मंगलवार को भारतीय स्टेट बैंक(SBI) को आखिरकार चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने ही पड़ी. सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेश के बाद एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग के साथ साझा की.
11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SBI को फटकार लगाते हुए चुनाव आयोग से चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारी को साझा करने की को कहा था. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन का समय भी बैंक को दिया था. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई की तरफ से समय सीमा बढ़ाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया था. कोर्ट का साफ तौर पर आदेश था कि SBI 12 मार्च को कामकाजी घंटे खत्म होने तक चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारी को चुनाव आयोग को सौंपे. इसके बाद मंगलवार शाम 5:30 बजे तक चुनावी बॉन्ड की सभी जानकारियों को चुनाव आयोग को भेज दिया गया है.
15 मार्च तक सारे डाटा वेबसाइट पर होंगे अपलोड
बार एंड बेंच ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर यह जानकारी साझा की है. चुनाव आयोग इस पूरे डाटा को 15 मार्च तक अपने वेबसाइट पर अपलोड कर देगा.
सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि SBI कह रहा है कि दानदाताओं और राजनीतिक पार्टियों की जानकारी सील कर एसबीआई की मुंबई मुख्य शाखा में है और मैचिंग प्रक्रिया में समय लगेगा, लेकिन कोर्ट ने मैचिंग करने के लिए कहा ही नहीं है. कोर्ट ने तो सिर्फ़ डिस्क्लोजर मांगा है. इस पर SBI के वकील साल्वे ने कहा कि अगर कोर्ट मैचिंग नहीं चाहता तो हम तीन हफ्तों में पूरी जानकारी दे सकते हैं. हालांकि कोर्ट ने इस दलील को मानने से मना कर दिया और 12 मार्च तक ही सभी जानकारी को जारी करने का आदेश दिया है.
सर्वोच्च अदालत ने SBI को फटकारते हुए कहा था कि हमने इस मामले पर 15 फरवरी को आदेश दिया था और आज 11 मार्च है, बीते 26 दिनों में बैंक ने क्या काम किया? बैंक को यह कहना चाहिए कि इतना काम हुआ है और हमें इतने काम के लिए और समय चाहिए.
2017 में केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड स्कीम की घोषणा की थी. केंद्र सरकार का कहना था कि चुनावी चंदे में साफ सुथरा धन लाने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए स्कीम को लाया गया है. SBI के 29 ब्रांचो से अलग-अलग रकम के चुनावी बॉन्ड जारी किए जाते हैं. यह रकम एक जार से एक करोड़ रुपए तक की हो सकती है, जिसे कोई भी खरीद सकता है और अपने पसंद की राजनीतिक पार्टियों को दे सकता है.