वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार को पटना पहुंची. निर्मला सीतारमण ने बिहार में जंगलराज की स्थिति और राज्य को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर मीडिया से बातचीत की. वित्त मंत्री ने कहा कि जंगलराज के कारण बिहार में न केवल विधि-व्यवस्था की दिक्कत हुई है, बल्कि आर्थिक रूप से भी बिहार पिछड़ गया था. काफी मेहनत के बाद बिहार को आर्थिक तंगी से बाहर निकाला गया है.
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि हमारे युवा मतदाताओं को इसकी जानकारी जरूर होनी चाहिए कि जंगलराज वाले उसे दौर में क्या स्थिति थी. उस दौर में कहा जाता था कि सम्मान चाहिए, विकास नहीं. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है जिनका मूल मंत्र है, सबका विकास. आज के दौर में सम्मान भी है और विकास भी.
बिहार में प्रति व्यक्ति आय
प्रेस के सामने आंकड़ों को भी रखते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जंगलराज दौर के पहले प्रति व्यक्ति आय, राज्य में जीडीपी, उड़ीसा से ज्यादा थी. 1991 में उड़ीसा में प्रति व्यक्ति आय 20,591 रुपए थी, जबकि बिहार में 21,282 रुपए थी. जब बिहार में जंगलराज की शुरुआत हुई तब इसमें 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. जबकि उड़ीसा में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. 2002 में बिहार में प्रति व्यक्ति आय कम होकर 14,200 पहुंच गई. 2002 से 2019 तक इसमें सुधार हुआ और यह 37,000 तक पहुंच गया. निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर बिहार में जंगलराज नहीं होता तो आज से यह राज्य बहुत विकास कर चुका होता. जंगलराज का प्रभाव आम आदमी के जीवन पर भी पड़ता है.
इंडिया अलाइंस पर हमलावर होते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि मुसलमानों को पूरा आरक्षण देने की बात विपक्ष करता है, जो संविधान के खिलाफ है. कर्नाटक में कांग्रेस ने ओबीसी से काटकर मुस्लिम वर्ग को आरक्षण दे दिया है.
विशेष राज्य का दर्जा
बीजेपी दफ्तर में मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री ने आगे राज्य के विशेष दर्जे की मांग को भी लेकर सफाई दी. उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्रीय वित्त आयोग की रिपोर्ट में रिकमेंडेशन आना चाहिए. आयोग की तरफ से रिपोर्ट में टैक्स को कम करने का रिकमेंडेशन आया था, जिसके बाद तीन अलग-अलग स्लैब में केंद्रीय टैक्स में कमी की गई. आगे निर्मला सीतारमण ने कहा कि बिहार को 2015 में एक पैकेज दिया गया था, जिसमें राज्य को 1.25 लाख करोड़ रुपए दिए गए थे.