शिक्षक दिवस पर JDU कार्यालय के बाहर कटोरा लेकर बैठे वित्तरहित शिक्षक

शिक्षक दिवस के मौके पर जदयू कार्यालय के बाहर सैकड़ो शिक्षकों ने कटोरा लेकर प्रदर्शन किया. वित्त रहित शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अनुदान दिए जाने की बजाय सरकार वेतन दें.

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कटोरा लेकर बैठे वित्तरहित शिक्षक

कटोरा लेकर बैठे वित्तरहित शिक्षक

आज देशभर में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती मनाई जा रही है. उनके जयंती के मौके पर देश में शिक्षकों को सम्मान देने की एक परंपरा है. पटना में भी आज शिक्षकों को सम्मान देने के लिए राज्य स्तरीय समारोह का आयोजन हुआ है. लेकिन राजधानी में ही दूसरे तरफ शिक्षक प्रदर्शन पर बैठे हैं. शिक्षक दिवस के मौके पर जदयू कार्यालय के बाहर सैकड़ो शिक्षकों ने कटोरा लेकर प्रदर्शन किया. राज्य के अलग-अलग जिलों से पहुंचे यह सभी शिक्षक अनुदान के बजाय वेतन की मांग कर रहे हैं. वित्त रहित शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अनुदान दिए जाने की बजाय सरकार वेतन दें.

शिक्षकों ने बताया कि उन्हें 35 सालों से वेतन नहीं मिला है और वह लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन कर थक चुके हैं. वहीं महिला शिक्षिकाओं ने भी कहा कि अगर सीएम नीतीश उनकी स्थिति पर ध्यान देते तो वह कटोरा लेकर यहां नहीं पहुंचती. प्रदर्शन में शामिल शिक्षक ने बताया कि वह सभी वेतन न मिलने के कारण आर्थिक तौर पर कमजोर हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि हमारी मांग शिक्षा विभाग और सीएम से है कि शिक्षक दिवस के दिन हमारी मांगों को सुना जाए. आज हमारा परिवार भूखा है, हम भूखे हैं. सीएम हमें वेतन देकर जदयू कार्यालय से विदा करें. शायद सीएम को हमारी कटोरी देखकर दया आ जाए.

जदयू कार्यालय के बाहर जुटे शिक्षकों ने बताया कि उनमें से कई ऐसे शिक्षक हैं, जो वेतन की मांग करते हुए रिटायर हो चुके हैं. तो वहीं कुछ दुनिया से भी चले गए हैं. लेकिन सरकार ने आज तक उनकी मांगों को नहीं सुना. शिक्षकों को पैसा देने के लिए सरकारी कोष में पैसा नहीं है. जब तक शिक्षक भूखा रहेगा, तब तक ज्ञान का सागर सुखा रहेगा.

गौरतलब है कि शिक्षकों से ही हम अपने जीवन में सफलता की सीढ़ियों पर चलना सीखते हैं. शिक्षक सिर्फ एक व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरे समाज का निर्माण करता है. ऐसे में शिक्षकों के वेतन की अनदेखी अचछे समाज निर्माण की अनदेखी है.

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