झारखंड में भूमिगत कोयला कैसे कारण झारखंड में भूमिगत कोयला कैसे कारण का इतिहास रचा गया. भूमिगत कोयला गैसीकरण के लिए देश की पहली पायलट की शुरुआत राज्य में की गई. कोयला उद्योग में क्रांति लाते हुए कोयला गैसीकरण के उपयोग से औद्योगिकी के लिए मिथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे मूल्यवान गैसों में परिवर्तित किया जाएगा.
कोयला मंत्रालय अंतर्गत पूर्वी कोल्डफील्ड्स लिमिटेड(ईसीएल) ने सीएमपीडीआई रांची और कनाडा की एक कंपनी के साथ मिलकर इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की. कोयला मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक खदान में मौजूद कोयले से मिथेन, हाइड्रोजन और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे कई गैसों का उत्पादन किया जाएगा. इन गैस का इस्तेमाल कई अलग-अलग तरह के उद्योग में कराया जाएगा. जमीन में मौजूद कोयले को दहनशील गैस में बदलने की विधि, भूमिगत कोयला गैसीकरण का इस्तेमाल कर बिजली उत्पादन भी किया जा सकता है.
झारखंड के जामताड़ा जिले के कस्ता कोयला ब्लॉक में इस अभियान की शुरुआत की गई. ईसीएल के अधिकारी ने बताया कि कोयला मंत्रालय का यह एक क्रांतिकारी कदम है, जिसके जरिए कोयले से खदान में ही कई तरह की गैसों का उत्पादन होगा. इनके इस्तेमाल से सिंथेटिक, नेचुरल, गैस ईंधन के लिए केमिकल फीडस्टॉकस फर्टिलाइजर विस्फोटक बनाए जाएंगे.
बता दें कि कोयला मंत्रालय ने दिसंबर 2015 में कोयला और लिग्नाइट वाले क्षेत्रों में इन परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. जिसमें सबसे पहले कोल इंडिया ने झारखंड के जामताड़ा के नाला ब्लॉक के कोयला खदान का चुनाव किया. इस पायलट प्रोजेक्ट को 2 साल में और दो चरणों में पूरा किया जाएगा. जिसमें पहले चरण की शुरुआत 22 जून 2024 को हुई. पहले चरण में ड्रिलिंग और टेस्टिंग के माध्यम से तकनीकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. दूसरे चरण में पायलट पैमाने पर कोयला गैसीकरण कैसे करें इसपर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.