झारखंड में अच्छी शिक्षा, नौकरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधा इन सभी की कमी नजर आती है. राज्य में शिक्षा व्यवस्था नदारत है. हजारों युवा यहां बेरोजगार है. अपराधिक घटनाएं भी आयदिन यहां घटित होती है और स्वास्थ्य व्यवस्था भी यहां लचर है.
झारखंड सरकार के इस नाकामी का ताजा उदाहरण लातेहार जिले में देखने मिला है. जहां बदहाल सड़क के कारण एक 45 वर्षीय महिला की मौत हो गई है. सोमवार को बीमार महिला को चारपाई पर लादकर अस्पताल ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. महिला की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया है कि महिला को अस्पताल चारपाई पर ले जाना मजबूरी थी. दरअसल इलाके में सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि एंबुलेंस ने आने से मना कर दिया. जिस कारण मजबूरन शांति कुजजुर नामक महिला को चारपाई पर टांगकर अस्पताल ले जाना पड़ा. लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी.
पूरा मामला लातेहार के महुआ टांड़ प्रखंड के बसेरिया गांव का है. मामले के संज्ञान में आने के बाद स्थानीय प्रखंड विकास अधिकारी ने घटना को दुखद बताया. अमरेन डांग ने कहा कि यह घटना बेहद दुखद है. इसका ब्योरा जुटाया जा रहा है. वही इस पूरे मामले पर बीडीओ ने कहा कि प्राथमिकता के आधार पर सड़क निर्माण सहित ग्रामीणों के सभी बुनियादी समस्याओं का जल्द ही समाधान किया जाएगा.
ग्रामीणों ने बताया कि शांति कुजजुर पिछले कुछ दिनों से बुखार और बदन दर्द से पीड़ित थी. सोमवार को उसने सीने में दर्द की .शिकायत के बाद उसके पति रमेश मिंज और रिश्तेदारों ने कंधे पर चारपाई रख उसे 4 किलोमीटर दूर अस्पताल ले गए. अस्पताल में डॉक्टरों ने शांति कुजजुर को मृत घोषित कर दिया. गांव वालों ने बताया कि पास में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी है, लेकिन वहां पर आधारभूत सुविधाएं मौजूद नहीं है. जिस कारण दूर अस्पताल ले जाना पड़ता है.
महुआटांड़ अस्पताल के प्रभारी ने घटना पर बताया कि मरीज की मौत अस्पताल लाने से पहले ही हो चुकी थी. उन्हें दिल का दौरा पड़ा था.
इधर घटना के बाद दुरुप पंचायत के पूर्व पंचायत समिति सदस्य धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि गांव वालों की मांग के बाद भी प्रशासन ने एक भी उचित सड़क नहीं बनाई है. दशकों से ग्रामीणों की मांग को नजरअंदाज किया जा रहा है. अगर आज गांव की सड़क ठीक होती, तो महिला जीवित होती.
गौरतलब है कि झारखंड में सड़क की समस्या कोई नई नहीं है. राज्य के अलग-अलग जिले के दूर-दराज गांवों में सड़क,पानी जैसी आम बुनियादी सुविधाएं आज भी नदारद है. हेमंत सरकार अपने हाथों में सत्ता लेकर आदिवासियों के हित की बात करती है. मगर आदिवासियों के लिए सुविधा पहुंचाने में यह सरकार फेल है.