झारखंड हाईकोर्ट ने बांग्लादेश से आने वाले घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने के लिए आदेश जारी किया है. झारखंड हाईकोर्ट ने साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा जैसे इलाके में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश के कारण जनसंख्या में बढ़ोतरी को लेकर सुनवाई करते हुए यह फ़ैसला सुनाया है. बुधवार को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने याचिका पर पक्ष सुनने के बाद मौखिक रूप से कहा कि विदेशी घुसपैठ किसी राज्य का नहीं, बल्कि देश का मुद्दा है. विदेशी घुसपैठियों का भारत में प्रवेश हर हाल में वर्जित करना होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड के जमीन पर रह रहे हैं. राज्य सरकार इन घुसपैठियों को पहचान कर उन्हें वापस से भेजें.
कोर्ट ने जामताड़ा, पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा और देवघर के डीसी को इसके लिए निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर उन्हें वापस भेजने की कार्यवाही शुरू करें और राज्य में घुसपैठियों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगाने की दिशा में कदम भी उठाएं. हाईकोर्ट ने संबंधित जिले के डीसी को दो सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के माध्यम से बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया है. और इस मामले पर अगले सुनवाई की तारीख 18 जुलाई तय की है.
झारखंड हाईकोर्ट ने डानियाल दानिश की याचिका पर सुनवाई करते हुए इन आदेशों को जारी किया. याचिका में बताया गया है कि संताल परगना जैसे जिले जो बांग्लादेश से सटे हैं, उनमें बांग्लादेश से प्रतिबंधित संगठन सुनियोजित तरीके से झारखंड की जनजातीय लड़कियों से शादी कर उनका धर्मांतरण करवा रहे हैं, जिसे रोकना अनिवार्य है. याचिका में आगे बताया गया है कि संताल परगना में बांग्लादेश की सीमा से सटे हुए जिलों में अचानक मदरसों में बढ़ोतरी देखी गई है. 46 नए मदरसे बने हैं, जिनमें देश विरोधी काम हो रहा है.