शनिवार को झारखंड में जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के कारण इंटरनेट सेवा बाधित रही. इंटरनेट बंद होने का मामला राज्य में विपक्षी पार्टियों के द्वारा बड़ा मुद्दा बनाया गया, जो देखते ही देखते हाईकोर्ट भी पहुंच गया. हाईकोर्ट ने आज राज्य सरकार से इंटरनेट बंद होने पर सवाल पूछा है. हाईकोर्ट ने पूछा कि इंटरनेट को बंदे क्यों किया गया.
दरअसल हाईकोर्ट में इन्टरनेट बंद होने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. जनहित याचिका में कहा गया कि इंटरनेट सुविधा बंद किए जाने से रोजमर्रा के कई काम प्रभावित हो रहे हैं. इसका सीधा असर लोगों के कामकाज पर पड़ रहा है. जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के न्यायाधीश से आनंद सेन और जस्टिस अनुधा चौधरी की पीठ ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से इंटरनेट सेवा बंद करने की नीति को लेकर सवाल पूछा. कोर्ट ने कहा कि क्या सभी परीक्षाओं में इसी तरह इंटरनेट बंद कर दिया जाएगा. हाईकोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार से चार हफ्ते के अंदर एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
हाईकोर्ट में इंटरनेट सेवा बंद होने के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त, व्यावसायिक सेवा, बैंकिंग सेवा, परिवहन सेवा इत्यादि के प्रभावित होने का भी मुद्दा उठा. इंटरनेट सेवा लोगों के मौलिक अधिकार में आती है जिस पर कोर्ट ने कहा कि एक महीने में पांच बार परीक्षा होगी तो क्या 5 बार इंटरनेट सेवा बंद कर दी जाएगी. कोर्ट ने आगे कहा कि किन परिस्थितियों में झारखंड में इंटरनेट सेवा बंद की जा सकती है इस पर कोर्ट निर्णय लेगी.
कोर्ट में आज राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने दलील पेश की. राज्य सरकार की ओर से दलित दी गई कि परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी न हो इसे ध्यान में रखते हुए मोबाइल इंटरनेट को बंद किया गया है, जबकि इंटरनेट की बाकि सुविधाएं चल रही है.
बताते चलें कि 21 और 22 से सितंबर को झारखंड में जेएसएससी सीजीएल परीक्षा का आयोजन हुआ है. जिसमें आज की परीक्षा के दौरान 6 घंटे इंटरनेट सेवा बंद की गई थी. अगले दिन की परीक्षा के दौरान भी इंटरनेट सेवा बंद रहेगी.