झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम को पीएमएलए कोर्ट से जमानत नहीं मिली है. पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री टेंडर कमीशन मामले में आरोपी है. शुक्रवार को आलमगीर आलम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, उन्हें जमानत मिलने पर वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध राष्ट्रीय हित के लिए आर्थिक खतरा है. इससे भले ही समाज और अर्थव्यवस्था पर असर न पड़े. कोर्ट ने आगे कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग उचित साजिश, जानबूझकर डिजाइन और व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किया जाता है.
74 वर्षीय कांग्रेस नेता ने जुलाई में नियमित जमानत के लिए पीएमएलए अदालत का रुख किया था. उन्होंने अपनी याचिका में खुद को निर्दोष बताया और कहा कि झूठे मामले में उन्हें फसाने की कोशिश की जा रही है. जबकि उनके खिलाफ कोई कानूनी सबूत नहीं है.
मामले पर ईडी की ओर से कहा गया कि आलमगीर के खिलाफ चार्टशीट दाखिल है और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी मिले हैं.
पूर्व मंत्री की याचिका पर 7 अगस्त को बहस पूरी कर ली गई थी. कोर्ट में लगभग 1500 पन्नों के लिखित बहस दायर की गई थी. दोनों पक्षों के दलील सुनकर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे सुनाया गया है.
आलमगीर आलम को 15 मई को ईडी ने गिरफ्तार किया था. आलमगीर के सचिव संजीव कुमार लाल और उसके नौकर के पास 32.30 करोड़ रुपए नगद ईडी कोमिले थे. इसी मामले में ईडी ने पूर्व मंत्री से भी पूछताछ की थी. लंबी पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद जून में आलमगीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.