16 अक्टूबर 2007 को पटना जिला के पालीगंज मैदान में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेल लाइन निर्माण की आधारशिला रखी थी. 7 सालों तक इस योजना के तहत धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. इसके बाद औरंगाबाद, पटना और अरवल जिले के लोगों ने 2014 में रेलवे लाइन के निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत की.
रेलवे लाइन बनाने का यह आंदोलन बिहार से निकलकर दिल्ली तक चला. लगभग 9 सालों तक चले इस आंदोलन का फल यह हुआ कि सरकार ने रेलवे लाइन के लिए बजट मंजूर कर दिया. केंद्र ने इस साल अपने बजट में बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन के लिए 376 करोड़ रुपए राशि देने के प्रस्ताव पर स्वीकृति दी है. जिसके बाद अब बिहिटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन बनने का रास्ता बिल्कुल साफ नजर आ रहा है.
128 किलोमीटर की परियोजना बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन
1980 में पहली बार चंद्रदेव प्रसाद वर्मा ने इस मामले को लोकसभा में उठाया था. इसके बाद हो 2007 में लालू यादव ने परियोजना का शिलान्यास किया था और मात्र 2 करोड़ रुपए से सर्वे की शुरुआत हुई थी.
बिहार के पाटलिपुत्र सांसद रामकृपाल यादव ने बीते साल लोकसभा के शून्य काल के दौरान लोकसभा के सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने अपने संसदीय क्षेत्र पाटलिपुत्र के लिए लगभग 128 किलोमीटर परियोजना बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन पर चर्चा की थी. उन्होंने कहा था कि इस रेल लाइन के निर्माण होने से करीब चार लोकसभा क्षेत्र के नागरिक लाभान्वित होंगे. रेलवे लाइन के निर्माण से क्षेत्र में नए विकास के संभावनाओं को भी पंख मिलेंगे.
बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन के लिए बीते साल 1 दिसंबर से संघर्ष समिति के लोगों ने पैदल मार्च शुरू किया था संघर्ष समिति ने बिहटा से औरंगाबाद तक 5 दिनों तक पैदल मार्च किया था. समिति के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर रेलवे ट्रैक को भी बाधित किया था, जिस दौरान एक बड़ा हादसा भी होते-होते टल गया था.
वर्तमान में पटना से औरंगाबाद की दूरी वाया एनएच 139 150 किमी है, जिसे तय करने में 4 घंटे लगते हैं. प्रस्तावित बिहटा-औरंगाबाद रेल लाइन के बन जाने से ट्रेनों के परिचालन के बाद औरंगाबाद से पटना का सफर महज 1.5 से 2 घंटे में तय किया जा सकेगा.
इस रेल परियोजना(railway project) के तहत ट्रेन बिहटा से 15 स्टेशन होते हुए औरंगाबाद पहुंचेगी. बिहटा, बिक्रम, दुल्हिन बाजार, पालीगंज, बारा, अरवल, खभैनी, जयपुर, शमशेर नगर, दाउदनगर, अरंडा, ओबरा, अनुग्रह नारायन रोड व भरथौली.