को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल कर्मियों को धमकाया था. भाजपा नेताओं ने कथित तौर पर देवघर हवाई अड्डे पर एटीसी में जबरन प्रवेश किया और उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए दबाव डाला.

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