बिहार सीएम नीतीश कुमार ने बीते साल डिप्टी सीएम के साथ मिलकर लाखों शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा था. इस साल भी 13 जनवरी को गांधी मैदान में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने का बाजार लगाया गया था. नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कई मौकों पर यह कहते हुए भी नजर आ चुके है कि बिहार में युवाओं को नौकरियां बांटी जा रही है, लाखों लोगों को नियुक्तियां दी जा रही है और रोजगार भरपूर मात्रा में राज्य में उपलब्ध है. एक तरफ जहां सीएम और डिप्टी सीएम बातें और वादे कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रमाण कुछ और ही कह रहा है.
बीते 7 साल से राज्य में ग्रामीण चिकित्सकों को नियुक्तियां नहीं दी गई है. 7 साल के बाद बिहार के ग्रामीण चिकित्सकों का सब्र आज टूटता हुआ नजर आया और उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सीएम आवास का घेराव करना सही समझा.
ग्रामीण चिकित्सकों का प्रदर्शन
मंगलवार को पटना में सीएम आवास के बाहर सैकड़ो ग्रामीण चिकित्सक नौकरी मांगने गए. ग्रामीण चिकित्सकों ने सीएम पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और जमकर हंगामा किया. ग्रामीण चिकित्सकों को काबू करने के लिए पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई प्रदर्शनकारियों पर खूब लाठियां चटाकाई और कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया.
ग्रामीण चिकित्सकों का दर्द
प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों का कहना है कि 2014 में ही नीतीश कुमार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस बात का जिक्र किया था कि सभी ग्रामीण चिकित्सकों को स्वास्थ्य मित्र का दर्जा दिया जाएगा. इसके बाद 2016 में इसके लिए परीक्षा भी ली गई थी. इस परीक्षा में सभी ग्रामीण चिकित्सक लिखित और प्रैक्टिकल परीक्षा में पास भी हो गए, लेकिन अभी तक उन्हें स्वास्थ्य मित्र के रूप में नियुक्ति नहीं दी गई है.
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि बीते 1 महीने से वह सभी पटना के गर्दनीबाग के धरना स्थल पर शांतिपूर्ण धरना दे रहे थे. इसके बाद भी सरकार की तरफ से किसी भी अधिकारी ने हमारी सुध नहीं ली. मजबूरन हमने अपनी मांगो को ले कर सीएम आवास का घेराव किया, इस घेराव में राज्य के 38 जिलों से ग्रामीण शिक्षक पटना पहुंचे थे. अगर आगे भी हमारी बातें नहीं मानी जाएंगी, तो हम सीएम आवास के बाहर आत्मदाह करेंगे .
पुलिस ने इस पूरी घटना पर बताया कि प्रदर्शन कर रहे लोगों ने नियमों का उल्लंघन किया था, जिसकी वजह से विधि व्यवस्था को कायम करने के लिए उचित कार्रवाई की गई.