झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सीएम सोरेन के एक विधेयक को फिर से ठुकरा दिया है. राज्यपाल के विधेयक को ठुकराए जाने से सोरेन सरकार को बड़ा झटका लगा है.
1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति विधेयक को राज्यपाल ने लौटा दिया है और विधानसभा को इस पर एक बार फिर से सोचने का सुझाव दिया है. विधेयक का पूरा नाम झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिणामी सामाजिक, सामाजिक सांस्कृतिक और अन्य लाभों का विस्तार करने के लिए विधेयक 2022 है.
स्थानीय लोगों को मिले थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी
राज्य सरकार के इस विधेयक के मुताबिक झारखंड सरकार थर्ड व फोर्थ ग्रेड की नौकरियां केवल स्थानीय व्यक्तियों के लिए आरक्षित करेगी. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों के लिए आवेदन करने से अन्य लोगों को वंचित नहीं किया जा सकता. इसके बजाए सुरक्षित तरीका यह भी है कि सभी चीजों में स्थानीय व्यक्तियों को सामान प्राथमिकता दी जाए.
राज्यपाल कृष्णक ने कहा कि राज्य सरकार चाहे तो स्थानीय के लिए थर्ड और फोर्थ ग्रेड के पद 5 वर्ष के लिए आरक्षित कर सकती है. विधेयक को पूर्व राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा भी लौटाया गया था. पूर्व राज्यपाल ने कहा था कि इस विधेयक में कई बिंदुओं पर गंभीरता पूर्वक समीक्षा करने की जरूरत है.
पिछले साल 11 नवंबर को विधानसभा में एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाकर इस विधेयक को पारित किया गया था. इसके बाद राज भवन से मंजूरी के लिए इसे भेजा गया था. जनवरी 2023 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस ने इसे लौटा दिया था. उन्होंने सुझाव में कहा था कि इसे गंभीरता पूर्वक देखा जाए कि इसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना तो नहीं हो रही है.