झारखंड में आज 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं. कर्मचारियों की हड़ताल से राज्यभर में 108 एंबुलेंस सेवा पूरी तरह से ठप पड़ गई है, जिससे करीब 500 एंबुलेंस परिचालन पर असर हुआ है. एंबुलेंस ना मिलने से मरीजों को काफी दिक्कतें हो रही है. अस्पताल पहुंचने के लिए मरीज 108 नंबर पर संपर्क कर रहे हैं, मगर कर्मचारियों की हड़ताल के कारण उन्हें सेवा का लाभ नहीं मिल रहा है.
राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा निशुल्क चलती है, मगर 3 महीने से कर्मचारियों को वेतन भुगतान नहीं किया गया है. इसे लेकर कर्मचारी और चालकों ने हड़ताल की घोषणा कर दी. वेतन भुगतान के लिए चालक और कर्मचारी पिछले 3 महीने से मांग कर रहे हैं. रविवार की रात एंबुलेंस चालकों ने हड़ताल की घोषणा की, जिसका व्यापक असर सोमवार की सुबह से राज्य में देखने मिला है. अकेले धनबाद में 36 108 एंबुलेंस संचालित है, जो आज पूरी तरीके से बंद है.
एंबुलेंस चालक और कर्मचारियों का कहना है कि एंबुलेंस संचालक एजेंसी जिकित्जा ने उन्हें 3 महीने से वेतन नहीं दिया है. कई बार मांग की गई मगर गंभीरता से नहीं लिया गया. एजेंसी की ओर से हर बार सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है. दुर्गा पूजा के पहले वेतन भुगतान करने की बात कही गई. मगर पूजा में भी पैसे नहीं मिले. कर्मचारियों ने आगे कहा कि इमरजेंसी को देखते हुए उन्होंने दुर्गा पूजा के दौरान एंबुलेंस संचालन किया, मगर अब मजबूरी में हड़ताल कर जाने की घोषणा की गई है.
इधर एजेंसी ने 3 महीने के वेतन न देने की खबर को गलत ठहराया है. एजेंसी के प्रतिनिधियों ने बताया कि उनके पास सिर्फ एक महीने का वेतन बकाया है, दो महीने का वेतन पुरानी एजेंसी ने नहीं दिया था, जिसकी मांग की जा रही है. दरअसल 108 एंबुलेंस सेवा की पुरानी कंपनी मेसर्स जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड की जगह सिकंदराबाद की कंपनी ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज काम कर रही थी. इस बीच एजेंसी की निविदा खत्म हो गई, इसके बाद नई एजेंसी मेससर्स सम्मान फाउंडेशन को काम दिया गया. बताया जा रहा है कि मैं जिकित्जा ने 2 महीने का वेतन कर्मचारियों को नहीं दिया है. वही ईएमआरआई ग्रीन एजेंसी के बदलने के बाद सितंबर महीने का वेतन रुकने का कर्मचारियों को डर है. इस एजेंसी से राज्य में करीब 1500 एंबुलेंस कर्मचारी और चालक जुड़े हुए हैं. एजेंसी का 40 करोड़ रुपए का बकाया है, इसके भुगतान के लिए स्वास्थ्य विभाग से बात चल रही है.