बिहार के लोकसभा चुनाव को लेकर राज्य में सभी पार्टियां वोटरों को साध रही हैं. वोटरों को साधने की कोशिश राज्य में जाति आधारित तरीके से की जा रही है. सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से सभी जातियों का वोट बैंक लेने में जुट गई हैं. इसी सिलसिले में अब नीतीश सरकार संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर को भीम संसद का आयोजन कर रहे है. रविवार को पटना के वेटनरी कॉलेज में जदयू का ये बड़ा कार्यक्रम होने वाला है.
राजधानी में होने वाले भीम संसद कार्यक्रम को लेकर राजधानी को पोस्टरों से सजा दिया गया है. पोस्टर में नीतीश कुमार को साफ तौर पर दूर से ही देखा जा सकता है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी पोस्टर में जगह दी गई है.
नीतीश कुमार राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़ा जाने के बाद अपने इस कार्यक्रम को बड़े स्तर पर मानने वाले हैं. नीतीश कुमार अपने इस कार्यक्रम से बिहार के दलित वोट बैंक पर अपना असर डालने की कोशिश करेंगे.
नीतीश कुमार के इस कार्यक्रम पर अब भाजपा ने प्रहार करना शुरू कर दिया है. भाजपा के प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने शनिवार को सीएम पर पलटवार किया है. प्रभाकर मिश्रा ने कहा है कि नीतीश कुमार ने सदन के पटल पर दलित नेता और मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का अपमान करते हैं और अब दलित वोट बैंक को झांसे में लाने की कोशिश कर रहे हैं. उनका यह कार्यक्रम सफल नहीं होने वाला है. मुख्यमंत्री को दलित पहचान चुका है
भाजपा के मंत्री ने कहा है कि शराबबंदी कानून से कई दलित के घर तबाह हो गए हैं. शराबबंदी में पकड़े गए 50 प्रतिशत लोग दलित परिवार से आते हैं. उनका बेल करवाने वाला भी कोई नहीं है.
रविवार को आयोजित होने वाले इस भीम संसद की अगवाई जदयू के दलित कोटे के मंत्री अशोक चौधरी, सुनील कुमार, रत्नेश सादा करने वाले हैं. शनिवार की रात 11:00 बजे से रविवार की रात 10:00 बजे तक राजधानी में ट्रैफिक रूट को बदला है.