चौथी बार नेपाल के पीएम बने केपी शर्मा ओली, आखिरी बार 2021 में 60 दिन के लिए संभाली थी सरकार

केपी ओली ने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार आज शपथ ग्रहण किया, वह नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं. एक महीने के अंदर पीएम ओली को अपना बहुमत साबित करना होगा.

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पीएम बने केपी शर्मा ओली

पीएम बने केपी शर्मा ओली

सोमवार को केपी शर्मा ओली ने नेपाल की सत्ता को एकबार फिर से अपने हाथ में लिया. नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पटेल ने राष्ट्रपति कार्यालय में केपी ओली को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. केपी ओली ने नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर चौथी बार आज शपथ ग्रहण किया, वह नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं.

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के बीच 72 वर्षीय ओली ने पुष्प कमल दहल प्रचंड की जगह ली. प्रचंड शुक्रवार को सभा में विश्वास मत हार गए थे, जिसके बाद ओली ने नई सरकार बनाने का दावा राष्ट्रपति के सामने रखा था. आज शपथ ग्रहण के बाद पीएम ओली को 30 दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा, जिसके लिए ओली को कम से कम 135 मतों की जरूरत होगी. 275 सीटों वाले प्रतिनिधि सभा में बनाने के लिए 165 सदस्यों के हस्ताक्षर ओली ने राष्ट्रपति को सौंपे, जिनमें से 77 सदस्य ओली की पार्टी से हैं, जबकि बाकी 88 सदस्य नेपाली कांग्रेस के हैं.

सबसे पहले पीएम ओली ने 11 अक्टूबर 2015 को पीएम कुर्सी संभाली थी, 3 अगस्त 2016 तक वह बतौर नेपाल के पीएम रहे. इसके बाद दूसरी बार 5 फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक वह नेपाल के पीएम रहे. तीसरी बार नेपाल के तत्कालीन राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के कारण 13 मई 2021 से 13 जुलाई 2021 तक ओली पीएम पद पर बने रहे. इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने ओली को पीएम पद पर बने रहने का फैसला असंवैधानिक बताया.

केपी ओली के नेपाल पीएम बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें एक्स पर इसके लिए शुभकामनाएं दी. पीएम ने लिखा, बधाई हो @kpsharmaoli नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में आपकी नियुक्ति पर. हम दोनों देशों के बीच दोस्ती के गहरे संबंधों को और मजबूत करने तथा हमारे लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को और विस्तारित करने के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं.

नेपाल ने पिछले 16 वर्ष में 14 सरकार बनती-बिगड़ती देखी है. इस बार यह राजनीतिक उथल-पुथल इस महीने की शुरुआत में हुई, जब चीन समर्थक केपी शर्मा ओली की पार्टी CPN-UML ने प्रचंड की कम्युनिस्ट पार्टी से गठबंधन तोड़ लिया था. इस गठबंधन के टूटने के बाद प्रचंड सरकार अल्पमत में आ गई थी. प्रचंड सरकार संसद में फ्लोर टेस्ट में पास से नहीं हो पाई थी. 275 में से सिर्फ 63 सांसदों का साथ प्रचंड को मिला था, जबकि सरकार बचाने के लिए उन्हें 138 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता थी.

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