भारत ने नए साल में सूरज के पास पहुंचकर सुनहरे अक्षरों में अपना नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज किया है. इतिहास के पन्नों के साथ-साथ ही यह नाम अंतरिक्ष में भी इसरो की बदौलत दर्ज हुआ है.
इसरो का लॉन्च किया हुआ आदित्य-L1 सैटेलाइट सूरज के लैग्रेंज पॉइंट पर शनिवार को जा पहुंचा है. शनिवार सुबह से ही देश की निगाहें आदित्य-L1 पर टिकी हुई थी. देशवासियों को इंतजार था कि कब 2 सितंबर को भारत की जमीन से सूरज की ओर रवाना हुआ सेटेलाइट अंतरिक्ष के एल1 पॉइंट पर पहुंचेगा.
शाम 5:00 बजे करीब आदित्य सूरज के एल1 पॉइंट पर पहुंच गया है. आदित्य-एल1 सैटेलाइट पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर की कक्षा में स्थापित हुआ है. अब यह सैटेलाइट L1 पॉइंट के चारों ओर प्रभामंडल कक्ष में उपग्रह से सूरज को निरंतर देख सकेगा और सूरज की गतिविधियों के साथ-साथ अंतरिक्ष मौसम पर भी उसके प्रभाव का अध्ययन करेगा.
भारत ने एक और उपलब्धि की हासिल
आदित्य-एल1 की कामयाबी के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक्स हैंडल पर देशवासियों को बधाई दी है. प्रधानमंत्री ने लिखा है कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-L1 अपने गंतव्य पर पहुंच गई है. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.
2 सितंबर को अंतरिक्ष यान आदित्य-एल1 को इसरो की तरफ से लांच किया गया था. यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई थी. इसरो ने पीएसएलवी सी57 को लांच किया था. आदित्य-L1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर सूरज और पृथ्वी के बीच में लैग्रेंज पॉइंट के पास भेजा गया था.
लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकंड के बाद पीएसएलवी सी57 के एक्सेल वर्जन रॉकेट को पृथ्वी से 235 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किया गया था. इसके बाद 3 सितंबर को आदित्य-एल1 की ऑर्बिट को बढ़ाया गया था. 3 सितंबर से लेकर 15 सितंबर के बीच में चार बार आदित्य-एल1 की ऑर्बिट को बढ़ाया गया और इसे 1,21,937 किलोमीटर किया गया.
एल1 पॉइंट पृथ्वी और सूरज के बीच की कुल दूरी का लगभग एक फ़ीसदी है. ख़ास बात है कि इस एल1 पॉइंट पर गुरुत्वाकर्षण बल भी काम नहीं करता. यहां से आदित्य सैटेलाइट लगातार सूरज और उसकी गतिविधियों पर नजर रख सकता है. अंतरिक्ष के इस कक्ष में L2 और L3 लैग्रेंज पॉइंट भी है. आदित्य-L1 पॉइंट पर 5 साल तक अपने मिशन के तहत रहेगा.
दरअसल सूरज केस स्टडी इसलिए जरूरी है क्योंकि सोलर सिस्टम में हमारे पृथ्वी का केंद्र सूरज ही है और सभी 8 ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते हैं. सूरज की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है और उससे लगातार ऊर्जा बहती रहती है जिसे चार्जड पार्टिकल कहा जाता है. वैज्ञानिक सूरज में होने वाले बदलाव से अंतरिक्ष और पृथ्वी के जीवन पर किस तरह से प्रभाव हो सकता है इसका अध्ययन करेंगे.