झारखंड में एक्साइज कांस्टेबल भर्ती की दौड़ जानलेवा साबित होती जा रही है. अब तक इस शारीरिक दौड़ में 11 अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है. 22 अगस्त से शुरू हुए शारीरिक परीक्षा में इतनी मौत के बाद राज्य में बवाल मच गया है. रविवार को पुलिस महानिरीक्षक(संचालन) अमोल वी. होमकर ने जानकारी दी कि रांची, गिरिडीह, हजारीबाग, पलामू, पूर्व सिंहभूम और साहिबगंज जिलों के सात केन्द्रों पर शारीरिक परीक्षण का आयोजन हुआ. जिसमें पलामू में चार, गिरिडीह और हजारीबाग में दो-दो, रांची के जगुआर केंद्र और पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी और साहिबगंज में एक-एक अभ्यर्थी की मौत हुई है.
झारखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी हेमंत सरकार पर सवाल दागा है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार अभ्यर्थियों की दौड़ करा रही है, ऐसा नहीं होता है. अभ्यर्थियों को 3 महीने पहले सूचित किया जाना चाहिए कि उन्हें कब दौड़ना है ताकि वह प्रैक्टिस कर सके. जब एडमिट कार्ड मिला तो मैंने देखा कि अभ्यर्थियों को 15 दिन के भीतर दौड़ लगानी पड़ती है. अभ्यर्थियों ने बताया कि एक केंद्र में 6000 बच्चों को दौड़ाया जाता है और खड़ा भी किया जाता है. रात 12:00 बजे से यह लाइन लगती है और 12:00 दोपहर में नंबर आता है. हेमंत सोरेन बच्चों को नौकरी नहीं मौत दे रहे हैं.
11 अभ्यर्थियों की अप्राकृतिक मौत के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इधर भाजपा के युवा विंग ने अधिकारियों पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. इस पर होमकर ने सफाई देते हुए कहा के सभी केन्द्रों पर चिकित्सा दल, दवाएं, एंबुलेंस, मोबाइल शौचालय, पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. अब तक इस भर्ती परीक्षा में 1,27,772 अभ्यर्थी शामिल हुए हैं, जिनमें से 78,023 को सफलता हासिल हुई है.
बता दें कि झारखंड एक्साइज कांस्टेबल के 583 पदों के लिए भर्तियां निकली है. जिसके लिए 4.5 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया है.