बिहार में एक तरफ मुख्यमंत्री सरकारी कर्मचारियों पर निगरानी रख रहे हैं कि वे समय पर ऑफिस आएं. सरकारी दफ्तरों में मंत्री और कर्मचारियों की गैरमौजूदगी में नेता क्लास लगाते हैं.
वहीं, बिहार के अपर मुख्य सचिव पहले से ही यह काम कर रहे हैं. बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक कई महीनों से औचक निरीक्षण, आदेश और त्वरित कार्रवाई कर रहे हैं.
केके पाठक ने अब तक हजारों सरकारी शिक्षकों के लिए कक्षाएं आयोजित की हैं, कई स्थानों पर बच्चों के लिए पुस्तकालय, खेल उपकरण, पढ़ने के लिए किताबें आदि शुरू की हैं।
केके पाठक सहरसा के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं. 13 अक्टूबर को उन्होंने जिले के गर्ल्स हाई स्कूल, मनोहर हाई स्कूल और मिडिल स्कूल बैजनाथपुर का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने मनोहर हाई स्कूल के छात्रों को बिना यूनिफॉर्म के क्लास में बैठने पर डांट लगायी.
बच्चों को बिना स्कूल ड्रेस के देख केके पाठक भड़क गये और बच्चों से पूछा, यह कोई मॉल है या सिनेमा हॉल, या बाजार घूमने आये हो? ये स्कूल है, तुम बिना यूनिफॉर्म के स्कूल आये हो.
उन्होंने प्रिंसिपल को यह भी आदेश दिया कि जो बच्चे स्कूल ड्रेस में नहीं आएंगे उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जाए. बच्चों को स्कूल न आने दिया जाए और उनका नाम भी काट दिया जाए।
कल निरीक्षण के दौरान उन्होंने जमीन पर बैठ कर पढ़ाई कर रहे बच्चों के लिए फर्नीचर खरीदने का निर्देश दिया. इससे पहले केके पाठक ने एक सरकारी स्कूल में निरीक्षण के दौरान परिसर में लाइट नहीं होने के कारण अंधेरे में स्कूल का निरीक्षण किया और स्कूल में लाइट लगाने का भी निर्देश दिया.
केके पाठक के लगातार काम करने से शिक्षा के क्षेत्र में कई बदलाव आये हैं. कई जगहों पर तो सरकारी स्कूलों में उनके जाने से पहले ही सारी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली जाती हैं। अब अधिकांश विद्यालय सुचारु रूप से संचालित हो रहे हैं, जिसकी प्रदेश में काफी सराहना हो रही है.